अगरवुड की खेती कैसे होती है | Agarwood Farming In Hindi | अगरवुड की कीमत


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अगरवुड की खेती (Agarwood Farming In Hindi)

अगरवुड की खेती सुगन्धित लकड़ी के लिए की जाती है, इसे गॉड ऑफ़ वुड भी कहते है| इसका रासायनिक नाम एक्वीलेरिया है| अगरवुड पूर्व, दक्षिण एशिया मूल का पौधा है| विश्व में अगरवुड के पेड़ो का उत्पादन भारत, चीन, वियतनाम, सुमात्रा, मलाया, बांग्लादेश, कंबोडिया, म्यांमार, भूटान, लाओस, मलक्का, सिंगापुर और जावा देशो में किया जाता है| यह एक्विलरिया की एक संक्रमित लकड़ी है, जिसका पूर्ण विकसित वृक्ष 40 मीटर लम्बा और 80 CM तक चौड़ा होता है| यह एक जंगली पेड़ है, जो कुछ विशेष परजीवी कवक या सांचो से संक्रमित होकर विकसित होते है| यह फियालोफोरा पैरासिटिका कहलाते है| इस संक्रमण से अप्रभावित पौधा प्रतिक्रिया कर हर्टवुड से अगरवुड में परिवर्तित हो जाता है| यह पूरी तरह से गंधहीन पूर्ण संक्रमण होता है, जो समय के साथ अधिक संक्रमित होकर गहरे रंग का राल उत्पन्न करता है|

यह एक मूल्यवान लकड़ी है, जिससे अधिक सुगंध उत्पन्न होती है, जिस वजह से इसे धूप और इत्र को बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है| इस सुगन्धित गुण को भौगोलिक स्थिति, गुण प्रजातियों, मूल उत्पत्ति, शाखा, तना और संक्रमण के पश्चात् लिए गए समय और कटाई के तरीको से प्रभावित होने के पश्चात् प्राप्त किया जाता है| तक़रीबन 10% ही प्राकृतिक रूप से एक्विलरिया पेड़ के राल  का उत्पादन किया जा सकता है| भारत में अगरवुड का उत्पादन उत्तर भारत और पूर्वी हिमाचल के करीबी क्षेत्रों , नागालैंड, त्रिपुरा, असम, केरल और मणिपुर में उगाया जाता है| सिलहट में मिलने वाले अगरवुड को सबसे अच्छा माना जाता है| किसान अगरवुड की खेती कर अधिक से अधिक कमाई करते है| यदि आप भी अगरवुड का उत्पादन करना चाहते है, तो इस लेख में आपको अगरवुड की खेती कैसे होती है (Agarwood Farming In Hindi) तथा अगरवुड की कीमत के बारे में जानकारी दी जा रही है|

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अगरवुड वृक्ष के गुण (Agarwood Tree Properties)

  • अगरवुड एक गहरे रंग वाली राल लड़की है, जिसे धूप, इत्र और अलोववुड या घ्रुवुड छोटी नक्काशी तैयार करने के लिए इस्तेमाल में लाते है|
  • वन्य संसाधन कमी के चलते अगरवुड की लागत अधिक पायी जाती है|
  • इसकी गंध प्राकृतिक अनुरूपता लिए हुए सुखद व् जटिल होती है|

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अगरवुड की उन्नत किस्में (Agarwood Improved Varieties)

एक्विलरिया की बहुसंख्यकी प्रजातियां प्राकृतिक या अनुकृति रूप से प्रभावित होकर अगरवुड में परिवर्तित हो जाती है| यह सभी प्रजातियां पूरे विश्व के अलग-अलग देशो में उगाई जाती है| यह सभी अगरवुड तेल और विशेषताओ के रूप में एक दूसरे से बिल्कुल अलग होती है|

क्रं. सं.प्रजाति का नामउत्पादन स्थान
1.एक्वीलेरिया बेल्लोनीकंबोडिया, इंडोचाइना, थाईलैंड
2.एक्विलरिया बनेंसिसवियतनाम
3.एक्विलरिया Urdanetensisफिलीपींस
4.एक्विलरिया युन्नानेंसिसचीन
5.एक्विलरिया बेकेरियानादक्षिण पूर्वी एशिया
6.एक्वीलेरिया ब्राच्यन्थादक्षिण पूर्व एशिया – फिलीपींस
7.एक्वीलेरिया साइनेंसिसचीन
8.एक्विलरिया सबिन्टेग्राथाईलैंड
9.एक्विलारिया सिट्रिनिकार्पादक्षिणपूर्व एशिया – फिलीपींस (मिंडानाओ)
10.एक्विलरिया क्रासनाथाईलैंड, कंबोडिया, इंडोचीन, वियतनाम, लाओ पीडीआर, भूटान
11.एक्वीलेरिया कमिंगियानाइंडोनेशिया
12.एक्विलरिया डीसमकोस्टाटाफिलीपींस
13.एक्विलरिया रोस्ट्रेटमलेशिया
14.एक्विलरिया रगोजपापुआ न्यू गिनी
15.एक्विलरिया फाइलेरियाइंडोनेशिया
16.एक्विलरिया हिरतामलेशिया, इंडोनेशिया
17.एक्विलरिया खासियानाभारत
18.एक्विलरिया मैलाकेंसिसलाओ पीडीआर, मलेशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, भूटान, बर्मा
19.एक्विलरिया माइक्रोकार्पाइंडोनेशिया, बोर्नियो
20.एक्विलरिया परविफोलियाफिलीपींस (लुजोन)

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अगरवुड की खेती कैसे होती है (Agarwood Farming In Hindi)

अगरवुड की खेती में उपयुक्त भूमि और तापमान (Agarwood Cultivation Suitable Soil and Temperature) की पूरी जानकारी को समझकर किसान भाई अच्छी खेती करके लाभ कमा सकते है, जिसकी जानकारी इस तरह से है:-

अगरवुड के अच्छे उत्पादन के लिए उन्हें समुद्री तल से 750 मीटर की ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में लगाए| इसकी खेती के लिए हल्की रेतीली, पीली और लाल पोडज़ोलिक भूमि की जरूरत होती है| इसके पौधे 2,000 से 4,000 M.M. तक वर्षा सहन कर सकते है| इसके अलावा अगर के वृक्षों को पारिस्थितिकी तंत्र  में भी अच्छे से ऊगा सकते है| इसके पौधे अधिकतम 33 डिग्री तथा न्यूनतम 20 डिग्री तापमान पर ठीक से विकास कर लेते है|

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अगरवुड के वृक्ष रोपाई का तरीका (Agarwood Tree Planting Method)

कई किसान भाई अगरवुड की पौध रोपाई कृत्रिम टीकाकरण (Artificial Inoculation) विधि का इस्तेमाल कर करते है| इस तकनीक द्वारा की गयी रोपाई में प्राकृतिक विधि की तुलना में दशकों तक इंतजार नहीं करना पड़ता है| आपको कम समय में ही अगरवुड प्राप्त हो जाता है| इसके अलावा अच्छी गुणवत्ता वाले पौधों का चयन कर अच्छे वृक्ष प्राप्त किये जा सकते है|

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अगरवुड के लिए एक्विलरिया अंकुर (Agarwood Aquilaria Seedlings)

अगरवुड की जरूरत पूरी हो सके इसके लिए अधिक से अधिक पौधरोपण करे| वर्तमान में 20% तक अगरवुड का उत्पादन प्राप्त हो जाता है| आप निजी नर्सरी के जरिये सफलतापूर्वक खेती कर सकते है| अगर की खेती के पहले चरण में आपको एक्वीलेरिया युक्त बीज की पहचान करनी होती है| इसके बाद दूसरे चरण बीज परिपक्वता में फैलाव की प्रक्रिया को पूर्ण करते है| प्रस्फुटन के पश्चात् प्रोपेगेशन की प्रक्रिया को पूरा कर सकते है|

अगरवुड के वृक्ष पर लकड़ी में छेद करने वाले दीमक और पत्ती खोदने वाले कीट के साथ ही फंगल संक्रमण का भी खतरा रहता है| इन चीजों पर नियंत्रण पाने और पेड़ो के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए कीटनाशक व कवकनाशी दवा का उपयोग करना चाहिए| पेड़ की नियमित निगरानी कर और उन्हें समय पर उपचार देकर वृक्ष के स्वस्थ्य रहने में मदद की जा सकती है|

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अगरवुड की खेती में सहायक भूमि की तैयारी और रोपण (Agarwood Cultivation India Hindi)

पारिस्थितिक स्थितियों का अंदाजा लगाकर संभावित प्रजातियों का चुनाव बहुत जरूरी होता है| जिन्हे जीवित रूप से उगाया जा सके| अक्सर रुके हुए पानी की वजह से 3 से 4 वर्ष पुराने पौधे मर जाते है| इसके मरने के पीछे सिर्फ भरा हुए पानी जिम्मेदार होता है, भूमि और जलवायु नहीं| मृत्यु दर को घटाने के लिए ढालू भूमि में वृक्षारोपण कर सकते है| रोपाई में 60-90 CM की ऊंचाई पाने के लिए भूमि में प्रत्यारोपित कर सकते है| पॉली बैग में जड़ो का जमाव हो जाता है, जिस वजह से पुराने पौधों को नहीं लगाना चाहिए| यदि पॉली बैग बड़ा नहीं है, तो 120 CM ऊपर के पुराने हो चुके अंकुर वाले अंकुरों से बचाव जरूरी है|

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अगरवुड की खेती में उपयुक्त खाद व उवर्रक (Agar wood Suitable Fertilizers and Fertilizers)

अगरवुड की खेती में मिट्टी को शिथिल करने के लिए भूमि में कोको पीट का छिड़काव किया जाता है| इससे मिट्टी में ऑक्सीजन युक्त गुणों की मात्रा अधिक हो जाती है| डी अमोनियम फॉस्फेट (DAP) और ट्रिपल सुपरफॉस्फेट (TSP) के माध्यम से मिट्टी में फास्फोरस की मात्रा को नियंत्रित किया जाता है| यह अत्यंत घुलनशील उवर्रक होते है, जो मिट्टी में आसानी से घुल जाते है, और पौधों में फॉस्फेट छोड़ते है| गाय के गोबर को जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है| इसमें कीड़े के प्रकोप को रोकने के लिए 20 GM फुनादान की मात्रा को मिलाना होता है|

दक्षिण पूर्व एशिया के पहाड़ी इलाकों और घने जंगलो में अकीलारिया का पौधा पाया जाता है| अकीलारिया के वृक्ष से ही अगरवुड की लकड़ी मिलती है| दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित दुनिया के तक़रीबन 15 देशों में अगरवुड की 26 प्रजातियां पाई जाती है| भारत के अलावा मलयेशिया, ब्रुनई, इंडोनेशिया, फिलिपींस, चीन, बांग्लादेश, कंबोडिया, सिंगापुर, पापुआ न्यू गिनिया, लाओस, भूटान, म्यांमार और थाइलैंड जैसे देशों में अकीलारिया की भिन्न-भिन्न प्रजातियां पाई जाती है|

वहीँ भारत के असम राज्य को अगरवुड का सबसे बड़ा उत्पादक कहां गया है| जिस वजह से असम को अगरवुड कैपिटल ऑफ़ इंडिया नाम दिया गया है| असम की अगरवुड आयल इंडस्ट्री पर तक़रीबन एक लाख लोग सीधे तौर पर आश्रित है| अगरवुड आयल का उपयोग इत्र बनाने में करते है|

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अगरवुड की कीमत (Agarwood Price)

अगरवुड को एक लग्जरी उत्पाद के तौर पर जाना जाता है| भारतीय वेदो और दुनिया के कई धर्मो की किताबो में भी इसकी चर्चा है| अभी तक पूरे विश्व में अगरवुड का व्यापार 32 बिलियन डॉलर तक है| इसकी बढ़ती डिमांड को देखते हुए ऐसा अनुमान लगाया गया है, कि वर्ष 2029 तक अगरवुड का व्यापार 64 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है|

इसकी लकड़ी की गोंद से तेल प्राप्त किया जाता है| इस तेल को इत्र बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है| इस तेल की कीमत इतनी अधिक होती है, कि इसे लिक्विड गोल्ड भी कह सकते है| ऑड आयल का बाज़ारी भाव तक़रीबन 50 हज़ार डॉलर प्रति किलो होता है| जिसकी भारतीय रुपयों में कीमत प्रति किलोग्राम 36 लाख रूपए है| अगरवुड के वृक्षों को लगाकर करोड़ो की कमाई की जा सकती है|

यदि आपके क्षेत्र की स्थानीय जलवायु अगरवुड का वृक्ष उगाने के लिए उपयुक्त है, तो आप घर पर भी अगरवुड का पौधा उगा सकते है| हालाँकि अगरवुड के पौधे को किसी भी दीवार या संरचना से कम से कम 10 फ़ीट की दूरी पर रखें|

भारतीय पर्यावरण विभाग द्वारा अगरवुड को लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में चिन्हित किया गया है| हालाँकि कृत्रिम खेती वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैसे असम में अगरवुड पाया जाता है|

भारत में अगरवुड के पौधे की अनुमानित कीमत तक़रीबन 5-6 लाख रूपए प्रति किलोग्राम है| वहीँ अंतरराष्ट्रीय बाजार व् विशिष्ट बाज़ारों में यह कीमत 2-3 गुना बढ़ जाती है|

एक्विलारिया परिवार सबसे अच्छी अगरवुड का उत्पादन करती है, जिसमे 25 प्रजातियां शामिल है| लेकिन यह सिर्फ 19 अगरवुड का ही उत्पादन करती है| दुनिया में वियतनाम की एक्विलारिया क्रास्ना प्रजाति को सबसे अच्छी अगरवुड कहां गया है|

यदि अगरवुड को खेत में लगाया गया है, तो उसे परिपक्व होने में 4-5 वर्ष लग जाते है, जिसके बाद अगरवुड का वृक्ष कटने योग्य हो जाता है| वहीँ अगर अगरवुड जंगल में उगा है, तो उसे परिपक्व होने में एक दशक का समय लग जाता है|

पूरी तरह से तैयार अगरवुड का पेड़ 40 मीटर की ऊंचाई तक पहुँच जाता है|

अगरवुड को ऊद, गहरू, ईगलवुड और एलोसवुड जैसे नाम से जाना जाता है, जिसका उपयोग सिर्फ गैर-लकड़ी प्रयोजनों के लिए होता है| यह एक्विलेरिया प्रजाति द्वारा उत्पादित थाइमेलिएसी परिवार से संबंध रखता है|

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