सरसों को भारत की प्रमुख नकदी फसल कहते हैं, जहां दुनिया की 70% सरसों का उत्पादन किया जाता है. इसे कम लागत में अधिक मुनाफेदार फसल कहते हैं
रबड़ की खेती
रबड़ की खेती
रबड़ की खेती के लिये गर्मी, धूप, सिंचाई, बारिश और लाल मृदा की जरूरत होती है. बता दें कि रबड़ की पारा किस्म सबसे ज्यादा डिमांड में रहती है. दक्षिण भारत और केरल में रबड़ का सबसे अधिक उत्पादन होता है.
जूट की खेती
जूट की खेती
जूट से बायोडिग्रेडेबल प्रॉडक्ट्स का बड़ा बाजार खड़ा किया गया है, ये रेशेदार फसल ईंधन से लेकर, बोरे, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सियां, निम्नकोटि के कपड़े, कागज, हेसियन, पैंकिंग के कपड़े, कालीन, परदे, घरों की सजावट का सामान, अस्तर और रस्सियां आदि चीजें बनाने के काम में ली जाती है
चाय की खेती
चाय की खेती
भारत में चाय की खेती 1834 शुरु हुई थी. उस समय से लेकर आज तक असम घाटी चाय के बागाों को प्रमुख केंद्र है. यहीं से कुल उत्पादन की 50% यानी सबसे ज्यादा चाय का उत्पादन और प्रसंस्करण होता है. चाय के बागानों से साल में सिर्फ 3 बार पत्तियों को चुनकर तोड़ जाता है
गन्ने की खेती
गन्ने की खेती
ब्राजील के बाद भारत को दुनिया का दूसरा बड़ा गन्ना उत्पादक देश कहते हैं. आज भारत के गन्ने से बने उत्पादों का इस्तेमाल पूरी दुनिया में किया जाता है. इसकी खेती में लगभग पूरा साल ही लग जाता है. देश में उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा गन्ना और चीनी उत्पादक राज्य का खिताब मिला है
कपास की खेती
कपास की खेती
भारत को विश्व का सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश कहते हैं. यहां कपास के साथ-साथ कपड़ा उद्योग भी बड़े पैमाने पर चलाये जाते हैं. इतना ही नहीं पूरे भारत का अकेला 34 प्रतिशत कपास गुजरात में उगाया जाता है. यहां क्ली या रुगिर मिट्टी में देसी और अमेरिकन किस्मों की कपास का उत्पादन लिया जाता है.
अलसी की खेती
अलसी की खेती
अलसी एक तिलहनी फसल है, जिसका इस्तेमाल तेल, सुपर फूड, औषधी, रेशा और कई अन्य कामों किया जाता है. इसके तेल से पारदर्शी साबुन, पेंट, प्रिटिंग इंक और वारनेश बनाये जाते हैं. जिसके बाद अलसी की खली पशुओं को खिलाई जाती है | भारत अलसी का सबसे बड़ा उत्पादक देश है
मूंगफली की खेती
मूंगफली की खेती
भारत में दुनिया के कुल उत्पादन की 30 प्रतिशत मूंगफली उगाई जाती है. इसकी खेती गुजरात, राजस्थान आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्रमुख फसल के रूप में की जाती है. इन राज्यों से मूंगफली की 85 प्रतिशत उपज मिलती है, जिससे तिलहनी फसलों 45% तेल निकलता है. खरीफ और जायद सीजन में कम पानी और कम बारिश वाले इलाकों में मूंगफली की खेती से अच्छा उत्पादन मिलता है.