चावल की एक वैरायटी जिसका नाम है ‘काला नमक धान’ | सबसे पहले सिद्धार्थनगर के कुछ गांव से इस ‘काला नमक’ चावल की सुगंध बाहर निकली और विश्व विख्यात हुई |
चावल की एक वैरायटी जिसका नाम है ‘काला नमक धान’ | सबसे पहले सिद्धार्थनगर के कुछ गांव से इस ‘काला नमक’ चावल की सुगंध बाहर निकली और विश्व विख्यात हुई |
इस चावल को भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में भी लोग ग्रहण करते हैं | सिद्धार्थनगर सहित कुल 11 जिलों को GI टैग मिला है. इनमें गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, देवरिया, संतकबीर नगर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच और बलरामपुर शामिल हैं |
इस चावल को भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में भी लोग ग्रहण करते हैं | सिद्धार्थनगर सहित कुल 11 जिलों को GI टैग मिला है. इनमें गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, देवरिया, संतकबीर नगर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच और बलरामपुर शामिल हैं |
यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉक्टर शिखा बताती हैं कि यूएन में मुख्य सलाहकार पद से रिटायर प्रोफेसर ‘रामचेत चौधरी’ पिछले कई सालों से काला नमक पर शोध कर रहे हैं और KN2, KN3 और किरन नामक प्रजाति के काला नमक चावल के बीज तैयार कर किसानों को दे रहे हैं |
यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉक्टर शिखा बताती हैं कि यूएन में मुख्य सलाहकार पद से रिटायर प्रोफेसर ‘रामचेत चौधरी’ पिछले कई सालों से काला नमक पर शोध कर रहे हैं और KN2, KN3 और किरन नामक प्रजाति के काला नमक चावल के बीज तैयार कर किसानों को दे रहे हैं |
काला नमक चावल की कम जमीन में पैदावार अधिक है. दूसरी बात यह चावल 100-120 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है तो किसानों को आर्थिक लाभ भी होता है |
काला नमक चावल की कम जमीन में पैदावार अधिक है. दूसरी बात यह चावल 100-120 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है तो किसानों को आर्थिक लाभ भी होता है |
इसकी खेती में ज्यादा लागत नहीं आती है और बाढ़ क्षेत्र वाले इलाकों में भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. इस चावल में जिंक और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी भरपूर रहते हैं जो काफी लाभदायक होते हैं |
इसकी खेती में ज्यादा लागत नहीं आती है और बाढ़ क्षेत्र वाले इलाकों में भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. इस चावल में जिंक और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी भरपूर रहते हैं जो काफी लाभदायक होते हैं |
किसान अब इसे बड़े पैमाने पर पैदा कर रहे हैं. प्रोफेसर रामचेत चौधरी की वजह से ही काला नमक के लिए सिद्धार्थनगर सहित कुल 11 जिलों को GI टैग मिला है |
किसान अब इसे बड़े पैमाने पर पैदा कर रहे हैं. प्रोफेसर रामचेत चौधरी की वजह से ही काला नमक के लिए सिद्धार्थनगर सहित कुल 11 जिलों को GI टैग मिला है |
काला नमक चावल बाजार में 120 रुपए प्रति किलो तक बिक जाता है। इस तरह से 48 हजार रुपये प्रति बीघा का दाम उन्हें मिल जाता है और लागत निकाल कर उन्हें प्रति बीघा 30 हजार रुपये मुनाफा मिलता है। इस तरह से सामान्य धान की फसल की अपेक्षा यह खेती ज्यादा लाभदायक है।
काला नमक चावल बाजार में 120 रुपए प्रति किलो तक बिक जाता है। इस तरह से 48 हजार रुपये प्रति बीघा का दाम उन्हें मिल जाता है और लागत निकाल कर उन्हें प्रति बीघा 30 हजार रुपये मुनाफा मिलता है। इस तरह से सामान्य धान की फसल की अपेक्षा यह खेती ज्यादा लाभदायक है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रशांत शुक्ला का कहना है कि काला नमक चावल का सेवन करने से विभिन्न बीमारियों में लाभ होता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, अमिनो एसिड्स, एंटिऑक्सिडेंट्स,और अन्य पोषकतत्व मौजूद होते हैं। यह मधुमेह के नियंत्रण में मदद कर सकता है। हृदय के स्वास्थ्य को सुधारता है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रशांत शुक्ला का कहना है कि काला नमक चावल का सेवन करने से विभिन्न बीमारियों में लाभ होता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, अमिनो एसिड्स, एंटिऑक्सिडेंट्स,और अन्य पोषकतत्व मौजूद होते हैं। यह मधुमेह के नियंत्रण में मदद कर सकता है। हृदय के स्वास्थ्य को सुधारता है।