मधुमक्खी शहद कैसे बनाती है | Honey Kaise Banta Hai in Hindi


मधुमक्खी से शहद बनानें से संबंधित जानकारी

यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी, कि मेहनत का फल मीठा होता है, जो शहद पर बिल्कुल सटीक बैठती है| शहद एक बहुत ही स्वादिष्ट, मीठा और चिपचिपा पदार्थ होता है, जिसे मधुमक्खियों द्वारा बनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है, कि शहद बनाने के लिए मधुमक्खियों को कितनी मेहनत करनी पड़ती है, इसका अंदाजा सिर्फ मधुमक्खियों को ही होता है| शहद एक वह खाद्य पदार्थ है, जिसे अगर आप एयरटाइट कंटेनर में रखते है, तो यह कभी समाप्त या ख़राब नहीं होता है|

हालाँकि अधिक समय गुजरने के बाद इसमें कुछ सुगंध आ सकती है, या फिर यह क्रिस्टलीकृत और अपना स्वाद खो सकता है| अगर आप शहद को नम वातावरण में बिना ढके रख देते है, तो इसके दूषित होने की अधिक संभावनाए है, जिस वजह से यह बंद हो सकता है| शहद खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही कई बीमारियों में औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है| इसमें लगभग सभी पोषक तत्व खनिज और विटामिन्स शामिल है|

शहद स्वाद में सामान्य चीनी के सामान मीठा होता है, इसे फ्रुक्टोज, मोनोसैकराइड और ग्लूकोज से मिठास मिलती है| शहद का स्वाद बनावट और रंग जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है, इसमें मधुमक्खी का प्रकार फूल और पराग की विविधता भी शामिल है| अगर आप यह सोच रहे है, कि शहद कैसे बनता है, तो इस लेख में आपको मधुमक्खी शहद कैसे बनाती है (Honey Kaise Banta Hai in Hindi) के बारे में बता रहे है|

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मधुमक्खी का जीवन (Honey Bee Life)

मधुमक्खी के जीवन में अंडा, लार्वा, प्यूपा और मक्खी जैसे 4 तरह के बदलाव होते है| यह एक सामाजिक प्राणी है, जो मोम के छत्ते में ग्रुप बनाकर रहती है| एक साथ ग्रुप में रहने वाली इन सभी मधुमक्खियो को ‘कॉलोनी’ कहते है| स्थान और वातावरण के अनुसार एक कॉलोनी में आपको 5-50 हज़ार मधुमक्खिया देखने को मिल सकती है| एक कॉलोनी में कोनसी मधुमक्खी क्या काम करेगी, यह पहले से ही निश्चित होता है|

मधुमक्खी शहद कैसे बनाती है (Honey Kaise Banta Hai)

शहद अमृत और पराग दो अवयवों से मिलकर बनता है, इन दोनों ही अवयवों को मधुमक्खियां फूलों से प्राप्त करती है| अमृत एक मीठा तरल पदार्थ है, जिसे फूल के दिल से एकत्रित किया जाता है, जबकि पराग को फूल के परागकोश से प्राप्त किया जाता है| शहद बनाने में मधुमक्खियां अलग-अलग तरह की विशेष भूमिका निभाती है, जिसमे से कुछ मधुमक्खियाँ केवल पराग एकत्रित करने का काम करती है, तो अन्य मधुमक्खियां सिर्फ अमृत एकत्रित करती है| नीचे आपको मधुमक्खी से शहद बनाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया बताई जा रही है:-

मधुमक्खी की कॉलोनी:- मधुमक्खियों के एक छत्ते या कॉलोनी में 3 तरह की मधुमक्खियां होती है| इसमें रानी, नर और मजदूर मधुमक्खियां होती है| हजारो की संख्या वाले मधुमक्खी के छत्ते में सिर्फ एक रानी मधुमक्खी होती है, जो आकार में बाकि मधुमक्खियों से काफी बड़ी और चमकीली होती है| जिस वजह से इसे झुंड में भी आसानी से पहचाना जा सकता है| पूरे छत्ते में अंडे देने का काम इसी रानी मधुमक्खी द्वारा किया जाता है| रानी मधुमक्खी नर या ड्रोन मधुमक्खी की सहायता से एक दिन में तकरीबन 2-3 हज़ार अंडे देती है| एक छत्ते में नर मधुमक्खियों की संख्या 0 से लेकर 300 तक हो सकती है, जो बदलती रहती है| इन मधुमक्खियों का काम सिर्फ रानी मधुमक्खी की अंडे देने में सहायता करना है|

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मजदूर मधुमक्खियां:- एक छत्ते में सबसे ज्यादा मजदूर मधुमक्खियां शामिल होती है, जिनकी संख्या हज़ार से ऊपर होती है| इन्हें बाँझ मादा मधुमक्खी भी कहते है| मजदूर मधुमक्खियां अंडे देने के अलावा छत्ते का सारा काम करती है, इन्हें इतनी ज्यादा मेहनत करती पड़ती है, कि इनके पास सोने का भी टाइम नहीं होता है| छत्ते का निर्माण करने, फूल से रस लाकर शहद बनाने और अंडे बच्चो की देखभाल करने का सारा काम मजदूर मक्खियों द्वारा ही संपन किया जाता है| इसलिए इन्हें शहद वाली या श्रमिक मधुमक्खी भी कहा जाता है|

शहद के लिए मेहनत:- शहद बनाने या डंक मारने का काम केवल मादा या मजदूर मक्खियों द्वारा ही किया जाता है| मादा मधुमक्खी के दो पेट होते है, जिसमे से एक पेट खाना खाने और दूसरा फूलो का रस जमा करने के लिए होता है| एक किलो शहद तैयार करने के लिए तकरीबन 40 लाख फूलो का रस चूसा जाता है, जिसके लिए मधुमक्खियां करीब 90 हज़ार मील की उड़ान करती है| मधुमक्खियां अपने सभी काम बड़ी तेजी से करती है, क्योकि उन्हें छत्ते के और भी काम करने होते है| फूलों का रस या परागण करने के लिए जाते समय मधुमक्खी 20 मील प्रति घंटा तथा रस लेकर छत्ते के पास आते समय 17 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से यात्रा संपन्न करती है|

फूलो की तलाश में मधुमक्खी कई किलोमीटर दूर तक चली जाती है| शहद की गुणवत्ता मधुमक्खी की प्रजाति और एकत्रित किए गए रस के प्रजाति के आधार पर निर्भर करती है| अलग-अलग प्रजाति और जलवायु के अनुसार शहद बनाने वाली मादा मधुमक्खी का जीवनकाल लगभग 21 से 60 दिन का होता है| इस तरह से तक़रीबन 12 मधुमक्खियां मिलकर अपने पूरे जीवनकाल में 1 चम्मच शहद तैयार करती है|

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शहद बनाने की प्रक्रिया:- मधुमक्खियों के पास दो पेट होते है, जिसमे से एक पेट खाना खाने और दूसरा पेट फूलो के रस को इकठ्ठा करने के लिए होता है| मधुमक्खियां अपने दूसरे विशेष पेट में फूलों का रस चूसकर एकत्रित करती है| यह मधुमक्खियां अपने वजन के बराबर रस जमा कर अपने छत्ते तक वापस आ सकती है| छत्ते पर पहुंचकर मधुमक्खियां अपने मुंह से पेट में जमा किए गए रस को बाहर निकालकर दूसरी मजदूर मक्खियों को दे देती है| यह मजदूर मक्खियां इस रस को कई मिनटों तक चबाती रहती है, ताकि उनके शरीर में मौजूद ग्रंथि से एंजाईम निकलकर रस में मिल जाए, और बाद में यह एंजाईम मिलकर सुक्रोज, फ्रक्टोज और ग्लूकोज में टूट जाता है|

इसके बाद इस रस को मधुमक्खियां मधुकोषो में डाल देती है, जिसके बाद सारा पानी वाष्प में परिवर्तित होकर उड़ जाता है, और बचा हुआ रस गाढ़ा होकर शहद बन जाता है| पानी को वाष्प में परिवर्तित करने के लिए मधुमक्खियां अपने पंखो से हवा भी करती है| इसके बाद जब शहद बनकर तैयार हो जाता है, तो दूसरी मधुमक्खियों द्वारा मधुकोषो को मोम से बंद कर दिया जाता है, ताकि शहद सुरक्षित बना रहे है| इस शहद का सेवन भूख लगने पर मधुमक्खियों या उनके बच्चो द्वारा किया जाता है|

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मधुमक्खियों द्वारा रोग व् संक्रमण से बचाव (Bee Prevention of Disease and Infection)

मधुमक्खियां अपने छत्ते को रोग व् संक्रमण से बचाने के लिए हर तरह के प्रयास करती है| जब उन्हें पता चलता है, कि उनके बच्चे की तबियत ख़राब है, या कोई लार्वा संक्रमित है, तो वह उस लार्वा को मारकर खा जाती है, ताकि उस संक्रमित लार्वा की वजह से अन्य लार्वा संक्रमित न हो जाए| मधुमक्खियों का यह व्यवहार ‘हाइजीनि कैनिबैल्जिम’ कहलाता है| मधुमक्खियों के ऐसा करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य अपनी कॉलोनी या छत्ते में बीमारी फैलने से रोकना और साफ-सफाई बनाए रखना|

अमेरिकी मधुमक्खी विशेषज्ञ जे. इवांस का कहना है, कि मधुमक्खियों के लिए यह प्रक्रिया अपनाना जरूरी होता है, क्योकि इस तरह से मधुमक्खी अपने छत्ते को सभी तरह के फंगस या बैक्टीरिया के हमले से बचाती है|

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मधुमक्खियों का महत्त्व (Bee Importance)

मधुमक्खियां हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योकि यह शहद देने के साथ ही पूरी दुनिया को जीवित रखने का भी काम करती है| दुनिया के प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा है, कि जिस दिन दुनिया की आखरी मधुमक्खी मर गई, उसके 4 साल बाद ही मानव जीवन समाप्त हो जाएगा| इसके पीछे का मुख्य कारण यह है, कि मधुमक्खियां फूलो का रस चूसकर परागण करती है, जो फल बनने के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है|

इसलिए अगर मधुमक्खियां नहीं होंगी तो परागण की प्रक्रिया नहीं हो पाएगी, और परागण न होने से न तो फल बनेंगे, और न ही बीज मिल पाएँगे| इस तरह से बीज न होने से पौधा नहीं उगेगा, जिससे फलदार वृक्ष का खात्मा हो जाएगा, जिसके बाद मनुष्य को सिर्फ अनाज और डाल का सेवन कर जीवन गुजारना पड़ेगा| वृक्ष के न होने से ऑक्सीजन की कमी होने लगेगी, और धीरे-धीरे सब कुछ ख़त्म हो जाएगा| 

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मधुमक्खियों से संबंधित कुछ मुख्य बिंदु (Bee Related Some Key Points)

  • एक रानी मधुमक्खी को अंडे से वयस्क होने में 16 दिन का समय लगता है| इसी तरह से एक मजदूर मधुमक्खी को अंडे से वयस्क होने में 18 से 22 दिन और नर मधुमक्खी को वयस्क होने में 24 दिन का समय लगता है|
  • रानी मधुमक्खी का जीवन 2 से 4 वर्ष का होता है, तथा अपने पूरे जीवनकाल में रानी मधुमक्खी एक बार मैथुन करती है| मैथुन प्रक्रिया के दोरान रानी मधुमक्खी अपने अंदर भारी मात्रा में स्पर्म इकठ्ठा कर लेती है, जिसके बाद जीवनभर यह इन्ही स्पर्म से अंडो को देती है| रानी मधुमक्खी एक दिन में तकरीबन 2 से 3 हज़ार अंडे दे देती है, तथा जिन्दगीभर में यह मधुमक्खी तकरीबन 15 लाख अंडे देती है| 
  • छत्ते के लिए मोम को भी मधुमक्खियों द्वारा ही बनाया जाता है| मोम बनाने के लिए मधुमक्खी अपने पेट की ग्रंथि से एक तरल पदार्थ बाहर निकालती है, जो हवा के संपर्क में आते ही सख्त मोम में बदल जाता है|
  • सर्दियों या पतझड़ का मौसम शुरू होने पर रानी मधुमक्खी को मजदूर और नर मधुमक्खियों के साथ मिलकर एक नया छत्ता बनाना पड़ता है| इस प्रक्रिया को वृन्दन कहते है|
  • शहद में लगभग 32% ग्लूकोज, 38% फ्रक्टोज, 1.3% सुक्रोज, 9% अन्य शर्कराएं, 0.17% अम्ल, 2.92% एंजाइम, 0.64% एश, 17% पानी, रंग, लवण और विटामिन शामिल होता है|

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