औषधीय पौधों के नाम और उनके उपयोग [Medicinal Plants Name in Hindi & English] List


Aushadhi Paudhe: मानव रोगो के उपचार के लिए प्राचीन काल से ही विभिन्न प्रकार के औषधीय पेड़ पौधों का इस्तेमाल होता रहा है | ज्यादातर औषधीय पौधे जंगली होते है, लेकिन कभी-कभी इन्हे उगाया भी जाता है | पेड़-पौधे कुदरत का दिया गया वरदान है, जो मानवीय जीवन चक्र में अपनी विशेष भूमिका निभाते है | इन पौधों से न सिर्फ भोजन संबंधी जरूरतों की पूर्ती होती है, बल्कि जीव जगत के संतुलन को बनाए रखने में भी इन्हे सर्वोत्तम स्थान हासिल है | इनकी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए इन्हे अनेक संवर्गो में विभाजित किया गया है | उपचार के तौर पौधे की जड़, पत्ती, फूल, तना, फल, बीज और छाल का इस्तेमाल किया जाता है |

आज के समय में औषधीय पौधे औषधीय महत्त्व रखने के साथ-साथ आय का भी जरिया बने हुए है | औषधीय पौधों में मौजूद रासायनिक गुण होने के कारण यह शरीर की विशिष्ट क्रियाओ पर विशेष प्रभाव डालती है, जो मानव शरीर के लिए उपचार का कार्य करती है | मुख्य औषधीय पौधों में तुलसी, नीम, आंवला, अदरक, लहसुन, पत्थरचट्टा, लेवेंडर, बेल, एलोवेरा, सदाबहार, दालचीनी, पुदीना, मेथी और अश्वगंधा शामिल है | यहाँ पर आपको ऐसे ही कुछ औषधि पौधों के नाम और उनके उपयोग [Medicinal Plants Name in Hindi & English] List के बारे में जानकारी दी जा रही है |

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औषधीय पौधों के नाम (Medicinal Plant information in hindi)

नीम (Neem Tree): नीम एक औषधीय पौधा है, जो औषधीय उपचार में काफी महत्त्व रखता है | इसका वानस्पतिक नाम Azadirachta indica है | यह पेड़ खासतौर पर भारत और पाकिस्तान में देखने को मिलता है | इस पेड़ के  सम्पूर्ण भाग तना, पत्ते, फल और फूल को इस्तेमाल में लाया जाता है | इसकी पत्तिया वायुनाशक, पाचक, कफ निस्संक्रामक रोगाणुनाशक होती हैं | इसके अलावा पत्तो के रस का इस्तेमाल पीलिया और कई चर्म रोगो के लिए किया जाता है | कीटनाशक के रूप में भी इसे इस्तेमाल किया जाता है |

neem plant

कैंसर जैसी घातक बीमारी को बढ़ने से रोकने और ठीक करने के लिए भी नीम का उपयोग करते है | इसके अलावा प्राचीन काल से भी नीम की दातून का इस्तेमाल दांतो की सफाई और मसूड़ों के स्वास्थ के लिए किया जाता रहा है | नीम की हरी पत्तियों को चबाकर खाने से खून साफ हो जाता है, तथा दांतो के विकारो से भी छुटकारा मिलता है | नीम का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढाता है |

तुलसी (Holi Basil): तुलसी का पौधा औषधीय के साथ-साथ धार्मिक महत्त्व भी रखता है | इसका वानस्पतिक नाम Ocimum Sactum है | यह पौधा लगभग पूरे भारत में ही पाया जाता है | तुलसी के पत्तो का इस्तेमाल खॉसी, सर्दी-जुकाम, मलेरिया, दंत रोग, लीवर की बीमारी और श्वास संबंधी बीमारियों के उपचार में किया जाता है|

कई मामलो में इसे लिवर टॉनिक की तरह भी इस्तेमाल करते है| भारतीय संस्कृति में घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी पूजा की जाती है| रोजाना तुलसी की पत्ती खाने से गंभीर बीमारियों को टाला जा सकता है |

बेल (Aegle Marmelos): बेल के पौधे का वनस्पतिक नाम एगल मार्मेलोस है | यह पौधा पूरी दुनिया में पाया जाता है | विभिन्न प्रकार की बीमारियों के उपचार के लिए बेल के पौधे की पत्ती, जड़, फल, बीजो और छाल का इस्तेमाल किया जाता है| इसके फल से टॉनिक बनाया जाता है, तथा रक्त विरोधी प्रवाह में भी प्रयोग करते है|

बेल वजन घटाने, लीवर की चोट, दस्त, कब्ज और आंतो की समस्या में भी उपयोगी है | एक ताज़ा पेय पदार्थ बनाने के लिए बेल के फल का उपयोग करते है |

आंवला (Myrobalan): आंवले को भारतीय करोंदा भी कहा जाता है, इसका वानस्पतिक नाम Emblica officinalis है | यह यूफोरबियासी परिवार से संबंध रखता है | इस फल में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है| आंवले का इस्तेमाल अनेक प्रकार के रोग जैसे :- कब्ज, पांडु, दाह, खांसी, छाती रोग, हृदय रोग, श्वास रोग, रक्त पित्त, दमा, क्षय, अरुचि और मूत्र के विकारो को ठीक करता है | आंवला शुक्राणुओं को मजबूत कर मर्दानगी को सुधारता है | यह वसा को कम करता है | रक्त विकार, त्वचा रोग, कब्ज, आँखों की रौशनी, पाचन शक्ति में खराबी, सिरदर्द, बालो की मजबूती, कम स्खलन, रक्तस्राव, चक्कर, रक्ताल्पता और उम्र बढ़ने के संकेत जैसी अनेक बीमारियों के उपचार में आंवले का उपयोग काफी प्रभावी माना जाता है|

इसके अलावा शरीर की अन्य जटिल समस्याओ जैसे :- फेफड़े की समस्याएं, हृदय की समस्याएं, क्षय, दस्त, सांस की समस्या, जठरांत्र संबंधी समस्याएं, आंतों के कीड़े और मूत्र संबंधी समस्या को भी ठीक करता है | आंवला इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ही याददाश्त को भी तेज करता है | त्रिफला पाउडर या कच्चे आंवले को बहेड़ा, मुरब्बा, हर्रा और बहेड़ा को आंवले से बनाया जाता है |

एलो वेरा (Aloe Vera): घृत कुमारी को एलो वेरा के नाम से जाना जाता है | यह एक छोटा पौधा है, जो दुनिया के ज्यादातर घरो में देखने को मिल जाएगा | एलो वेरा में अनेक प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते है, जो हमारी त्वचा और सेहत दोनों के लिए ही काफी फायदेमंद होता है | यह त्वचा पर पिंपल्स और दाग-धब्बो जैसी समस्या से निजात दिलाता है|

एलोवेरा का उपयोग सेबोरिया, मामूली जलन, डैंड्रफ, सोरायसिस, विकिरण से घायल त्वचा, त्वचा पर खरोंच और दाद का घाव के उपचार के लिए करते है | एलोवेरा लगाने से चेहरे पर चमक और ताजगी आ जाती है |

मेथी (Fenugreek): भारत में मेथी को एक सुगंधित मसाला और औषधीय पौधे के रूप में जाना जाता है| दक्षिण यूरोप और पश्चिमी एशिया को मेथी की उत्पत्ति का स्थान माना गया है| हमारे देश में मेथी के पत्तो का उपयोग सब्जी के साथ किया जाता है| मेथी के बीजो में कई औषधीय गुण होते है, जिस वजह से इसे पाचन संबंधी समस्याओ जैसे :- पेट ख़राब होना, भूख न लगना, पेट में सूजन के उपचार के लिए उपयोग करते है| पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, दर्दनाक माहवारी, मोटापा और मधुमेह का इलाज भी मेथी के दानो में मौजूद है| मेथी शरीर के ज्यादातर रोगों के लिए बहुउपयोगी है| दिन में दो बार मेथी के रस का सेवन कर मधुमेह के रोग से छुटकारा पाया जा सकता है|

मेथी का पानी पीने से शुगर लेवल सामान्य रहता है | इसके बीजो में अमीनो एसिड का योगिक होता है, जो अग्न्याशय में इंसुलिन के डिस्चार्ज को बढ़ाता है, और हृदय रोगों की रोकथाम करता है | इसमें फाइबर की काफी मात्रा होती है, जिससे आप संतुष्ट महसूस करेंगे | यह वजन प्रबंधन में भी सहायता करता है | बालो के विकास और रूसी, खुरदरापन सहित बालो की अन्य समस्याओ के लिए भी मेथी का इस्तेमाल किया जाता है |

अदरक (Ginger): अदरक का पौधा फूल की तरह होता है, जिसके बल्ब का उपयोग पूरे विश्व में मसाले और पारंपरिक चिकित्सा में करते है | अदरक ज्यादातर रसोईघर में इस्तेमाल की जाती है | सर्दियों के मौसम में खांसी जुकाम हो जाने पर अदरक की चाय या काढ़ा बनाकर पीया जाता है | अरूचि और दिल की समस्या में भी अदरक मददगार साबित होता है | इसके अतिरिक्त अदरक को अन्य बीमारियों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है|

अदरक में एंटीऑक्सीडेंट उच्च मात्रा में मौजूद होता है, जो शरीर के DNA को तनाव और क्षति से रक्षा करता है | यह हृदय रोग, फेफड़े की बीमारी और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी बीमारी को रोकने में सहायता करता है |

लहसुन (Garlic): लहसुन प्याज जीनस से संबंध रखने वाला एलियम परिवार का एक सदस्य है | लीक, चिव, प्याज, शैलोट, चीनी प्याज और वेल्श प्याज सभी इसके रिश्तेदार है | लहसुन पूर्वोत्तर ईरान और मध्य एशिया मूल का पौधा है | यह काफी लंबे समय से पूरी दुनिया में एक आम मसाला रहा है| मानव उपभोग और औषधीय उपयोगो के हिसाब से इसका इतिहास एक हज़ार वर्ष पुराना है| इसमें सल्फर बड़ी मात्रा में होता है|

जब लहसुन को पीसा जाता है, तो उसमे से एलिसिन नामक एक योगिक निकलता है, जिसमे एंटीबायोटिक गुण मौजूद होते है | इसके अतिरिक्त लहसुन में सैपोनिन, विटामिन बी, प्रोटीन, फ्लेवोनोइड्स, एंजाइम और अन्य योगिक भी पाए जाते है |

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पथरचट्टा (Bryophyllum Pinnatum): भारत में पथरचट्टा का पौधा तक़रीबन 60 प्रतिशत घरो में पाया जाता है | इसके पौधे में औषधीय गुण होते है| इसकी पत्तियों का इस्तेमाल बाहरी और आंतरिक दोनों तरह की समस्याओ के लिए किया जाता है| इसके पत्तो में घाव भरने का गुण, मूत्रवर्धक गुण, रोगाणुरोधी, एंटीहेपेटोटॉक्सिसिटी (यकृत को हानि से बचाने वाला गुण), सूजन-रोधी और उच्चरक्तचापरोधी गुण पाया जाता है|

इसके अलावा आंतों की समस्या, गुर्दे की पथरी, मासिक धर्म संबंधी विकार, मूत्राशय, माइग्रेन, अल्सर, गठिया, नेत्रश्लेष्मलाशोथ और सूजन में भी फायदा पहुंचाता है|

अश्वगंधा (Ashvgandha): अश्वगंधा के पौधों की जड़ो से अश्व (Horse) के मूत्र जैसी गंध आती है | जिस वजह से इसे अश्वगंधा के नाम से जाना जाता है | इस तरह के अवशिष्ट पौधों की खेती को मुद्रा फसल के रूप में उगाया जाता है| यह मानव शरीर की शक्ति को बढ़ाने में काफी मददगार होता है|

अश्वगंधा के पौधों से आयुर्वेदिक दवाइयां भी बनाई जाती है| गठिया और जोड़ो के दर्द के उपचार में इसकी जड़ो का मंथन कर इस्तेमाल करते है| इसकी जड़ से तैयार चूर्ण का उपभोग कर खांसी और दमा का इलाज कर सकते है |

लैवेंडर (Levender): यह एक जड़ी-बूटी वाला पौधा होता है, जो पथरीली और रेतीली भूमि में आसानी से उग आता है| यह पौधा मधुमक्खियों को बहुत पसंद होता है, क्योकि वह इसके फूलो का रस चूसकर ही शहद बनाती है| लेवेंडर का उपयोग ज्यादातर तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्या को दूर करने के लिए किया जाता है| मनोभ्रंश, अवसाद और सर्जरी के बाद होने वाले दर्द से छुटकारा पाने के लिए भी लेवेंडर का इस्तेमाल करते है|

पेय पदार्थों और खाद्य पदार्थो में इसे स्वाद घटक के रुप में इस्तेमाल करते है | इसके अलावा सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, पोटपौरी, इत्र और सजावट में प्रयोग होने वाली सुगंध सामग्री को बनाने के लिए भी लैवेंडर का इस्तेमाल किया जाता है|

पुदीना (Mint): पुदीने का पौधा मूल रूप से सभी महाद्वीपों पर उग जाता है, केवल अंटार्कटिका को छोड़कर| पुदीना और पुदीना संभवतः पुदीना की दो ऐसी किस्मे है, जिन्हे सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है| इसके अलावा भी अन्य किस्मे है, जिसमे जंगली पुदीना और पानी पुदीना शामिल है| पुदीना से मेंथोल नामक तेल निकलता है, जिसे सौंदर्य प्रसाधन, पान मसाला, कन्फेक्शनरी, सिगरेट, दवाइयों, पेय पदार्थो और अन्य सुगंधित उत्पादों को बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है|

इसकी राल का नीलगिरी के साथ उपयोग करके कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है | गैस से राहत, गठिया से राहत और दर्द से राहत पाने के लिए इसका उपयोग करते है | पुदीने की ताज़ी और सूखी पत्तियों को चबाकर खाने से सांसो की दुर्गंध दूर हो जाती है|

सदाबहार (Madagascar Periwinkle): सदाबहार को हमेशा खिला रहने वाला फूल भी कहते है| यह एक प्रसिद्ध फूल है, जिसने आधुनिक चिकित्सा में हर्बल उपचार के लिए अपना रास्ता खोज लिया है|

सदाबहार के पोधे से कई स्वास्थ लाभ मिलते है, इसका उपयोग त्वचा में संक्रमण, फेफड़ों की सूजन, मधुमेह, आंखों में जलन, गले में खराश, कैंसर और कई बीमारियों के इलाज में करते है |

दालचीनी (Cinnamon): दालचीनी एक मसाला औषधि है, जिसे मैग्नोलिड डाइकोट जीनस प्रजाति के पेड़ो की आंतरिक छाल से प्राप्त करते है| यह लौरेसिई परिवार का सदस्य कहलाता है| दुनियाभर में दालचीनी को सुगंधित मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है| कई तरह के व्यंजनों जैसे :- स्नैक्स, मीठे और नमकीन व्यंजनों, चाय और नाश्ते के अनाज में स्वाद बढ़ाने और पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है|

दालचीनी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल और एंटीऑक्सिडेंट की अधिक मात्रा होती है| इसमे उपस्थित प्रीबायोटिक गुण आंतो के स्वास्थ में सुधार करता है| यह टाइप 2 मधुमेह, ग्लूकोज को कम करने और पाचन संबंधी समस्या से राहत दिलाता है|

लौंग (Clove): लौंग भी एक मसाला और औषधि फसल है, जिसका वानस्पतिक नाम सायज़ीगियम एरोमेटिकम है | लौंग पेड़ पर निकलने वाली सुगंधित फूल की कलिया होती है | कई देशो में अलग-अलग समय पर होने वाली फसल के कारण लौंग पूरे वर्ष ही उपलब्ध रहती है|

पारंपरिकचिकित्सा में भी लौंग का इस्तेमाल किया जाता है | लौंग को मुख्य रूप से दांतो के आपातकालीन दर्द और अन्य विकारो के उपचार के लिए एनोडीन (एनाल्जेसिक) के रूप में उपयोग करते है | एरोमाथेरेपी में भी लौंग के तेल का इस्तेमाल करते है|

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