बरगद का पेड़ कैसे लगाएं | बरगद का पेड़ लगाने के फायदे व नुक्सान


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बरगद के पेड़ से सम्बंधित जानकारी

बरगद के पेड़ को जीवनचक्र के निरंतरता का प्रतीक कहा गया है | गीता में भी बरगद के पेड़ का वर्णन करते हुए उसे काफी महत्वपूर्ण बताया गया है | महिलाए सावित्री व्रत रखकर दीर्घायु के लिए बरगद का पूजन करती है | बौद्ध धर्म में भी इसे काफी पूज्य माना गया है | किन्तु यह पेड़ धीरे-धीरे पूरे समाज से दूर होता जा रहा है | कल्पवृक्ष या वटवृक्ष के नाम से प्रसिद्ध बरगद के पेड़ का असितत्व केवल गावो तक सिमित रह गया है | विशेषज्ञ बताते है, कि अन्य पेड़ो के मुकाबले बरगद का पेड़ 5 गुना अधिक आक्सीजन प्रदान करता है | बरगद के पेड़ की जड़, छाल, पत्ती और तने से निकलने वाले दूध का इस्तेमाल कई औषधियों को बनाने के लिए करते है |

बरगद का पेड़ काफी विशाल आकार का होता है, जिस वजह से यह पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करता है | शहरी क्षेत्रों में बरगद का पेड़ काफी कम होने के कारण माताओ बहनो को व्रत के दिन पूजन करने में समस्या होती है | जिस वजह से बरगद के पेड़ को लगाने के लिए संकल्प लिया जा रहा है | इस लेख में आपको बरगद का पेड़ कैसे लगाएं तथा बरगद का पेड़ लगाने के फायदे व नुक्सान के बारे में बता रहे है |

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बरगद के पेड़ की देखभाल (Banyan Tree Care)

बरगद के पेड़ को विकसित करना फिल्ड लीफ अंजीर के मुकाबले काफी आसान है | बरगद के पेड़ को आरंभ में पौधा नहीं माना जाता है, क्योकि शुरुआत में इसे कुछ विशेष देखभाल की जरूरत होती है | इसके पेड़ के लिए सही धूप और पानी को महत्वपूर्ण तत्व माना गया है | बरगद के पेड़ की नियमित रूप से छटाई करने से आकार को नियंत्रित रखा जा सकता है |

बरगद की पत्तियों पर काफी जल्दी धूल और मलबा जम जाता है, जिस वजह से पत्तियों को प्रकाश का संश्लेषण करने में दिक्कत होती है | इसलिए समय – समय पर पेड़ की पत्तियों की धुलाई करते रहे, ताकि पत्तियों को प्रकाश संश्लेषण में दिक्कत न हो | बरगद के पेड़ पर लीफ शाइन का इस्तेमाल करने से बचे, क्योकि यह मुरझाई हुई पत्तियों को हानि पहुंचाता है | आप पत्तियों को साफ़ करने के लिए गीले कपडे का इस्तेमाल कर सकते है |

बरगद के पेड़ के लिए उपयुक्त धूप (Banyan Tree Suitable Sun Lite)

बरगद के पेड़ को लगाने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करे, जहा पर कई घंटो तक उज्जवल और अप्रत्यक्ष प्रकाश आता रहे | इसके लिए घर पर बरगद के पौधे को पश्चिम या दक्षिण वाली खिड़की की और लगाए | यह पेड़ सुबह और शाम की धूप को सहन कर सकता है, किन्तु दोपहर की सीधी धूप से पौधे को विस्तारित अवधि से अवश्य बचाए | क्योकि इससे पत्तियों के जलने का खतरा होता है |

बरगद के पेड़ के लिए पसंदीदा मिट्टी (Banyan Tree Preferred Soil)

अगर आप बरगद के पेड़ को इंडोर के लिए लगा रहे है, तो नम और अच्छी तरह से बहने वाली मिट्टी उपयुक्त है | इसके पेड़ के लिए पोलाइट, पोंटिंग और रेतीली मिट्टी का संयोजन काफी अच्छा विकल्प है |

बरगद के पेड़ को पानी देने का तरीका (Banyan Tree Water)

बरगद के पेड़ को पानी देते समय निम्न बातो को ध्यान में रखे कि जब मिट्टी की ऊपरी सतह 2 से 3 इंच तक सूख जाए तो अच्छी तरह से पानी भर दे | नम मिट्टी में बरगद का पेड़ अच्छे से ग्रो करता है, इसलिए पौधे की मिट्टी में नमी बनाए रखे |

बरगद के पेड़ के लिए उचित तापमान और आद्रता (Banyan Tree Temperature and Humidity)

भारतीय मूल का बरगद का पौधा आद्र और गर्म परिस्थितियों का आदी होता है | घरेलू तापमान पर यह पौधे अच्छे से ग्रो करते है | किन्तु 65 डिग्री फ़ारेनहाइट से नीचे का तापमान पौधों के लिए उपयुक्त नहीं होता है, इसलिए इन्हे इस तापमान के संपर्क में आने से बचाना होता है | घरेलू मानक आद्रता का स्तर भी बरगद के पेड़ के लिए ठीक माना गया है | हालांकि पौधे को हवादार खिड़की और AC/ Heat से दूर रखे | अगर आपके बरगद के पेड़ में सूखने वाले लक्षण दिख रहे है, तो पौधे को किसी नम जगह पर रखे, इससे पौधे को थोड़ी मदद मिलेगी |

बरगद के पेड़ के लिए खाद (Banyan Tree Manure)

बरगद के पेड़ में बढ़ती अवधि के साथ नियमित रूप से निषेचन करना जरूरी होता है | इसके पेड़ में संतुलित तरल उवर्रक की मात्रा के साथ महीने के आरंभ में वसंत के शुरुआत से गिरावट तक खाद की मात्रा दे | खाद के लिए आप प्राकृतिक उर्वरक जैसे :- कृमि कास्टिंग, खाद, ब्लड मील या बोन का भी इस्तेमाल कर सकते है |

बरगद के पेड़ की छंटाई (Banyan Tree Pruning)

घर के अंदर बरगद के पेड़ को 10 फ़ीट तक उगाया जा सकता है | इनडोर के रूप में उगाए गए बरगद के पेड़ को देखभाल और छंटाई की आवश्यकता होती है | प्रूनिंग प्रक्रिया से न सिर्फ पौधे का आकार नियंत्रित रहता है, बल्कि पेड़ की शाखाए भी मजबूत बनती है | यह पौधे को सौंदर्यपूर्ण रूप से अधिक संरचनात्मक और मनभावन ध्वनि भी प्रदान करता है |

वसंत ऋतु या गर्मी के मौसम में पौधे की छटाई करना काफी अच्छा होता है | क्योकि बरगद के पेड़ का विकास सक्रिय काल में होता है | छटाई करने के दोरान इस पेड़ से एक बेहद चिपचिपा रस जैसा लेटेक्स निकलता है, इसलिए पौधे के नीचे एक चादर बिछा ले | छटाई के दोरान किसी तने की कटिंग को रखे ताकि प्रसारण के समय उसका उपयोग किया जा सके |

इन पेड़ो की छटाई हर साल नहीं करनी होती है | किन्तु कुछ शाखाओ की छंटाई करने से आकार नियंत्रित रहता है | ऐसी शाखा को चुने जो फलदार हो या पौधे को एकतरफा रूप दे सके | अगर आपके पेड़ में अभी कोई शाखा नहीं निकली है, सिर्फ एक लंबा डंठल है, तो आप जहा चाहे शाखा लगा सकते है, या डंठल के शीर्ष को काटकर अलग कर सकते है |

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बरगद के पेड़ की रिपोटिंग कैसे करें (Banyan Tree Repot)

बरगद के पेड़ को पुन: रोपण की जरूरत नहीं होती है | यह एक ही कंटेनर में एक बार लगा देने पर 2 से 3 वर्षो तक अच्छे से ग्रो करता है | इसका पौधे पर जड़बृद्ध होने का कोई असर नहीं देखने को मिलता है, जब एक बार कंटेनर से जड़े बाहर निकलने लगती है, तो उस समय पौधे की रिपोटिंग करनी चाहिए |

एक बार जब जड़े निकलने का समय निर्धारित हो जाए तो ऐसा करना गर्मियों के मौसम में सबसे अच्छा होता है | इसके लिए 2 से 3 इंच चौड़े नए बर्तन को चुने| अगर बर्तन का आकार 3 इंच से अधिक है, तो इससे अतिवृष्टि होने का खतरा रहता है | पेड़ को पिछले कंटेनर से हटाकर नए गमले में लगा दे, और जड़ो को पुरानी मिट्टी से ढक दे | गमले में बहाऊ मिट्टी का इस्तेमाल करे, और रूटबॉल को गमले के समान स्तर पर रखते है | इसके बाद बरगद के पेड़ को अच्छे से पानी दे | अगर आप अपने पौधे के आकार को नियंत्रित करना चाहते है, और यह भी चाहते है, कि आपका पौधा लंबा हो, तो ताज़ी मिट्टी का चुनाव करे | लेकिन बर्तन के आकार को नहीं बढ़ाए |

बरगद के पेड़ में सामान्य कीट (Banyan Tree Common Pests)

बरगद के पेड़ पर रस चूसने वाले कीट का खतरा रहता है | यह कीट इस पेड़ के चिपचिपे रस को काफी पसंद करते है | इसके लिए आप एफिड्स, स्केल और माइलबग्स जैसे कीटो से बचाव करे | हालांकि यह कीट रस चूसने वाले नहीं है, तथा फंगस भी एक समस्या हो सकती है | यह नम मिट्टी में अपने अंडे देते है | संभावित संक्रमण की रोकथाम के लिए पौधे की नियमित देखभाल करे और कीट की जांच करते रहे |

बरगद पेड़ की सामान्य समस्याएं (Banyan Tree Common Problems)

घर के अंदर लगाए गए बरगद के पेड़ में सामान्य समस्याएं अनुचित रूप से पानी न मिलने से आती है | अन्य वृक्षो की तुलना में बरगद का वृक्ष कुछ कम पानी में भी अपेक्षाकृत लचीला कहा गया है | फिर भी अगर अधिक समय तक इसकी देखभाल ठीक से न की जाए तो यह पीड़ित बना रहता है | यहाँ पर आप निम्न बातो को ध्यान में रखे |

पत्तियों का पीला होना (Leaves Yellowing)

पत्तियों के पीले होने के पीछे दो अलग तरह के कारण हो सकते है | पहला कारण यह है, कि जो भी एक दो या पत्तिया पीली पड़कर गिर रही है, तो यह पेड़ के जीवन चक्र का स्वाभाविक हिस्सा है | इसमें पत्तियों का गिरना सामान्य है | इसके अलावा अगर आप देख रहे है, कि पेड़ के पत्ते असामान्य रूप से पीले पड़कर गिर रहे है, तो यह समस्या अधिक पानी या कम पानी की वजह से हो सकती है |

पत्तियों का गिरना (Falling Leaves)

बरगद का पेड़ अपने संबंधित पेड़ फिडल लीफ फिग की तुलना में कम उधमी होता है | यह दोनों ही नाटकीय रूप से पत्तियों को छोड़ने का काम करते है | अगर आपके पेड़ से पत्तिया गिर रही है, तो पानी नीचे होने की सबसे अधिक संभावना होती है | जबकि बरगद का पेड़ पानी देने के पश्चात् कुछ समय तक सूखे को सहन कर सकता है | वृक्ष की मिट्टी पूरी तरह से सूखने न पाए, यदि मिट्टी अधिक सूख जाती है, तो पत्तियों का गिरना आरंभ हो जाता है | इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी देकर पत्तियों का गिरना रोका जा सकता है |

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बरगद का पेड़ लगाने के फायदे व नुक्सान (Banyan Tree Planting Advantages and Disadvantages)

बरगद के पेड़ के फायदे (Banyan Tree Benefits)

दांत और मंसूड़ो को स्वस्थ रखे :- बरगद के पेड़ की पत्तियां, तना, फल, छाल और जड़ को औषधीय उपयोग में लाते है | इसमें मौजूद एंटी-माइक्रोबियल (बैक्टीरिया रोधी) और एंटीऑक्सीडेंट (सूजनरोधी) गुण मसूड़ों में सूजन और दांत में सड़न की समस्या को कम करने में मदद करता है| इस नरम जड़ को चबाकर मंजन की तरह इस्तेमाल कर सकते है | इस प्रक्रिया के जरिए दांत से जुड़ी कई समस्याए भी दूर हो जाती है |

प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करे :- बरगद का पेड़ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है | विशेषज्ञों के अनुसार इसकी पत्तियों में क्लोरोफॉर्म, हेक्सेन, क्लोरोफॉर्म, पानी और ब्यूटेनॉल मौजूद होता है | यह सभी तत्व संयुक्त रूप से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य करते है | जिस वजह से अगर बरगद की पत्तियों का सेवन किया जाए तो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है |

बवासीर से राहत :- अगर आपको बवासीर की समस्या है, तो बरगद के पेड़ से इस समस्या को दूर किया जा सकता है | बरगद के पेड़ से जो दूध निकलता है, उसमे सेरिन, शुगर, रेजिन, मौलिक एसिड और एल्ब्यूमिन तत्व पाया जाता है | यह सभी तत्व डिसेंट्री (दस्त के समय खून आना), दस्त और बवासीर की समस्या से राहत पहुंचाते है | इसलिए हम यह भी कह सकते है, कि बरगद का दूध बवासीर में फायदेमंद है |

डायबिटीज को दूर करे :- बरगद का पेड़ डायबिटीज में फायदेमंद हो सकता है | इसके पीछे की वजह यह है, कि इस पेड़ की जड़ में हाइपोग्लाइसेमिक नामक तत्व होता है, जो ब्लड शुगर को कम करने का कार्य करता है | इसलिए डायबिटीज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए इसकी जड़ से तैयार किए गए अर्क का सेवन करे |

डिप्रेशन में सहायक बरगद :- एक शोध के अनुसार बरगद के पेड़ को डिप्रेशन की समस्या में भी लाभकारी माना गया है | बरगद के पेड़ में कुछ ऐसे तत्व होते है, जो चिंता और तनाव को दूर करने के साथ ही मानसिक क्षमता को बढ़ाने का भी काम करते है | यह दिमाग की नसों को आराम पहुँचाती है | अवसाद एक मानसिक विकार है, जो चिंता और तनाव के कारण को जन्म देती है | इसलिए हम यह भी कह सकते है, कि बरगद की जड़ डिप्रेशन से छुटकारा दिलाने में सहायता प्रदान करती है |

डायरिया में लाभदायक :- बरगद के पेड़ से निकले दूध में सेरिन, शुगर, रेजिन, मौलिक एसिड और एल्ब्यूमिन तत्व पाया जाता है | यह तत्व डिसेंट्री, बवासीर और डायरिया में भी लाभ प्रदान करता है |

बरगद का पेड़ बांझपन और नपुंसकता में लाभदायक :- बरगद का पेड़ नपुंसकता और बांझपन की समस्या को दूर करने में भी फायदेमंद साबित हो सकता है | इसकी पत्तियों से निकलने वाले दूध का सेवन करने से पुरुषो में शुक्राणुओं की मात्रा तेजी से बढ़ती है, और महिलाओ की कई यौन समस्याए भी दूर हो जाती है | बरगद का दूध यौन समस्याओं को दूर करता है, इस संबंध में और भी शोध बाकि है |

बरगद का पेड़ जोड़ों के दर्द में मददगार :- बरगद की पत्तियों में कुछ ऐसे खास तत्व ब्यूटेनॉल, हेक्सेन और क्लोरोफॉर्म होते है, जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काफी सहायक है | इसी संबंध में किए गए एक शोध में यह बात भी सामने आई है, कि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता की वजह से जोड़ो में दर्द की समस्या उत्पन्न होती है | इन जोड़ो के दर्द की समस्या में बरगद की पत्तियों का सेवन लाभकारी सिद्ध हुआ है |

यूरिनेशन की समस्या में मददगार :- बरगद के पेड़ में मौजूद औषधीय गुणों से यूरेनियम की समस्या भी दूर हो जाती है| इस पेड़ के भागो से तैयार किए गए अर्क का सेवन कर इस समस्या को दूर किया जा सकता है | बढ़ती उम्र के साथ लोगो में यूरेनियम की समस्या होने लगती है, तथा कुछ लोग ऐसे भी होते है, जिनकी मूत्राशय वाली नसे इतनी कमजोर हो चुकी होती है, कि वह अपने मूत्र को नियंत्रित नहीं कर पाते है | ऐसे में उन्हें बरगद के पत्तो का सेवन करना चाहिए |

फोड़े/ फुंसी की समस्या में मददगार :- फोड़ा-फुंसी एक त्वचा संबंधित विकार है| बरगद के पेड़ में त्वचा संबंधित समस्याओ को दूर करने वाले कई तत्व होते है | इसलिए हम यह भी कह सकते है, कि बरगद की जड़ को फोड़े-फुंसी की समस्या में फायदेमंद माना जा सकता है |

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करे :- बरगद के पेड़ में मिलने वाले औषधीय गुणों पर शोध कर यह पाया गया है, कि इसके जलीय अर्क का सेवन कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करता है | इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि बरगद की छाल, पत्ती और फल का उपयोग कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य कर देता है |

खुजली की समस्या में मददगार :- त्वचा पर होने वाले बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से खुजली की समस्या हो जाती है | ऐसे में बरगद के पेड़ में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल गुण इस समस्या को दूर करने में सहायता करता है | इसके लिए बरगद के पत्ते का लेप बनाकर इस्तेमाल करते है |

बालों के लिए उपयोगी :- बालो का गिरना एक गंभीर समस्या मानी जाती है | इसके लिए बैक्टीरियल इन्फेक्शन को भी कारक माना जा सकता है | जैसा की आपको बताया जा चुका है, कि बरगद के पेड़ में एंटी-माइक्रोबियल गुण होता है, जो बैक्टीरियल इन्फेक्शन से लड़ने में सहायता करता है | इसलिए बरगद के पेड़ की पत्ती और छाल से बने लेप का इस्तेमाल बालो को स्वस्थ रखने के लिए कर सकते है | किन्तु इस विषय पर अभी और भी शोध करने की आवश्यकता है |

बरगद के पेड़ के नुकसान (Banyan Tree Side Effects)

अभी तक बरगद के पेड़ के कोई नुकसान नहीं देखने को मिले है, और न ही कोई इसका वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद है | फिर भी लोगो को इसकी संतुलित मात्रा लेने के लिए सलाह दी जाती है | इसमें आप निम्न बातो पर विशेष ध्यान दे |

  • अगर आप किसी दवा का नियमित रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आप डॉक्टर की सलाह लेकर ही इसका सेवन करे, ताकि आपको किसी तरह का दुष्प्रभाव न देखने को मिले |
  • यदि आपको बरगद के दूध, छाल, पत्ती या जड़ से किसी तरह की एलर्जी हो रही है, तो आप तुरंत ही इसका इस्तेमाल बंद कर डॉक्टर से संपर्क करे |

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