राई की खेती कैसे करें | राई की उन्नत खेती -बुवाई का समय [राई की खेती का तरीका]


राई की खेती (Mustard Cultivation) से सम्बंधित जानकारी

राई की फसल तेलीय फसल के लिए की जाती है | तेलहनी फसलों में तोरिया, सरसो व् राई का प्रमुख स्थान प्राप्त है | इसकी फसल से निकलने वाले खाद्य तेल को भोजन बनाने तथा खली को जानवरो के चारे के रूप में इस्तेमाल करते है | उच्च गुणवत्ता और अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए राई की खेती के लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाकर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है | राई का तेल लगभग सभी घरो में उपयोग किया जाता है, जिस वजह से इसका रेट भी काफी अधिक रहता है |

राई की खेती करने से पहले यह जरूर जान ले कि राई कैसे बोई जाती है, या राई को बोने के लिए सबसे सही समय कोनसा होता है | यहाँ पर आपको राई की खेती कैसे करें, राई की उन्नत खेती -बुवाई का समय [राई की खेती का तरीका] क्या होता है, इसकी सम्पूर्ण जानकारी दी जा रही है |

आज का सरसों का भाव

राई की खेती के लिए जरूरी चीजे (Mustard Cultivation Requirements)

  • राई की खेती को किसी भी उपजाऊ काली, चिकनी या बलुई दोमट मिट्टी में कर सकते है |
  • इसकी खेती में 20 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित होता है |
  • समतल व उचित जल निकासी वाली भूमि में इसकी खेती करे |
  • यह एक शीतोष्ण कटिबंधी पौधा होता है, जिस वजह से इसकी बुवाई ठन्डे मौसम में करना चाहिए |
  • राई की खेती में सड़ी गोबर की खाद के साथ रासायनिक उवर्रक की भी जरूरत होती है |
  • अच्छी उपज के लिए उचित समय पर सिंचाई भी करे |

राई की उन्नत किस्में (Mustard Seeds Improved Varieties)

  • वरुण :- इस क़िस्म को पककर तैयार होने में 135 – 140 दिन लग जाते है | जिसकी औसतन पैदावार 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है, तथा 42% तेल की मात्रा मिल जाती है |
  • पूसा बोल्ड :- इस क़िस्म को तैयार होने में 120 – 140 दिन का समय लग जाता है | इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 18 – 20 क्विंटल है| जिससे 42% तक तेल की मात्रा मिल जाती है |
  • क्रांति :- राई की यह किस्म प्रति हेक्टेयर के खेत में 20 से 22 क्विंटल का उत्पादन दे देती है, तथा फसल को तैयार होने में 125 से 130 दिन लग जाते है| इस क़िस्म से 40 % तक तेल मिल जाता है|
  • राजेंद्र राई पिछेती :- इस किस्म को तैयार होने में 105 से 115 दिन का समय लग जाता है, जिसका उत्पादन 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है, तथा 41% तेल की मात्रा मिल जाती है |
  • राजेंद्र अनुकूल :- 105 से 115 दिन में पककर तैयार होने वाली यह क़िस्म प्रति हेक्टेयर के खेत से 10 से 13 क्विंटल का उत्पादन दे देती है, जिसमे से 40% तेल मिल जाता है |
  • राजेंद्र सुफलाम :- इस क़िस्म की प्रति हेक्टेयर औसतन पैदावार 12 से 15 क्विंटल है, जिससे 40% तेल की मात्रा मिल जाती है | यह फसल पककर तैयार होने में 105 से 115 दिन का समय लेती है |

राई के बीजो की बुवाई का समय और मात्रा (Rye Seeds Sowing Time and Quantity)

एक हेक्टेयर के खेत में राई के बीजो की बुवाई के लिए 5 KG बीज लगते है | इन बीजो को खेत में 30 CM की दूरी पर पंक्तियों में लगाया जाता है, जिसमे प्रत्येक पौधे के मध्य 10 CM की दूरी रखते है| बीजो को खेत में 4 से 5 CM की गहराई में लगाए ताकि उनका जमाव ठीक तरह से हो सके | इन बीजो की बुवाई से पहले बीज का उपचार कैप्टान/थीरम/कारबेन्डाजिम 2.0 ग्राम की मात्रा से प्रति किलो बीज उपचारित किए जाते है| राई के बीजो की बुवाई के लिए 15 से 25 अक्टूबर तक समय से तथा पछेती फसल के लिए 15 नवम्बर से 7 दिसम्बर तक कर सकते है |

राई की फसल में खाद की मात्रा (Rye Crop Manure Amount)

राई के खेत को तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर के खेत में 10 टन सड़ी कम्पोस्ट खाद का उपयोग करे | इसके अलावा 40 KG स्फूर, 60 KG नत्रजन तथा 40 KG पोटाश की मात्रा खेत में डालें| उवर्रक की यह मात्रा पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करती है | नत्रजन की आधी और पोटाश व स्फूर की पूरी मात्रा को खेत की अंतिम जुताई के समय दे, तथा पौधों पर फूल आने पर नत्रजन की आधी मात्रा उपरिवेशन के तौर पर दे | इसके अलावा भूमि की जाँच के अनुसार जिंक, बोरान और गंधक का प्रयोग करे | असिंचित जगहों पर 20-20 KG स्फूर, 30 KG नत्रजन और पोटाश का उपयोग क |

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राई के पौधों की छटाई (Rye Plants Pruning)

राई के बीजो को खेत में लगाने के 15 दिन पश्चात् छटाई की जरूरी होती है| 10-10 CM की दूरी पर पंक्ति में लगाए गए पौधों में से एक स्वस्थ पौधे को छोड़कर अन्य सभी पौधों को उखाड़कर हटा दे | कतार में पौधों के बीच उचित दूरी होने पर उपज में वृद्धि अच्छी होती है |

राई की फसल में सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण (Rye Crop Irrigation and Weed Control)

राई और सरसो के पौधों को एक सामान ही सिंचाई की जरूरत होती है | पहली सिंचाई फूल आने के समय तथा दूसरी सिंचाई को फलिया बनने के दौरान करना होता है | इसके अतिरिक्त खेत में नमी दिखाई देने पर हल्की सिंचाई कर दे| इसके अलावा फसल बुवाई के 15-20 दिन बाद गुड़ाई भी करना होता है | इससे फसल के पौधों की जड़ो को हवा और प्रकाश उचित मात्रा में मिल जाता है, तथा फसल की वृद्धि भी अच्छे से होती है |

राई फसल कीट व रोग नियंत्रण (Rye Crop Pests and Control)

राई की फसल में लाही और आरा मक्खी नमक कीट का आक्रमण देखने को मिलता है, जिसकी रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 EC या 25 EC दवा की एक लीटर की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के खेत में छिड़के | इसके अलावा कुछ श्वेत फफोला रोग, अल्टरनेरिया अंगमारी और पाउडरीया मिल्ड्यू प्रमुख रोग है, जिनसे बचाव के लिए 1 हज़ार लीटर पानी में मैनकोजेब 2 लीटर की मात्रा का छिड़काव प्रति हेक्टर के खेत में बुवाई से 50 से 60 दिन पूर्व करना होता है |

राई की फसल कटाई और पैदावार (Rye Harvesting and Yield)

राई की उन्नत किस्में 100 से 120 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है| इस दौरान जब इसकी फलिया 75% तक पीली-भूरी दिखाई देने लगे तब कटनी कर ले| राई के एक हेक्टेयर के खेत से 16 से 22 क्विंटल का उत्पादन मिल जाता है, तथा दानो से 40 से 42 प्रतिशत तेल की मात्रा मिल जाती है | राई के तेल का बाज़ारी भाव काफी अच्छा होता है, तथा खली के भी अच्छे दाम मिल जाते है, जिससे किसानो को अच्छा लाभ मिल जाता है |

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