कीवी की खेती कैसे करे | Kiwi Fruit Farming in India in Hindi | कीवी की उन्नत किस्में


कीवी की खेती (Kiwi Fruit Farming) से सम्बंधित जानकारी

कीवी की खेती स्वास्थ्यवर्धक फल के लिए की जाती है | चीन को कीवी फल का जन्मदाता कहा जाता है, किन्तु वर्तमान समय में न्यूजीलैंड इस फल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है | इसमें विटामिन C अधिक मात्रा में पाया जाता है | इसके अलावा इसमें पोटेशियम, विटामिन ई, सोडियम, फाइबर, कॉपर और एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा भी पायी जाती है | इसलिए यह शरीर की इम्युनिटी को भी बढ़ाता है, जिस वजह से यह अनेक प्रकार की बीमारियों के लिए भी अधिक लाभकारी है |

कीवी के फल का ऊपरी भाग रोंएदार और सुनहरा चमकीला होता है | जो देखने में काफी आकर्षक होता है | बाज़ार में कीवी फल की मांग बहुत अधिक रहती है, तथा इसका भाव भी अधिक रहता है | जिस वजह से किसान भाई कीवी की खेती करना अधिक पसंद करते है | यदि आप भी कीवी की खेती करने का मन बना रहे है, तो इस लेख में आपको कीवी की खेती कैसे करे (Kiwi Fruit Farming in India in Hindi) तथा कीवी की उन्नत किस्में कौन सी है, इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है |

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कीवी की खेती कैसे करे (Kiwi Fruit Farming in India in Hindi)

यहाँ किसान भाइयों को कीवी की खेती के लिए मिट्टी, जलवायु और तापमान (Kiwi Cultivation Soil, Climate and Temperature) की सम्पूर्ण जानकारी दी गई है, जिससे किसान भाई अच्छी खेती करके पैदावार लाभ कमा सकते है, जिसके बारे में इस तरह से बताया गया है:-

कीवी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि की जरूरत होती है | हल्की अम्लीय और गहरी दोमट मिट्टी में कीवी की खेती कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, तथा मिट्टी में कार्बनिक पदार्थो की मात्रा भी अधिक होनी चाहिए | इसकी खेती में भूमि का P. H. मान 5 से 6 के मध्य होना चाहिए |

कीवी की फसल को शीतोष्ण और हल्की उपोष्ण जलवायु की जरूरत होती है | सामान्य बारिश पौधों के लिए उपयुक्त होती है, तथा अधिक तापमान फसल के लिए उपयुक्त नहीं होता है | कीवी के पौधे 15 डिग्री तापमान पर अच्छे से अंकुरित होते है, और तथा पौधों पर फल विकास के लिए 5 से 7 डिग्री तापमान चाहिए होता है | इसके पौधे अधिकतम 30 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है |

कीवी की उन्नत किस्में (Kiwi Improved Varieties)

पूरे विश्व में कीवी की सैकड़ो किस्में पायी जाती है, किन्तु भारत में कीवी की निम्न किस्मो का ही उत्पादन किया जाता है| जिन्हे कलम या ग्राफ्टिंग विधि द्वारा तैयार करते है |

मोन्टी

कीवी की यह किस्म पौध रोपाई के 180 से 190 दिन पश्चात् तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है | इसके पौधे 8 मीटर तक लम्बे होते है | जिसमे निकलने वाले फल मध्यम आकार के होते है, और सिरा थोड़ा चपटा होता है | इसके एक पौधे से 80 से 90 KG फल का उत्पादन प्राप्त हो जाता है |

एलिसन

कीवी की इस क़िस्म में पौधों की लम्बाई सामान्य होती है, जिन्हे पककर तैयार होने में 160 से 170 दिन का समय लग जाता है | इसमें निकलने वाले फल आकार में छोटे होते है | इसके एक पेड़ से 80 से 100 KG का उत्पादन प्राप्त हो जाता है |

ब्रूनो

इस क़िस्म के पौधों की लम्बाई सामान्य से अधिक पायी जाती है | इसके पौधों पर निकलने वाले फलो में विटामिन सी सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है | यह क़िस्म पौध रोपाई के पश्चात् जल्द ही पैदावार देना आरम्भ कर देती है | जिसका प्रति पेड़ से उत्पादन 90 से 100 KG तक होता है |

एबाट

कीवी की यह क़िस्म कम समय में पैदावार देना आरम्भ कर देती है | जिसमे निकलने वाले फल अधिक स्वादिस्ट और मीठे होते है | इसके फल गुच्छो में विकास करते है | इस क़िस्म को अधिक ठंडी जलवायु में भी उगाया जाता है | इस क़िस्म के एक पौधे से 60 से 80 KG का उत्पादन प्राप्त हो जाता है |

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कीवी के खेत की तैयारी (Kiwi Field Preparation)

कीवी की खेती करने से पहले खेत में उगाई गयी पुरानी फसल के अवशेषों को नष्ट कर हटा दे | इसके बाद मिट्टी पलटने वाले हलो से खेत की गहरी जुताई कर दे | जुताई के बाद खेत में पानी लगा दे | पानी लगाने के कुछ समय पश्चात् खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है | इसके बाद खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल कर दिया जाता है |

कीवी के पोधों की रोपाई के लिए समतल भूमि में एक मीटर चौड़े और दो फीट गहरे गड्डे तैयार कर लिए जाते है | यह सभी गड्डे पंक्तियों में तैयार किये जाते है| जिसमे प्रत्येक पंक्ति के मध्य 4 मीटर की दूरी तथा हर गड्डे के मध्य 5 से 7 मीटर की दूरी रखी जाती है| तैयार किये गए गड्डो में जैविक खाद की पर्याप्त मात्रा को मिट्टी में अच्छे से मिलाकर गड्डो में भर दिया जाता है | इसके बाद गड्डो की सिंचाई कर दी जाती है, और उन्हें पुलाव से ढक देना चाहिए | यह सभी गड्डे पौध रोपाई के दो से तीन माह पूर्व तैयार कर ले|

कीवी के खेत में उवर्रक की मात्रा (Kiwi Field Fertilizer Amount)

कीवी के पौधों की रोपाई खेत में तैयार गड्डो में की जाती है | इन गड्डो में जैविक और रासायनिक खाद की उचित मात्रा को देना जरूरी होता है | इससे पौधे ठीक तरह से विकास करते है | खाद की मात्रा को देने के लिए 20 KG पुरानी गोबर की खाद के साथ 50 GM एन.पी.के. की मात्रा को अच्छे से मिट्टी में मिलाकर गड्डो में भर दे | इसके बाद इन गड्डो में पौधों की रोपाई कर दी जाती है | पौध रोपाई के बाद आरम्भ के दो वर्ष तक खाद की इसी मात्रा को देना होता है, तथा पौध विकास के साथ-साथ खाद की मात्रा को बढ़ा दिया जाता है | खेत में उवर्रक देने के पश्चात् पौधों की तुरंत सिंचाई कर दे |

कीवी के पौध की रोपाई का समय और तरीका (Kiwi Plants Transplanting Right time and Method)

कीवी के पौधों की रोपाई पौध के रूप में की जाती है | इसके लिए नर्सरी में बीजो को लगाकर पौध तैयार कर ली जाती है | इसके बाद पौधों को खेत में तैयार गड्डो में लगा दिया जाता है | पौध रोपाई से पूर्व पौधों को बाविस्टिन की उचित मात्रा से उपचारित कर लिया जाता है, तथा पौधों की रोपाई कर उसे चारो तरफ मिट्टी से अच्छे से ढक देते है|

इसके पौधों की रोपाई ठंडे मौसम में की जाती है, इसके लिए दिसंबर और जनवरी का महीना सबसे अच्छा माना जाता है | कीवी के पौधों को सर्दियों में गिरने वाले पाले से बचाना होता है, इसके लिए उन्हें पुलाव से ढक दे|

कीवी के पौधों की सिंचाई (Kiwi Plants Irrigation)

कीवी की खेती में पानी पर विशेष ध्यान देना होता है | इसकी प्रारंभिक सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है | गर्मियों के मौसम में पौधों को तीन से चार दिन में पानी देना जरूरी होता है, तथा ठंडियों में 8 से 10 दिन के अंतराल में पौधों को पानी दे | बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर पानी देते रहना चाहिए | एक वर्ष में इसके पौधों को 18 से 20 सिंचाई की आवश्यकता होती है|

कीवी की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Kiwi Crop Weed Control)

कीवी की फसल में खरपतवार नियंत्रण पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए | खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधि निराई – गुड़ाई का इस्तेमाल किया जाता है | इसकी फसल में पहली गुड़ाई पौध रोपाई के 20 से 25 दिन बाद की जाती है | इसके बाद प्रत्येक माह पौधों की गुड़ाई की जाती है | इससे पौधों का विकास अच्छे से होता है | बारिश के मौसम के पश्चात् खली पड़ी भूमि में हल से जुताई कर दी जाती है, और खेत में उपस्थित खरपतवार को नष्ट कर दिया जाता है |

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कीवी की खेती से अतिरिक्त कमाई (Kiwi Farming Extra Income)

कीवी की फसल को पैदावार देने में 4 वर्ष का लम्बा समय लग जाता है | इसलिए किसान भाई अपनी आर्थिक स्थिति को सामान्य रखने के लिए पौधों के मध्य खाली पड़ी भूमि में कम समय में तैयार होने वाली फसलों को उगा सकते है | इससे उन्हें अतिरिक्त कमाई प्राप्त हो सकेगी और वह कीवी की फसल के तैयार होने तक अपनी आर्थिक स्थिति को सामान्य रख सकेंगे |

कीवी की फसल में लगने वाले रोग एवं उपचार (Kiwi Crop Diseases and Treatment)

कीवी की फसल में अभी तक किसी तरह के खास रोग देखने को नहीं मिले है | किन्तु जल भराव की वजह से जड़ गलन रोग देखने को मिल सकता है | इसके लिए आप खेत में जलभराव न होने दे, तथा बाविस्टिन का छिड़काव पौधों की जड़ो पर करे |

कीवी के फलो की तुड़ाई (Kiwi Fruit Harvesting)

कीवी की फसल को तैयार होने में 4 वर्ष से भी अधिक का समय लग जाता है | जब इसके पौधों पर फूल खिलना शुरू कर देते है, उसके 8 से 9 माह पश्चात् फल पककर तैयार हो जाते है | उस दौरान फलो की तुड़ाई कर ली जाती है | पकने के बाद कीवी का फल मुलायम और काफी आकर्षक सुनहरा दिखाई देता है | फलो की तुड़ाई कर उन्हें छायादार जगह पर भंडारित कर लेते है, और उन्हें बाज़ार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है | इसके फलो को तीन से चार सप्ताह के अधिक समय तक खाने के लिए उपयोग में ला सकते है |

कीवी के पौधों से पैदावार और लाभ (Kiwi Plants Yields and Benefits)

कीवी के एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 400 से अधिक पौधों को लगाया जा सकता है| इसके एक पौधे से 90 से 100 KG तक फलो का उत्पादन प्राप्त हो जाता है| इस हिसाब से एक हेक्टेयर के खेत में लगाए गए पौधों से 40,000 से 50,000 KG की पैदावार प्राप्त हो जाती है| कीवी का बाज़ारी भाव 100 से 250 रूपए प्रति किलो होता है, जिससे किसान भाई इसकी एक बार की तुड़ाई से 20 लाख तक की कमाई सालाना कर सकते है|

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