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मखाना की खेती (Makhana Farming) से सम्बंधित जानकारी
मखाने की खेती नकदी फसल के रूप में की जाती है | मखाना मुख्य रूप से पानी की घास में होता है | इसे कुरूपा अखरोट के नाम से भी जानते है | मखाने में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा पायी जाती है, जो मानव शरीर के लिए अधिक लाभकारी होता है | इसे खाने में कई तरह से इस्तेमाल में लाते है | मखाने को दूध में भिगोकर खाने के अलावा खीर, मिठाई और नमकीन को बनाने के लिए भी उपयोग में लाते है | मखाने की खेती के लिए जलभराव वाली भूमि की आवश्यकता होती है | इसके पौधों पर कांटेदार पत्ते पाए जाते है, इन्ही पत्तो पर बीजो का विकास होता है | जो विकास के पश्चात तालाब की सतह में चले जाते है |
यदि फल समय पर प्राप्त नहीं होते है, तो फलो के ख़राब होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है | जिस वजह से मखाना की खेती में किसान भाइयो को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, किन्तु एक बार फसल तैयार होने पर कम खर्च में अधिक लाभ भी कमाया जा सकता है | यदि आप भी मखाने की खेती कर अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहते है, तो इस लेख में आपको मखाना की खेती कैसे करें (Makhana Farming in Hindi) तथा मखाने के पौधों की देखभाल के बारे में जानकारी दी गई है |
भारत में मखाने की खेती (Makhana Farming in Hindi)
पूरे भारत में तक़रीबन 15 हजार हेक्टेयर के खेत में मखाने की खेती की जाती है | अकेले बिहार राज्य में ही तकरीबन 80 से 90 फीसदी मखाने का उत्पादन किया जाता है, तथा उत्पादन का 70 प्रतिशत भाग मिथिलांचल का है |
तक़रीबन 1 लाख 20 हज़ार टन मखाना बीज का उत्पादन किया जाता है, जिसमे से मखाने के लावे की मात्रा 40 हजार टन होती है | इसका बोटैनिकल नाम यूरेल फेरोक्स सलीब है, जो साधारण बोल-चाल में कमल का बीज कहलाता है | इसे गर्म और शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है|
मखाने में मौजूद पोषक तत्व (Makhana Nutrients)
मखाने का सेवन करना शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है, किन्तु पुरुषो के लिए यह अधिक लाभकारी होते है | क्योकि इसमें आयरन, सोडियम, कैलोरी, मिनरल, फॉस्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, फैट और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते है | जो शारीरिक शक्ति के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है, तथा शारीरिक कमज़ोरी को भी दूर करता है |
मखाने के फायदे (Fox Nut Benefits)
- इसमें फाइबर की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है, तथा कैलोरी बहुत ही कम पाया जाता है |
- मखाने का नियमित रूप से सेवन करने से किडनी और दिल स्वस्थ बना रहता है |
- मखाना शारीरिक कमजोरी को दूर करता है, और शरीर में ऊर्जा को उत्पन्न करता है |
- इसमें कैल्शियम की भरपूर मात्रा पायी जाती है, जिससे यह हड्डियों के लिए अधिक फायदेमंद होता है |
- मखाने में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते है, जिस वजह से मखाने का सेवन करने से हमारे शरीर को कई लाभ प्राप्त होते है |
मखाने के खेती के लिए उपयुक्त वातावरण (Makhana Cultivation Suitable Environment)
मखाने की खेती जलभराव वाली काली चिकनी मिट्टी में की जाती है, क्योकि इसके पौधों का विकास पानी के अंदर ही होता है | इसलिए मखाने की खेती में तालाब की जरूरत होती है, जिसमे पानी अधिक समय तक एकत्रित रहे | इसका पौधा उष्णकटिबंधीय वाला होता है, तथा सामान्य तापमान पर इसके पौधे ठीक से विकास करते है |
मखाने की खेती के लिए तालाब की तैयारी (Makhana Cultivation Pond Preparation)
मखाने की खेती के लिए ऑर्गेनिक तरीके का इस्तेमाल किया जाता है | इसकी खेती के लिए तालाब को तैयार किया जाता है, जिसमे सबसे पहले मिट्टी की खुदाई की जाती है, खुदाई के पश्चात उसमे पानी भर दिया जाता है | इसके बाद उस तालाब में मिट्टी और पानी को मिलाकर कीचड़ को तैयार कर लेते है | इसी कीचड़ में मखाने के बीजो को लगाया जाता है | इसके बाद तालाब में तक़रीबन 6 से 9 इंच तक पानी की भराई कर दी जाती है | इस तालाब को बीज रोपाई से चार माह पूर्व तैयार करना होता है |
मखाने के बीज रोपण का सही समय और तरीका (Makhana Seeds Planting Right time and Method)
मखाने के बीजो की रोपाई तालाब की निचली सतह पर की जाती है | बीज रोपाई से पूर्व तालाब में मौजूद खरपतवार को निकालकर सफाई कर देनी चाहिए | इससे पौधों को आरम्भ में किसी तरह के रोग लगने का खतरा कम हो जाता है | इसके बाद तालाब में बीजो को 3 से 4 CM की गहराई में निचली सतह मिट्टी में लगाते है | एक हेक्टेयर के खेत में तैयार तालाब में बीज रोपाई के लिए तक़रीबन 80 KG बीजो की आवश्यकता होती है |
इसके बीजो की रोपाई सीधा तालाब में लगाकर और तैयार किये गए पौध के रूप में भी कर सकते है | पौध रोपाई के लिए पौधों को नवंबर और दिसंबर के महीने में तैयार कर लिया जाता है | इसके बाद उन्हें जनवरी और फ़रवरी में माह में लगाना सबसे उपयुक्त होता है |
मखाने का पौध विकास (Plant Growth)
इसके पौधे बीज रोपाई से एक से डेढ़ माह पश्चात् कांटेदार पत्तो के रूप में वृद्धि करने लगते है, इन पत्तो से ही पूरा तालाब ढक जाता है | इसके बाद इन्ही पत्तियों पर फूलो का विकास होता है | फूल निकलने के तीन से चार दिन बाद बीज बनना तैयार हो जाते है | बीज निकलने के दो माह पश्चात् यह पककर तैयार हो जाता है, और पके हुए बीज पत्तियों से अलग होकर पानी की सतह पर तैरने लगते है | यह बीज एक से दो दिन तैरने के बाद पानी के नीचे चले जाते है | किसान भाई इन्हे बाद में पौधों को हटाने के बाद निकालते है |
मखाने के पौधों की देखभाल (Makhana Plant Care)
मखाने के पौधों की देखभाल के लिए तालाब को अच्छी तरह से जाल से ढक देना चाहिए, इससे पौधों को शांत वातावरण मिल जाता है, और वह अच्छे से विकास करते है | आवारा पशुओ के तालाब में प्रवेश पर भी विशेष ध्यान देना होता है| इसके अलावा तालाब में पानी की मात्रा को बनाये रखने के लिए पानी कम होने पर तालाब में पानी चला दे |
मखाने के बीजो की पैदावार और लाभ (Makhana Seeds Yield and Benefits)
मखाने के पौधों में निकलने वाले पत्ते कांटेदार होते है, और वह पूरे तालाब को ढके हुए होते है | जिस वजह से बीजो को निकालपाने में दिक्कत होती है, और बीज पौधों से अलग होकर नीचे सतह में चले जाते है | इसके बाद जब सभी बीज पककर पानी के नीचे चले जाये, तो पौधों को हटाकर बीजो को एकत्रित कर ले | इन बीजो को निकलने में अधिक समय लग जाता है, जिस वजह से काफी बीज ख़राब भी हो जाते है | पानी से निकाले गए बीजो से छिलके को हटाकर साफ कर लिया जाता है |
इसके बाद इन बीजो से लकड़ी और हथोड़ी का इस्तेमाल कर मखाने के लावे को निकाल लिया जाता है | तीन किलो बीजो की मात्रा से सिर्फ एक किलो लावा ही प्राप्त होता है | इसी लावे से मखाने को तैयार किया जाता है | इस हिसाब से एक क्विंटल मखाना गुड़ी से 40 KG मावा प्राप्त हो जाता है | इसका बाज़ारी भाव काफी अच्छा होता है, जिससे किसान भाई मखाने की खेती कर अधिक लाभ भी कमाते है |