थारपारकर गाय की पहचान कैसे करें | थारपारकर गाय की कीमत व कहाँ से ख़रीदे


थारपारकर गाय (Tharparkar Cow) से सम्बंधित जानकारी

थारपारकर गाय एक उत्तम नस्ल वाली दुधारू गाय है, जिसे डेयरी व्यवसाय के लिए काफी उपयोगी माना जाता है | भारत में बीते चार वर्षो में डेयरी का व्यवसाय काफी तेजी से बढ़ा है | इसके व्यवसाय में तक़रीबन 6.4 फीसदी की दर से ग्रोथ हुई है | जबकि वैश्विक स्तर पर दूध के उत्पादन में सिर्फ 1.7 फीसदी की बढ़त पाई गई है | राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अनुसार वर्ष 2018-19 में तक़रीबन 187.7 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन हुआ था | इस हिसाब से अनुमान लगाया जा रहा है, कि आगे के वर्षो में डेयरी सेक्टर में अच्छी ग्रोथ देखने को मिल सकती है | किसान भाई डेयरी व्यवसाय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर अपनी आय को दोगुना कर सकते है | डेयरी उत्पादन में अधिक लागत आती है, जिस वजह से किसानो को आपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है |

यही वजह है, कि किसान अच्छी नस्ल वाली गाय, भैंस और बकरी को पालना पसंद करते है | ताकि कम लागत में अधिक मात्रा में दूध का उत्पादन ले सके | इन समस्याओ के निपटारे के लिए थारपारकर नस्ल की गाय को सक्षम माना जाता है | थारपारकर उत्तम दुधारू पशु है | थारपारकर नस्ल के गाय की पहचान कर आप शुद्ध नस्ल की गाय खरीद सकते है| इस लेख में आपको थारपारकर गाय की पहचान कैसे करें, थारपारकर गाय की कीमत व कहाँ से ख़रीदे इसकी जानकारी दी जा रही है |

साहिवाल गाय की पहचान कैसे करें

थारपारकर गाय की पहचान (Tharparkar Cow Identification)

थारपारकर गाय देखने में सफ़ेद रंग की बहुत ही सुंदर और मोटी-मोटी आँखों वाली होती है | देसी गाय ज्यादातर सुंदर ही होती है, किन्तु यह गाय अपनी एक अलग पहचान रखती है | सफ़ेद रंग की इस गाय के शरीर पर ठंडियों के मौसम में काले रंग के बाल निकल आते है | इसका सर चौड़े माथे वाला, मध्यम आकार का और उभरा हुआ होता है | इस गाय की कदकाठी राठी और साहीवाल नस्ल की गायो से थोड़ा ऊँची होती है | थारपारकर गाय 24 घंटे में  9 लीटर दूध का उत्पादन दे देती है |

थारपारकर नस्ल की गाय डेयरी व्यवसाय के लिए (Tharparkar Breed cow for dairy business)

कृषि विज्ञानं केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. सुभाष कुशवाहा के अनुसार डेयरी के व्यवसाय में थारपारकर गाय अपने विशेष गुणों की वजह से काफी उपयोगी है | इस नस्ल की गाय अधिक तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पर भी अधिक मात्रा में दूध देने में सक्षम होती है| विपरीत परिस्थितियो में भी इस गाय का दूध प्रोडक्शन परफॉरमेंस जैसे का तैसा बना रहता है | वही अन्य गाय अधिक तापमान में भी 20 से 30 फीसदी कम दूध का उत्पादन दे पाती है |

थारपारकर नस्ल की गाय प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अधिक दूध देने की क्षमता रखती है, तथा अन्य नस्लों के मुकाबले इसकी प्रोडक्टिविटी काफी बेहतर होती है| यह गाय अपने जीवनकाल में 15 बार तक बच्चो को जन्म दे देती है | वही अन्य नस्ल की गायो से सिर्फ 5 से 10 बार ही बच्चे मिल पाते है | थारपारकर गाय की उम्र 25 से 28 वर्ष होती है |

थारपारकर गाय कहा पाई जाती है (Tharparkar Cow Found)

थारपारकर गाय मूल रूप से राजस्थान में पायी जाती है | यह प्रदेश के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, सिरोही और जालौन जैसे क्षेत्रों में पाली जाती है| राजस्थान एक मरुस्थलीय क्षेत्र है, इसे थार मरुस्थल भी कहते है | इसी वजह से यहाँ की गाय को थारपारकर के नाम से जाना जाता है | राजस्थान एक विशाल क्षेत्र है, जिसके थार इलाके में मिलने वाली गाय थारपारकर गाय कहलाती है | राजस्थान में रहने वाले लोग इसे मालाणी नाम से भी पुकारते है | गाय की यह नस्ल राजस्थान के अलावा अब देश के विभिन्न हिस्सों में भी पाली जाने लगी है | पुणे के रहने वाले चंद्रकांत भारेकर जिनके पास थारपारकर क्लब है, उन्होंने बताया कि वह पिछले 5 वर्ष से थारपारकर गायो का पालन कर रहे है | उनके इस क्लब में कई नस्ल की गाय पाली गयी है, जिसमे से कुछ गाय एक समय में 16 से 18 लीटर दूध देने में सक्षम है |

भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्ल

थारपारकर गाय प्रतिकूल परिस्थितियों में रहने में भी सक्षम (Tharparkar Cow Living Capable in Adverse Conditions)

राजस्थान एक मरुस्थलीय इलाका है, जहा का अधिकतम तापमान 52 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है| वही सर्दियों में न्यूनतम तापमान शून्य डिग्री तक चला जाता है| ऐसे वातावरण में रह पाना सभी गायो के लिए संभव नहीं होता है | थारपारकर नस्ल की गाय उच्च और निम्न दोनों ही तापमान को सहने में सक्षम होती है | जो गाय राजस्थान के गर्म मौसम में भी जीवित रह लेती है, उन्हें दूसरे प्रांतो में सरलता से पाल सकते है |

थारपारकर बछड़े की देख-रेख (Tharparkar Calf Care)

थारपारकर गाय के बछड़ो को जन्म के समय विशेष देखभाल की जरूरत होती है | बछड़े के जन्म के बाद उसके मुँह, नाक और शरीर की ठीक तरह से सफाई करे| जन्म के पश्चात् यदि बछड़े को साँस लेने में किसी तरह की समस्या हो रही है, तो उसे दबाव द्वारा बनावटी साँस देने की जरूरत होती है | बछड़े की छाती पर ठीक तरह से पुश करे | इसके अलावा शरीर से 2 इंच की दूरी रखकर बछड़े की नाभि को काट दे, और आयोडीन की मदद से नाभि को ठीक से तरह से साफ़ कर दे |

थारपारकर गाय पर शोध (Tharparkar Cow Research)

एक शोध के अनुसार थापरकार नस्ल की गायो में एक विशेष प्रकार का जीन मौजूद होता है | यह जीन उन्हें ग्लोबल वार्मिंग या अधिक तापमान को सहने में सक्षम बनाता है | भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने यह दवा किया है, कि थारपारकर और साहीवाल नस्ल की गाय में एक खास प्रकार का जीन होता है| इस शोध में यह भी पता चला है, कि अन्य गायो की तुलना में थारपारकर गाय अधिक तापमान को सहन में सक्षम होते है|

थारपारकर गाय की कीमत (Tharparkar Cow Price)

थारपारकर गाय का दूध अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक गुण से भरपूर होता है | इसके दूध में प्रोबायोटिक्स गुण होता है, जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है | इस गाय के दूध में ओमेगा-3 फैटी एसिड और कैल्शियम की उच्च मात्रा होती है, जिस वजह से यह मेंटल डिसऑर्डर और हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है | मानकसर में पशुओ की बिक्री के लिए बोली लगाई गयी, इसमें थारपारकर नस्ल के एक गाय की कीमत 40 हज़ार रूपए से शुरू हुई, जो बढ़ते हुए दो लाख चालीस हज़ार तक पहुंच गयी | यह अब तक की सबसे उच्चतम बोली रही है |

भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय कौन सी है ?