सहजन की खेती (Sahjan Ki Kheti) कैसे करे | Drumstick Cultivation in Hindi


सहजन (Sahjan) की खेती से सम्बंधित जानकारी

सहजन को एक बहुवर्षीय सब्जी देने वाले पौधे के रूप में जाना जाता है | गावो में सहजन का पौधा बिना किसी विशेष देखभाल के ही किसानो द्वारा अपने घरो के पास लगाया जाता है | वर्ष में एक बार जाड़ों के मौसम में इसके फल का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है | बाजारों में सहजन के फूल, छोटे-छोटे सहजन से लेकर बड़े सहजन के फलो का अच्छा मूल्य प्राप्त हो जाता है | वही दक्षिण भारत के लोगो की बात करे तो वहाँ के लोग सहजन के फूलो, फल, पत्तियों का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की सब्जियों के रूप में पूरे साल करते है |

दुनिया में भारत के अलावा फिलीपिंस, हवाई, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया ऐसे देश है,जहा पर सहजन को विशेष रूप से उगाया जाता है | इसके अतिरिक्त सहजन के बीजो से तेल को निकाल कर उपयोग में लाया जाता है, तथा बीजो को उबालकर सुखाकर उससे पॉउडर को तैयार कर विदेशो में निर्यात किया जाता है | सहजन के पौधों में औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जिससे इसके पौधों के सभी भागो का इस्तेमाल अनेक प्रकार के कार्यो में किया जाता है | यदि आप भी सहजन की खेती करना चाहते है, तो इस पोस्ट में आपको सहजन की खेती कैसे करे, Sahjan Ki Kheti in Hindi के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है |

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Drumstick Cultivation in Hindi

सहजन का वानस्पतिक नाम मोरिंगा औलीफेरा है | यह भारतीय मोरिंगसाय परिवार का सदस्य है | सहजन का पौधा तक़रीबन दस मीटर ऊँचा,कमजोर,तना और छोटी-छोटी पत्तियो वाला बहुवार्षिक पौधा है | यह बिना सिंचाई और कमजोर जमीन पर भी सालो-साल तक हरा-भरा रह सकता है|

सहजन की उन्नत किस्म में इसे वर्ष में दो बार फल देने के लिए तैयार किया गया है, जिसमे अधिक उत्पादन के साथ प्रोटीन, लवण, आयरन,विटामिन-बी और विटामिन सी की मात्रा भी अधिक पायी जाती है | यहाँ पर आपको सहजन की खेती कैसे करे के बारे में बताया जा रहा है|

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सहजन की खेती कैसे करे (Sahjan Ki Kheti Hindi)

सहजन की खेती करने के लिए सभी चीजों को ध्यान में रखकर किया जाता है, इसके लिए आपको कुछ बातों का पालन करना होगा, जिससे आप अच्छी खेती कर पैदावार भी अच्छी कर सकते है, सहजन की खेती करने की उपयुक्त विधि इस प्रकार है:-

सहजन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Sahjan Cultivation Suitable Climate)

इसकी खेती के लिए 25-30 डिग्री के औसत तापमान को उपयुक्त माना जाता है | इस तापमान पर इसके पौधे से अच्छे से विकसित होते है | यह ठण्ड को आसानी से सहन कर लेता है, किन्तु ठंडियों में गिरने वाला पाला इसके पौधों के लिए हानिकारक होता है | इसके पौधों में फूल आने के समय तापमान 40 डिग्री से अधिक होने पर फूलो के झड़ने का खतरा बना रहता है | इसके पौधों में अधिक वर्षा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | यह एक ढीठ प्रकार का पौधा होता है, जो विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में उग आता है |

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सहजन की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Sahjan Cultivation Suitable Soil)

सहजन के पौधों को किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है | यह बेकार,बंजर और कम उवर्रक वाली भूमि में भी आसानी से उग आती है, किन्तु वर्ष में दो बार उगने वाली सहजन की उन्नत खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसका P.H. मान 6-7.5 तक होना चाहिए |

सहजन की खेती का खेत कैसे तैयार करे (Prepare Cultivator Of Drumstick Cultivation)

सहजन की खेती में पौधों को लगाने के लिए गड्ढो को तैयार कर लेना चाहिए | इसके लिए खेत को अच्छी तरह से जुताई कर खरपतवार को साफ कर देना चाहिए, तथा 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंमी. तक गहरे गड्डो को तैयार कर ले | गड्डो को भरने के लिए मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद को मिलाकर भरना चाहिए | इससे खेत पौधों की रोपाई के लिए अच्छे से तैयार हो जाता है |

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सहजन की उन्नत किस्मे (Drumstick Improved Varieties)

सहजन की फसल को वर्ष में दो बार प्राप्त करने के लिए मौजूदा उन्नत किस्मे :- पी.के.एम.1, पी.के.एम.2, कोयंबटूर 1 व् कोयंबटूर 2 है| इन किस्मो में उगने वाले पौधे 4-6 मीटर ऊंचे तथा इसमें 90-100 दिनों में फूल देने लगते है| इसकी विभिन्न अवस्थाओं में आवश्यकतानुसार तुड़ाई की जा सकती है| इसके पौधों में फलो तो तैयार होने में 160-170 दिन का समय लगता है| इसमें एक वर्ष में 65-170 दिनों में फल तैयार हो जाते है|

सहजन का एक वर्ष का पौधा तक़रीबन 65-70 सें.मी. लम्बा तथा औसत 6.3 सेंमी मोटा होता है, जिसमे एक पौधे से तक़रीबन 200-400 फल (40-50 किलोग्राम) की फसल तैयार हो जाती है | यह अधिक गूदेदार फल होता जिसे पकाने पर 70 प्रतिशत भाग खाने योग्य हो जाता है | इस किस्म के पौधों से 4-5 वर्षो तक पड़ी की फसल को प्राप्त किया जा सकता है | फसल को प्राप्त करने के बाद पौधों को जमीन से एक मीटर की ऊंचाई से काटना चाहिए |

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सहजन के बीज की रोपाई (Drumstick Cultivation Seed Planting)

सहजन की फसल में बीजो की रोपाई के लिए शाखा के दोनों टुकड़ो का प्रबर्द्धन करना चाहिए | वर्ष में दो बार फसल को प्राप्त करने के लिए बीज से प्रबर्द्धन करना उपयुक्त माना जाता है | एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 500 ग्राम बीजो की रोपाई करनी चाहिए | बीजो को गड्डो में लगाने से एक महीने पहले उन्हें पॉलीथीन बैग में तैयार कर लेना चाहिए | इसके बाद उन्हें तैयार किये गए गड्डो में लगा देना चाहिए |

सहजन का शस्य प्रबंधन (Drumstick Crop Management)

बीजो की रोपाई से एक महीने पहले गड्डो को तैयार कर लेना चाहिए, इसके बाद एक महीने पहले तैयार पौधों को गड्डो में जुलाई-सितम्बर के मध्य रोपाई कर देनी चाहिए | जब पौधा 75 सेंमी. का हो जाये तब पौधे के ऊपरी भाग को खोटनी कर दे ताकि बगल में निकलने वाली शाखाओ को आसानी हो जाये | बीज रोपाई के तीन महीने बाद 100 gm यूरिया + 100 gm सुपर फास्फेट + 50 gm पोटाश की मात्रा से मात्रा से गड्डो को उपचारित करना चाहिए, तथा उसके तीन माह गुजर जाने के बाद गड्डो को 100 gm यूरिया की मात्रा से पुनः उपचारित करना चाहिए | किये गए शोध के अनुसार 15 किलोग्राम गोबर की खाद, एजोसपिरिलम और पी.एस.बी. (5 KG/हेक्टेयर) की मात्रा से प्रति गड्डे को दें, इससे पैदावार प्रभावित नहीं होगी |

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सहजनी के पौधों की सिंचाई (Drumstick Plants Irrigation)

सहजनी की अच्छी फसल प्राप्त के लिए सिंचाई करना लाभदायक होता है | बीजो के अंकुरण और अच्छी तरह से स्थापन के लिए गड्डो में नमी का बना रहना बहुत आवश्यक होता है | जब पौधों में फूल लगने लगे उस समय न पौधों को सिंचाई की आवश्यकता होती है, और न ही ज्यादा सूखेपन दोनों ही अवस्थाओं में पौधों से फूलो के झड़ने का खतरा बना रहता है |

सहजन में कीट रोग नियंत्रण (Drumstick Pest Disease Control)

सहजनी के पौधों को सबसे ज्यादा खतरा बिहार में भुआ पिल्लू नामक कीट से होता है | यह कीट पौधों के लिए अधिक हानिकारक होता है | यदि इस कीट से पौधों को नहीं बचाया जाये तो यह पौधों की पत्तियों को खाकर पौधों को पूरी तरह से नष्ट कर देता है | जिससे पैदावार अधिक प्रभावित होती है | यह कीट पौधों पर अंडे से निकलने के पश्चात नवजात अवस्था में एक ही स्थान पर रहता है, किन्तु बाद में भोजन की तलाश में यह पौधों पर बिखरने लगते है, और पौधों की पत्तियो को खाकर उन्हें हानि पहुंचाने लगते है | डाइक्लोरोवास (नूभान) दवा की 0.5 मिली. की मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव कर इस कीट रोग से बचाव किया जा सकता है |

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सहजन के फलो की तुड़ाई और पैदावार (Drumstick Harvesting and Yield)

सहजन के उन्नत किस्म के पौधे वर्ष में दो फल देते है, जिनकी तुड़ाई फ़रवरी-मार्च और सिंतम्बर-ऑक्टूबर के माह में की जाती है | सहजन का प्रत्येक पौधा एक वर्ष में तक़रीबन 40-50KG की पैदावार देता है | बाजारी परिस्थितियों के आधार पर इसके पौधों की तुड़ाई 1-2 माह तक चलती है | सहजन का बाजारी मूल्य भी अच्छा होता है, जिससे किसान भाई इसकी फसल कर अच्छा लाभ भी कमा सकते है |

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