प्याज की खेती कैसे करे | Onion Farming in Hindi | प्याज से कमाई


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प्याज की खेती (Onion Farming) से सम्बंधित जानकारी

प्याज की खेती सब्जी फसल के रूप में की जाती है | इसके फल पौधों की जड़ो में पाए जाते है | इसके अलावा प्याज को कई जगहों पर कांदा नाम से भी पुकारते है | प्याज का इस्तेमाल सब्जी और मसाले दोनों ही रूप में करते है | इसमें कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है, जिस वजह से प्याज का सेवन करना शरीर के लिए लाभकारी होता है | इसके अलावा इसे औषधीय रूप में भी उगाते है, जिसका इस्तेमाल दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है | प्याज मुख्य रूप से रेडिएशन को कम करता है |




गर्मियों के मौसम में लू से बचने के लिए प्याज को खाना उपयुक्त माना जाता है | इसकी खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है | भारत में प्याज की फसल को उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य  राज्यों में की जाती है | प्याज की मांग पूरे वर्ष ही बनी रहती है, जिससे प्याज की खेती लाभकारी खेत के रूप में की जा सकती है | यदि आप भी प्याज की खेती करने का मन बना रहे है, तो इस लेख में आपको प्याज की खेती कैसे करे (Onion Farming in Hindi) तथा प्याज से कमाई के बारे में जानकारी दी जा रही है |

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प्याज की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Onion Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)

प्याज की खेती को किसी भी उपजाऊ मिट्टी में उगाया जा सकता है, किन्तु बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है | प्याज को कंद के रूप में उगाया जाता है, इसलिए जलभराव वाली भूमि में इसकी खेती को नहीं करना चाहिए | इसकी फसल के लिए 5 से 6 P.H. मान वाली भूमि की आवश्यकता होती है|

प्याज की खेती जगह के हिसाब से सर्द और गर्म दोनों ही जलवायु में की जा सकती है, किन्तु सर्द जलवायु में की गई प्याज की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त हो जाती है, सर्दियों के मौसम में गिरने वाला पाला इसके पौधो के लिए हानिकारक होता है | प्याज की फसल अधिकतम 30 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री तापमान ही सहन कर सकती है |

प्याज की उन्नत किस्में (Onion Improved Varieties)

वर्तमान समय में जलवायु के हिसाब से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए कई उन्नत किस्मों को तैयार किया गया है | इसके अलावा कुछ ऐसी भी किस्में है, जिन्हे अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है | प्याज की यह किस्में रबी और खरीफ की प्रजातियों में बाँटी गई है | 

रबी प्रजाति की प्याज

रबी के समय में की गई प्याज की खेती से अधिक पैदावार प्राप्त होती है | यह किस्म सर्दियों के मौसम में उगाई जाती है, जिनकी रोपाई नवंबर और दिसंबर के महीने में की जाती है | रबी के मौसम में उगाई जाने वाली किस्में इस प्रकार है :- पूसा रतनार, एग्रीफाउंड लाइट रेड, एग्रीफाउंड रोज, भीमा रेड, भीमा शक्ति और पूसा रेड आदि |

खरीफ प्रजाति की प्याज

खरीफ प्रजाति की किस्मों को बहुत कम उगाया जाता है | इसके प्याज की रोपाई मई और जून माह के मध्य में की जाती है | खरीफ के मौसम में भीमा सुपर, पूसा व्हाइट राउंड, एग्रीफाउंड डार्क रेड और भीम डार्क रेड किस्मों को उगाने के लिए तैयार किया गया है |

एग्रीफाउंड डार्क रेड

प्याज की इस किस्म को गर्मियों के मौसम में उगाया जाता है, इस किस्म के पौधो को भारत में लगभग सभी जगहों पर उगाया जाता है | इसके कंद आकार में गोलाकार होते है, जो बीज रोपाई के तक़रीबन 100 से 110 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है | यह क़िस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से तक़रीबन 300 क्विंटल की पैदावार दे देती है |

भीमा सुपर

प्याज की इस किस्म को तैयार होने में 110 से 115 दिन का समय लग जाता है | इसे पछेती किस्म के रूप में खरीफ की फसल के समय उगाया जाता है| यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 250 से 300 क्विंटल की पैदावार दे देती है|

एग्रीफाउंड लाइट रेड

इस किस्म के पौधे 120 दिन के अंतराल में पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है | यह किस्म रबी के मौसम में उगाई जाती है | जिसमे निकलने वाले कंदो का रंग हल्का लाल तथा आकार गोलाकार होता है | प्याज की यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 300 से 375 क्विंटल की पैदावार दे देती है |

पूसा व्हाइट राउंड

प्याज की यह किस्म रोपाई के 135 दिन पश्चात् पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है | इसमें निकलने वाले कंद सफ़ेद रंग के होते है | यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 300 क्विंटल की पैदावार दे देती है |

प्याज के खेत की तैयारी और उवर्रक की मात्रा (Onion Field Preparation and Fertilizer Quantity)

प्याज के खेत को तैयार करने के लिए सबसे पहले उसकी गहरी जुताई कर दी जाती है | जिसके बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है | इसके बाद खेत में प्राकृतिक खाद के रूप प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 15 से 20 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद डाली जाती है | खाद डालने के बाद खेत की फिर से अच्छे से जुताई कर दी जाती है, इससे खेत की मिट्टी में गोबर की खाद अच्छे से मिल जाती है | यदि आप चाहे तो वर्मी कम्पोस्ट खाद को भी इस्तेमाल में ला सकते है | इसके लिए आपको खेत की आखरी जुताई के समय नाइट्रोजन 40 KG, पोटाश 20 KG, सल्फर 20 KG की मात्रा को प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालकर जुताई करना होता है |

गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छे से मिलाने के बाद उसमे पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है, फिर उसे कुछ समय के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है, इसके बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगती है, तब उसकी रोटावेटर लगाकर अच्छे से जुताई कर दी जाती है | इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, मिट्टी के भुरभुरा होने के बाद उसमे पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है | समतल खेत में कंद रोपाई के लिए एक फ़ीट की दूरी रखते हुए मेड़ो को तैयार कर लिया जाता है |

प्याज के बीजो की रोपाई का सही समय और तरीका (Onion Seeds Planting Right time and Method)

प्याज के बीजो की रोपाई पौध के रूप में की जाती है, इसके कंदो को खेत में लगाने से पहले इसके पौधों को एक से दो महीने पहले नर्सरी में तैयार कर लिया जाता है | इसके अतिरिक्त यदि आप चाहे हो किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से भी इसके पौधों को खरीद सकते है, इससे आपके समय की बचत होगी और पैदावार भी जल्द प्राप्त होगी | पौधों को खरीदते समय पौधे बिलकुल स्वस्थ और 2 महीने पुराने होने चाहिए | इसके पौधों की रोपाई तैयार की गई मेड़ के दोनों तरफ की जाती है |

मेड़ पर पौधों को 5 से 7 CM की दूरी पर लगाया जाता है | यदि आप पौधों की रोपाई खरीफ के समय करना चाहते है, तो अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है, और अगर आप पौध की रोपाई रबी के मौसम में करना चाहते है, तो उसके लिए दिसंबर से जनवरी के माह में पौधों को लगाना अच्छा माना जाता है | पौधों को खेत में लगाने से पूर्व उसकी जड़ो को मोनोक्रोटोफॉस और कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा से उपचारित कर लिया जाता है | इससे पौधों के विकास के समय रोग लगने का खतरा कम होता है |

प्याज के पौधों की सिंचाई (Onion Plants Irrigation)

प्याज के पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप विधि का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा माना जाता है | इसकी फसल को 10 से 12 सिंचाई की आवश्यकता होती है | इसके पौधों की पहली सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है | खेत में नमी बनाये रखने के लिए एक महीने तक हल्की सिंचाई करते रहनी होती है | इसके बाद जब कंद विकास करने लगे उस दौरान पौधों को दो से तीन दिन के अंतराल में पानी की जरूरत होती है |

प्याज की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Onion Crop Weed Control)

प्याज की खेती में खरपतवार नियंत्रण की अधिक आवश्यकता होती है, क्योकि खरपतवार से होने वाले कीट पौधों को हानि पहुंचाते है | खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधि का इस्तेमाल किया जाता है, किन्तु पौधों की गुड़ाई करते समय कंदो की जड़ो का विशेष ध्यान रखे | गुड़ाई के बाद पौधों की जड़ो पर मिट्टी चढ़ा दी जाती है, इसके पौधों को अधिकतम 5 गुड़ाई की ही आवश्यकता होती है | इसके अतिरिक्त खरपतवार अधिक होने पर पेंडीमेथिलीन का छिड़काव खेत में करना होता है |

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प्याज के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Onion Plants Diseases and Their Prevention)

थ्रिप्स

इस किस्म का रोग फलो पर कीट के रूप में आक्रमण करता है | यह कीट पत्तियों का रस चूस लेते है, जिससे पत्तियों पर सफ़ेद रंग का धब्बा दिखाई देने लगता है | इसका कीट आकार में अधिक छोटा होता है, जो देखने में पीले रंग का होता है | इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर इमीडाक्लोप्रि कीटनाशक 17.8 एस.एल. का छिड़काव किया जाता है |

पौध गलन रोग

इस किस्म का रोग अक्सर पौध रोपाई के बाद देखने को मिलता है | इस रोग से प्रभावित पौधे आरम्भ में भी पीले पड़कर गलने लगते है, तथा रोग का प्रभाव अधिक होने पर पौधा पूरी तरह से ख़राब हो जाता है | इस रोग से बचाव के लिए थीरम की 0.2% मात्रा से पौधों को रोपाई से पहले उपचारित कर लेना चाहिए |

जड़ सडन रोग

इस जड़ सड़न रोग से प्रभावित होने पर पौधे की जड़े हल्की गुलाबी रंग की दिखाई देने लगती है | जिसके कुछ समय पश्चात् ही पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है | इस रोग से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम की उचित मात्रा की छिड़काव पौधों पर किया जाता है |

प्याज से कमाई, पैदावार और खुदाई (Onion Harvesting, Yield and Benefits)

प्याज के पौधे रोपाई के 4 से 5 महीने बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है | जब इसके पौधों की पत्तिया पीली होकर गिरने लगे उस दौरान इसके फलो की तुड़ाई कर ली जाती है | इसके बाद कंद की खुदाई कर उन्हें दो से तीन दिन तक अच्छे से सुखा लिया जाता है | सुखाने के बाद जड़ और पत्तियों को अलग कर लिया जाता है | इसके बाद इन्हे छायादार जगह पर अच्छे से सुखा लिया जाता है |

एक हेक्टेयर के खेत से प्याज की तक़रीबन 250 से 400 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है, यदि किसान भाई चाहे तो इसकी दोनों पैदावार से 800 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त कर सकते है | इस हिसाब से किसान भाई एक वर्ष में 3 से 4 लाख तक की अच्छी कमाई कर सकते है |

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