मशरूम की खेती कैसे होती है | Mushroom Farming in Hindi | Mushroom Price


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मशरूम की खेती (Mushroom Farming) से सम्बंधित जानकारी

भारत देश के कई राज्यों में मशरूम को कुकुरमुत्ता के नाम से भी जाना जाता है | यह एक तरह का कवकीय क्यूब होता है, जिसे खाने में सब्जी, अचार और पकोड़े जैसी चीजों को बनाने के इस्तेमाल किया जाता है | मशरूम के अंदर कई तरह के पोषक तत्व मौजूद है, जो मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक होते है | संसार में मशरूम की खेती को हज़ारो वर्षो से किया जा रहा है, किन्तु भारत में मशरूम को तीन दशक पहले से ही उगाया जा रहा है | हमारे देश में मशरूम की खेती को हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में व्यापारिक स्तर पर मुख्य रूप से उगाया जा रहा है |

भारत में वर्ष 2021-22 में मशरूम का उत्पादन तक़रीबन 1.30 लाख टन के आस-पास था, वही वर्तमान समय में किसानो की रुचि मशरूम की खेती की और अधिक देखने को मिल रही है | हमारे देश में मशरूम को खाने के अलावा औषधि के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है | मशरूम में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज लवण और विटामिन जैसे उच्च स्तरीय गुण उपस्थित होने के कारण पूरे विश्व में खाने में इसका विशेष महत्व है | मशरूम के उपयोग से अनेक प्रकार की खाने की चीज़ो को जैसे :- नूडल्स, जैम (अंजीर मशरूम), ब्रेड, खीर, कूकीज, सेव, बिस्किट, चिप्स, जिम का सप्लीमेन्ट्री पाउडर, सूप, पापड़, सॉस, टोस्ट, चकली  आदि को बनाया जाता है | इसकी अलग-अलग किस्मो को पूरे वर्षा उगाया जा सकता है|

सरकार द्वारा मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानो को कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य प्रशिक्षण संस्थाओं में मशरूम की खेती करने की विधि, मशरूम उत्पादन, मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण, मशरूम बीज उत्पादन तकनीकी प्रसंस्करण आदि विषयो के बार में प्रशिक्षण दिया जा रहा है | इसके अतिरक्त राज्य सरकारे मशरूम की खेती करने के  लिए किसानो को 50 प्रतिशत का लागत अनुदान देगी | मशरूम की खेती करने में कम जगह लागत लगती है | जिससे किसान भाई कम समय में मशरूम की खेती कर कई गुना मुनाफा कमा रहे है | यदि आप भी मशरूम की खेती करने का मन बना रहे है, तो इस पोस्ट में आपको मशरूम की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है |

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मशरूम की उन्नत किस्में (Mushroom Improved Varieties)

विश्व में मशरूम की कई उन्नत किस्मो का उत्पादन किया जाता है, किन्तु भारत में मशरूम की सिर्फ तीन प्रजातियां पाई जाती है | जिनसे खाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है |

ढिंगरी मशरूम

इस किस्म की मशरूम की खेती को करने के लिए सर्दियों के मौसम को उचित माना जाता है | सर्दियों के मौसम में इसे भारत के किसी भी क्षेत्र में ऊगा सकते है, किन्तु सर्दियों के मौसम में समुद्रीय तटीय क्षेत्रों को इसकी खेती के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है | क्योकि ऐसी जगहों पर हवाओ में नमी की 80%मात्रा पाई जाती है | मशरूम की इस किस्म को तैयार होने में 45 से 60 दिन का समय लगता है |

दूधिया मशरूम

दूधिया मशरूम की इस प्रजाति को केवल मैदानी इलाको में उगाया जाता है | मशरूम की इस किस्म में बीजो के अंकुरण के समय 25 से 30 डिग्री तापमान को उपयुक्त माना जाता है | इसके अलावा मशरूम के फलन के समय इसे वक्त 30 से 35 तापमान की आवश्यकता होती है | इस किस्म की फसल को तैयार होने के लिए 80 प्रतिशत हवा में नमी होनी चाहिए |

श्वेत बटन मशरूम

मशरूम की इस किस्म का इस्तेमाल खाने में सबसे अधिक किया जाता है | श्वेत बटन मशरूम की फसल को तैयार होने के लिए आरम्भ में 20 से 22 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | मशरूम फलन के दौरान इन्हे 14 से 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | इसकी खेती को अधिकतर सर्दियों के मौसम में किया जाता है, क्योकि इसके क्यूब को 80 से 85% वायु नमी की आवश्यकता होती है | इसके क्यूब सफ़ेद रंग के दिखाई देते है, जो कि आरम्भ में अर्धगोलाकार होते है |

शिटाके मशरूम किस्म

मशरूम की इस किस्म की खेतो को जापान में विस्तार रूप से किया जाता है | इसके क्यूब आकार में अर्धगोलाकार तथा उनमे हल्की लालिमा दिखाई देती है | इसके बीजो को आरम्भ में 22 से 27 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, तथा क्यूब के विकास के दौरान इन्हे 15 से 20 डिग्री तापमान की जरूरत होती है |

पैडीस्ट्रा मशरूम

पैडीस्ट्रा मशरुम को ‘गर्म मशरूम’ भी कहते है, क्योंकि यह उच्च तापमान पर काफी तेजी से बढ़ता है| अनुकूल परिस्थितियों में भी यह 3-4 सप्ताह में अपना फसल चक्र पूरा कर लेता है| पैडीस्ट्रा मशरूम में प्रोटीन, विटामिन व् खनिज लवण की उच्च मात्रा होने के साथ ही अच्छा स्वाद, सुगंध व् नाजुकता होती है| इसी वजह से पैडीस्ट्रा मशरूम की स्वीकार्यता काफी अधिक है| यह मशरूम भी सफ़ेद बटन मशरूम जितनी लोकप्रिय है| भारत के झारखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और उड़ीसा में पैडीस्ट्रा मशरूम उगाई जाती है| इसकी वृद्धि के लिए 60-70% सापेक्षित आद्रता के साथ 28-35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है| 

मशरूम की खेती के लिए महत्वपूर्ण तत्व (Mushroom Cultivation Important Elements)

मशरूम की खेती को करने के लिए बंद जगह की आवश्यकता होती है, इसके अलावा भी कई तरह के सामानो की आवश्यकता पड़ती है, जिनके अंदर मशरूम को तैयार किया जाता है | मशरूम की फसल में आरम्भ में उचित लम्बाई और ऊंचाई वाले आयताकार सांचो को तैयार कर लिया जाता है, जो कि एक संदूक की भांति दिखाई देते है | वर्तमान समय में यह सांचे लकड़ी के अलावा और भी चीजों के बनाये जा रहे है | मशरूम की खेती में चावल की भूषि, भूसा तथा अन्य फसलों की आवश्यकता होती है | भूसा बारिश का भीगा न हो, यदि भूसा कटा न हो तो उसे मशीन से काट लेना चाहिए | जिसके लिए आपको भूसा कटाई मशीन की भी जरूरत होगी |

इसके बाद कटे हुए भूसे को उबाल लिया जाता है, जिसका इस्तेमाल बीजो को उगाने के लिए किया जाता है | भूसे को अधिक मात्रा में उबाला जाता है, जिसके लिए दो बड़े ड्रमों की आवश्यकता होती है| इसके बाद उबले हुए भूसे को ठंडा कर उन्हें बोरो में भर दिया जाता है, जिसके बाद उन बोरो में बीजो को लगा दिया जाता है | अब इन बोरो के मुँह को रस्सी, टाट, या पॉलीथिन से बाँध दिया जाता है | यह सारी प्रक्रियाओं के करने के बाद इन बोरो में नमी बनाये रखने के लिए एक स्प्रेयर या बड़े कूलर की भी आवश्यकता होती है |

बीजो को उगाने के लिए आधार सामग्री को तैयार करना

मशरूम की खेती में बीजो को उगाने के लिए कूड़ा खाद को तैयार किया जाता है| इसके लिए कृषि के बेकार अवशेषों को उपयोग में लाया जाता है | बारिश में भीगे हुए कृषि अपशिष्टों में उपयोग में नहीं लाया जाता है | लाये गए इन कृषि अपशिष्टों की लम्बाई 8 CM तक होनी चाहिए, जिससे इन्हे मशीन से काटकर तैयार किया जा सके |

कूड़ा खाद को तैयार करते समय माइक्रोफ्लोरा का निर्माण किया जाता है | तैयार की गई इस खाद में सेल्यूलोज, हेमीसेल्यूलोज और लिग्‍निन भी मौजूद होता है | चावल और मक्के के भूसे को गेहूं के भूसे की अपेक्षा अधिक उपयुक्त माना जाता है | क्योकि इस भूसों में क्यूब अधिक तेजी से तैयार होते है | आरम्भ में मशरूम को बंद कमरे में रखा जाता है, किन्तु एक बार मशरूम में क्यूब निकल आने पर इन्हे कम से कम 6 घंटे की ताज़ी हवा चाहिए होती है | जिसके लिए उन कमरों में जहाँ पर मशरूम को उगाया जा रहा है, उनमे खिड़कियों और दरवाजे का होना जरूरी है, जिससे हवा कमरों में आती जाती रहे |

मशरूम की फसल में रोग (Mushroom Crop Diseases)

यदि मशरूम फसल की ठीक तरह से देख-रेख न की जाए, तो कई तरह के कीट व् रोगों का हमला देखने को मिल सकता है:-

  • हरी फफूंद:- इस तरह का रोग कस्‍तूरा कुकुरमुत्ते पर सामान्य रूप से देखने को मिलता है, जिसके क्यूबों पर हरे रंग के धब्बे दिखाई देते है| इस पर नियंत्रण के लिए फॉर्मालिन के घोल में 40% कपड़े को भिगोकर उससे प्रभावित क्षेत्र को साफ करें| यदि फफूंदी आधे से ज्यादा क्यूब पर आक्रमण कर रही है, तो सम्पूर्ण क्यूब को हटा दें| इस दौरान इस बात का भी ख्याल रखें, कि क्‍यूब को पुनः यह संक्रमण न लगने पाए, जिसके लिए प्रभावित क्यूब को दूर ले जाकर जला देते है, या दफ़न कर देते है|
  • मक्खियां:- देखा गया है, कि मशरूम की फसल पर सेसिड मक्खियां, फोरिड मक्खियां और स्‍कैरिड मक्खियां मशरूम या स्पॉन की गंध पर आक्रमण करती है| यह मक्खियां मशरूम अथवा भूसी या उससे पैदा हुए अंडे पर अंडे देती है| इस तरह से कुकुरमुत्ता नष्ट हो जाता है| अंडे माइसीलियम कुकुरमुत्ते पर निर्वाह करते है, और फल पैदावार करने वाले भाग के अंदर घुस जाते है, जो उपभोग के लिए अनुपयुक्त होता है| बड़ी मक्खी को रोकने के लिए खिड़कियों, दरवाजों अथवा रोशनदानों पर 30 मेश नाइलोन या वायर नेट का पर्दा लगा देना चाहिए| इसके अलावा मशरूम गृह में मक्खियों को भगाने के लिए दवा या मक्खीदान का इस्तेमाल करना चाहिए|
  • कुटकी:- यह बहुत ही पतले रेंगने वाले छोटे-छोटे कीट होते है, जो मशरुम पर दिखाई देते है| कम मात्रा में यह कीड़े हानिकारक नहीं होते है, लेकिन बड़ी संख्या में होने पर उत्पादकता चिंतित रहती है| इसकी रोकथाम के लिए पर्यावरण साफ-सुथरा रखें|
  • शम्‍बूक, घोंघा:- यह कीट संक्रमण फैलाकर मशरूम के पूरे भाग को ही खा जाता है, तथा बैक्टीरिया फसल की गुणवत्ता पर प्रभाव डालता है| इसकी रोकथाम के लिए क्यूब से पीटों को हटाकर मर डालना चाहिए, और साफ-सुथरी स्थिति बनाए रखें|
  • कृन्‍तक:- कृन्‍तक रोग का हमला ज्यादातर कम कीमत वाले मशरूम हाउस पर देखने को मिलता है| यह अनाज की स्पॉन को खाकर क्यूब के अंदर छेद कर देते है, इससे बचाव के लिए चूहा विष चारे का उपयोग मशरूम गृहों में करें, या चूहें के बिल को बंद कर दें|
  • इंक कैप:- यह मशरूम का खरपतवार होता है, जो क्यूबों पर विकसित हो जाता है, और बाद में परिपक्व होकर काले स्लिमिंग काई में विखंडित हो जाता है| नियंत्रण उपाय कर कोपरीनस को क्यूबों के शरीर से हटाया जा सकता है|

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मशरूम की बुवाई (Mushroom Seeding)

मशरूम के बीजो की रोपाई के लिए तैयार किये गए संदूक नुमा सांचो में बानी स्लेबो पर पॉलीथिन को अच्छी तरह से लगा दे, इसके बाद कम्पोस्ट खाद की 6-8 इंच मोटी परत को बिछा दे | इस कम्पोस्ट खाद की परत के ऊपर बीजो (स्पॉन) को दाल देना चाहिए | बीजाई के तुरंत बाद इन्हे पॉलीथिन से ढक देना चाहिए | कम्पोस्ट खाद की 100 KG की मात्रा में बीजो की रोपाई के लिए 500-750 GM स्पॉन पर्याप्त होते है |

बीजो को रखने में सावधानियां (Seed Keeping Precautions)

मशरूम के बीज 40 डिग्री या उससे अधिक तापमान होने पर 48 घंटे के अंदर ही ख़राब हो जाते है | जिसके बाद इन बीजो से बदबू आने लगती है | इसके लिए गर्मियों के मौसम में इन्हे रात के समय में लेकर आना चाहिए | इसलिए बीजो को न्यूनतम तापमान देने के लिए थर्मोकोल के बने डिब्बों में बर्फ को भरकर उन बीजो को रख देना चाहिए | जिसके बाद इन बीजो को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में दिक्कत नहीं होगी | इसके अलावा किसी दूसरे स्थान तक ले जाने में वातानुकूलित वाहन से ले जाना चाहिए|

मशरूम का परिरक्षण (Mushroom Preservation)

मशरूम को ताज़ा या फिर सुखा कर भी खाया जा सकता है| चूंकि मशरूम शीघ्र ही नष्ट हो जाने वाली प्रकृति का होता है| जिस वजह से मशरूम का आगे इस्तेमाल करने के लिए उनका परिरक्षण करना आवश्यक होता है| ओयेस्टर मशरूम को परिरक्षित करने के लिए सबसे सस्ता व् पुराना तरीका धूप में सुखाना है|

मशरूम को गर्म हवा में सुखाना भी उपयोगी है, जिसके लिए मशरूम को डिहाइड्रेटर नामक उपस्‍कर में सुखाते है| एक बंद कमरे में मशरूम को जाल वाले तार से युक्त रैक में रखा जाता है, फिर इस रैक के माध्यम से तक़रीबन 7-8 घंटे तक गर्म हवा गुजरती है| मशरूम को सुखाकर वायुसह डिब्बे में स्टोर कर देते है| इसके बाद 6-8 महीने के लिए पोलीबैग में मशरूम को सील कर दिया जाता है| पूरी तरह से सूखने के बाद मशरूम अपने ताजे वजन के मुकाबले एक से घट कर तैरहवे भाग तक रह जाता है| ऊष्‍ण जल में भिगोकर मशरूम को पुन: जलित कर सकते है|

बीजो का भंडारण (Seed Storage)

मशरूम के ताजे बीज कम्पोस्ट में अधिक तेजी से फैलते है, जिससे बीजो से मशरूम जल्द ही निकलना आरम्भ हो जाते है, और पैदावार में वृद्धि देखने को मिलती है | इसके बावजूद कई परिस्थियो में बीजो का भंडारण करना जरूरी हो जाता है | ऐसी परिस्थितियों में बीजो को 15-20 दिन तक रेफ्रीजरेटर में भंडारण कर नष्ट होने से बचा सकते है |

मशरूम की तुड़ाई, पैदावार और लाभ (Mushroom Price)

मशरूम के बीज रोपाई के तक़रीबन 30 से 40 दिन पश्चात मशरूम देने के लिए तैयार हो जाते है | इसकी तुड़ाई के लिए मशरूम के डंठल को भूमि के पास से हल्का सा घुमाकर तोड़ लेना चाहिए | जिसे बाद इन्हे बाज़ार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है | इसके अलावा मशरूम की कुछ ऐसी किस्में होती है, जिन्हे सुखाकर उनका पाउडर बनाकर बेचा जाता है |

मशरूम का एक क्यूब तक़रीबन 9 CM की ऊंचाई का होता है | मशरूम का बाज़ारी भाव 200 से 300 रूपए किलो होता है | जिस हिसाब से किसान भाई मशरूम की खेती कर उन्हें खाने के रूप में या उनका पाउडर बनाकर अच्छी कीमत पर बेच कर कम समय में अधिक लाभ कमा सकते है |

मशरूम की खेती से सम्बंधित अक्सर पूछें जाने वाले प्रश्न:-

बाजार में 1 KG मशरूम की कीमत क्या है?

बाजार में कई तरह की मशरूम मिल जाती है, जिसकी कीमत 200-2,000 रुपए प्रति किलोग्राम होती है|

सबसे महंगा मशरूम कौन-सा है?

यूरोपियन व्हाइट ट्रफल मशरूम पूरी दुनिया का सबसे महंगा मशरूम है, जिसकी कीमत 7-9 लाख रूपए प्रति किलोग्राम बताई जाती है| यह भूरे रंग का होता है, जो पुराने पेड़ो पर स्वयं ही उग आता है, और खाने में बेहद स्वादिष्ट होता है|

1 KG बीज से कितना मशरूम उगा सकते है? 

यदि अच्छी गुणवत्ता वाले सब्सट्रेट, स्पॉन और इष्टतम परिस्थितियों का उपयोग किया जाए, तो प्रति किलोग्राम भूसे से 600-900 GM ताज़ी मशरूम काटी जा सकती है|

क्या मशरूम एक शाकाहारी भोजन है?

हाँ, मशरूम एक शुद्ध शाकाहारी भोजन है, जिसे नियंत्रित वातावरण और उवर्रक के साथ सूखी घास पर उगाया जाता है|

मशरूम की खेती किस महीने में करनी चाहिए?

मशरूम की खेती मार्च से सितंबर के महीने में करनी चाहिए|

क्या घर पर भी मशरूम की खेती की जा सकती है?

घर पर उगाने के लिए मशरूम एक अद्भुत विकल्प है| इच्छुक व्यक्ति अपने घर पर आसानी से मशरूम उगा सकते है|

मशरूम खाने के फ़ायदे और नुकसान क्या है?

मशरूम हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, लेकिन कुछ लोगों को मशरूम से एलर्जी होती है, जिस वजह उनकी त्वचा पर चकत्ते और जलन के लक्षण देखने को मिलते है| इसके अलावा सूखी नाक, सूखा गला और नाक से खून बहना भी मशरूम का अधिक सेवन करने की वजह हो सकता है|

मशरूम की खेती किस मिट्टी में करनी चाहिए?

आप मशरूम की खेती अपने बगीचे की मिट्टी में भी कर सकते है, लेकिन बगीचे की मिट्टी में जैविक सामग्री को जोड़ने के लिए खाद का उपयोग करना चाहिए|

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