सूरजमुखी की खेती कैसे की जाती है | Sunflower Farming in Hindi | सूरजमुखी का भाव 2024


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सूरजमुखी की खेती (Sunflower Farming) से सम्बंधित जानकारी

सूरजमुखी की खेती तिलहनी फसल के रूप में की जाती है | इसके पौधों से निकलने वाले फूल और बीज दोनों को ही बेचकर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है, जिस वजह से इसे नकदी फसल भी कहते है | इसके बीजों से तेल को निकालकर खाने और औषधीय रूप में इस्तेमाल करते है, तेल को निकालने के बाद बाकि बचे शेष भाग का उपयोग मुर्गी दाने और पशुओ के खाने के इस्तेमाल में लाया जाता है | अमेरिका को सूरजमुखी के पौधों का जन्मस्थान कहते है, किन्तु वर्तमान समय में सूरजमुखी की खेती पूरी दुनिया में की जा रही है |

भारत में भी इसे कई राज्यों में उगाया जा रहा है,इसके पौधों को पूर्ण रूप से तैयार होने के लिए तीन से चार महीने का समय लगता है | इसकी फसल वर्ष में खरीफ, जायद और रबी तीनो ही मौसम में की जा सकती है |यदि आप भी सूरजमुखी की खेती कर अच्छा लाभ कमाना चाहते है, तो इस लेख में आपको सूरजमुखी की खेती कैसे की जाती है (Sunflower Farming in Hindi) तथा सूरजमुखी का भाव 2021 इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है |

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सूरजमुखी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Sunflower Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)

सूरजमुखी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है | इसके अतिरिक्त भी इसकी खेती को कई तरह की मिट्टी में किया जा सकता है | इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 5 से 7 के मध्य होना चाहिए | सामान्य तौर पर सूरजमुखी की खेती तीनो ही मौसम में की जा सकती है, किन्तु रबी और जायद के मौसम को इसकी फसल के लिए उचित माना जाता है | इस दौरान इसके पौधों में बहुत कम रोग देखने को मिलते है, जिससे पैदावार भी अच्छी मात्रा में प्राप्त हो जाती है |

इसके बीजों की रोपाई के समय 15 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, क्योकि अधिक तापमान में इसके बीजों का अच्छे से अंकुरण नहीं हो पाता है | पौधों की वृद्धि के दौरान सामान्य तापमान तथा फूलो को पकने के लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है |

सूरजमुखी की उन्नत किस्में (Sunflower Improved Varieties)

सूरजमुखी की बाजार में कई उन्नत किस्में मौजूद है, जो मुख्य रूप से दो भागो में विभाजित है| जिसमे पहली संकुल और दूसरी संकर प्रजाति मौजूद है| जिनकी जानकारी इस प्रकार है:-

संकुल प्रजाति (Cluster Species)

यह किसानो द्वारा बहुत कम उगाई जाने वाली प्रजाति है, क्योकि इसमें पौधे छोटे होते है, तथा पैदावार भी कम प्राप्त होती है | मार्डन और सूर्या इस प्रजाति की मुख्य किस्में है, जिन्हें पैदावार के लिए उपयुक्त माना जाता है |

मार्डन

इस किस्म के पौधों को पूर्ण रूप से तैयार होने में 90 दिन का समय लग जाता है | जिसके बाद इसके पौधे तीन फ़ीट तक लम्बे हो जाते है | इसके बीजों से 40 प्रतिशत तेल की मात्रा प्राप्त की जा सकती है | इसके पौधे बहुफसली जगहों से लिए उपयुक्त माने जाते है |

सूर्या

सूर्या किस्म के पौधे बीज रोपाई के 80 से 85 दिन बाद पककर तैयार हो जाते है | इसका पूर्ण विकसित पौधा 3 से 4 फ़ीट तक लम्बा होता है | इसकी बुवाई को पछेती किस्में के लिए किया जाता है | यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 12 क्विंटल की पैदावार देती है |

संकर प्रजाति (Hybrid Species)

किसान भाई संकर किस्म की प्रजाति को अधिक पसंद करते है, क्योकि इसमें संकुल प्रजाति की तुलना में अच्छी पैदावार प्राप्त हो जाती है | इसमें निकलने वाले पौधों की लम्बाई भी अधिक पाई जाती है | इस प्रजाति की एस एच 3322, एस एच-1 और ऍफ़ एस एच-17 प्रमुख किस्में है |

एस.एच.-3322

इस किस्म के पौधों को तैयार होने में 90 से 95 दिन का समय लग जाता है,जिसमे 25 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त हो जाती है, तथा इसके बीजों में 40 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है |

के.वी. एस.एच 1

इस किस्म को पछेती फसल के रूप में उगाया जाता है, जिसमे पौधों को तैयार होने में 90 दिन का समय लग जाता है | इसके पौधे 5 फ़ीट तक लम्बे होते है, जो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 30 क्विंटल की पैदावार देते है |

ऍफ़ एस एच-17

सूरजमुखी की यह किस्म 90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है,जिसके पौधे 5 फ़ीट तक लम्बे पाए जाते है | इसके बीजों से 35 से 40 प्रतिशत तक तेल की मात्रा प्राप्त हो जाती है | यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 25 क्विंटल की पैदावार देती है |

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सूरजमुखी के खेत की तैयारी (Sunflower Field Preparation)

सूरजमुखी के बीजों की रोपाई से पहले उसके खेत की अच्छी तरह से जुताई कर और उवर्रक की सही मात्रा को देकर खेत को तैयार कर ले | इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर दी जाती है | जुताई के बाद कुछ समय के लिए खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है, इससे खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग जाती है | इसके बाद खेत में बीज रोपाई के 15 दिन पूर्व एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 10 से 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को डालकर जुताई करवा दे, इससे खेत की मिट्टी में खाद अच्छी तरह से मिल जाएगी |

सूरजमुखी के खेत में नमी की अधिक आवश्यकता होती है, इसलिए इसके खेत में पानी लगाकर जुताई करवा दे | इसके बाद खेत में रोटावेटर लगा कर फिर से जुताई करवा दे, जिससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है | खेत की आखरी जुताई के समय N.P.K. की उचित मात्रा की छिड़काव किया जाता है | इसके अतिरिक्त सूरजमुखी के पौधों को जिप्सम की जरूरत होती है, जिसके लिए खेत में प्रति एकड़ के हिसाब से 80 KG जिप्सम की मात्रा को देना होता है |

सूरजमुखी के बीजों की रोपाई का सही समय और तरीका (Sunflower Seeds Planting Right time and Method)

सूरजमुखी के बीजों की रोपाई को मेड़ो पर करना चाहिए, क्योकि समतल भूमि में इसके बीजों की रोपाई करने से पैदावार कम प्राप्त होती है | इसलिए बीज रोपाई से पहले खेत में मेड़ को तैयार कर लेना चाहिए | तैयार की गई इन मेड़ो के बीच में 25 से 30 CM की दूरी अवश्य होनी चाहिए | मेड़ो में बीजों को 15 CM की दूरी तथा 4 CM की गहराई में लगाया जाता है | इन बीजों की खेत में रोपाई से पहले उन्हें 10 घंटे तक पानी में रखा जाता है, जिसके बाद उन्हें दो घंटे तक छाया में सूखा लिया जाता है |

इसके बाद इन्हे बाविस्टिन या थीरम की उचित मात्रा से उपचारित कर बीजों की रोपाई कर दी जाती है | एक एकड़ के खेत में संकुल प्रजाति के 4-5 KG बीज तथा संकर प्रजाति के लिए 3 KG बीजों की आवश्यकता होती है | सूरजमुखी के बीजों की रोपाई के लिए फ़रवरी के महीने को सबसे उपयुक्त माना जाता है, देरी से बुवाई करने पर इसकी पैदावार प्रभावित हो जाती है |

सूरजमुखी के पौधे की सिंचाई (Sunflower Plant Irrigation)

सूरजमुखी के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है | इसलिए इसकी पहली सिंचाई को बीजों की रोपाई के तुरंत बाद करना होता है | इसके बीजों को अंकुरण के लिए नमी की आवश्यकता होती है, जिसके लिए इसके खेत में हल्की-हल्की सिंचाई करना जरूरी होता है | बीज अंकुरण के बाद इसके पौधों को केवल 4 से 5 सिंचाई की आवश्यकता होती है | किन्तु जब इसके पौधों पर फूल में दाने बनने लगे उस दौरान खेत में नमी बनाये रखने से लिए जरूरत के हिसाब पानी लगा दे |

सूरजमुखी के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Sunflower Plants Weed Control)

सूरजमुखी के पौधों में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक और रासायनिक दोनों ही तरीको का इस्तेमाल किया जाता है | प्राकृतिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए पोधो की निराई – गुड़ाई की जाती है | इसकी पहली गुड़ाई को बीज रोपाई के 20 से 25 दिन बाद करना होता है| इसके अलावा सूरजमुखी के पौधों को 15 से 20 दिन के अंतराल में दो से तीन और गुड़ाई की जरूरत होती है | रासायनिक विधि द्वारा खरपतवार पर नियंत्रण पाने के लिए पेन्डिमेथालिन 30 ई.सी. की उचित मात्रा का छिड़काव खेत में बीज रोपाई के दो दिन बाद करना होता है |

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सूरजमुखी के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Sunflower Plants Diseases and Prevention)

पत्ती धब्बा व झुलसा

इस किस्म का रोग पौधों पर शुरुआती अवस्था में देखने को मिलता है | इस रोग से प्रभावित होने पर पौधों की पत्तियों पर पीले और हल्के भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते है | इस रोग से बचाव के लिए मैंकोजेब 2.0 की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर किया जाता है |

रतुआ रस्ट

इस किस्म का रोग पौधों की पत्तियों पर उनकी निचली सतह में देखने को मिलता है | रतुआ रस्ट रोग से प्रभावित होने पर पौधों की पत्तियों पर लालभुरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते है, जिसका आक्रमण अधिक होने पर यह रोग पौधों के तनो तक पहुंच जाता है | मैंकोजेब 2.0 की उचित मात्रा का छिड़काव कर इस रोग की रोकथाम की जा सकती है |

सूरजमुखी के पौधों परिषेचन की क्रिया (Sunflower Plants Fertilization)

सूरजमुखी एक परिषेचित फसल है, इसलिए इसके पौधों को परिषेचन क्रिया कराना आवश्यक होता है | यह परिषेचन क्रिया मधुमक्खियों द्वारा प्राकृतिक रूप से पूर्ण होती है | किन्तु यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो इस क्रिया को पूर्ण करने के लिए रोयेदार कपड़े को हाथ में पहनकर सुबह तड़के ही फूलो के आसपास घुमाना होता है | इस क्रिया से फसल की पैदावार अच्छी होती है |

सूरजमुखी के फसल की कटाई, पैदावार और लाभ (Sunflower Crop Harvesting, Yield and Benefits)

सूरजमुखी के पौधों को पूर्ण रूप से तैयार होने में 90 दिन का समय लग जाता है | इसके बाद इसके फूलो की तुड़ाई कर ली जाती है | फूलो की तुड़ाई के बाद उन्हें एकत्रित कर छायादार जगह पर सुखा लिया जाता है | सुखाने के बाद मशीन द्वारा इसके फूलो से बीजों को निकाल लिया जाता है | इसके एक एकड़ के खेत से तक़रीबन 20 से 25 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है| सूरजमुखी का बाज़ारी भाव 4,000 रूपए प्रति क्विंटल होता है, जिससे किसान भाई इसकी एक बार की फसल से कम समय में एक लाख तक की कमाई आसानी से कर सकते है|

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