अजोला की खेती कैसे करें | Ajola Farming in Hindi | अजोला की कीमत


अजोला की खेती (Ajola Farming) से सम्बंधित जानकारी

अजोला एक तरह का जलीय फर्न है, जो पानी की सतह पर तेजी से बढ़ता है | इसकी खेती हरी खाद के रूप में की जाती है | कभी-कभी यह प्राकृतिक रूप से खेत में अपने आप ही उग आता है | यह हरी खाद भूमि की उवर्रक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है, और उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि करती है | नील हरित शैवाल सहजैविक के रूप में एजोला की सतह पर जीवित रहता है, जिसे एनाबिना एजोली के नाम से जानते है | कार्बन स्त्रोत एवं वातावरण एजोला शैवाल को वृद्धि प्रदान करता है,जिस वजह से अजोला एक विशेष पौधे के रूप में विकसित होता है |

इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन मौजूद होता है | अजोला प्राकृतिक रूप से गर्म उष्ण व उष्ण कटिबंधीय स्थानों में पाया जाता है | जो देखने में बिल्कुल शैवाल की तरह होता है | यदि आप भी एजोला का उत्पादन करना चाहते है, तो इस लेख में आपको अजोला की खेती कैसे करें (Ajola Farming in Hindi) और अजोला की कीमत के बारे में बता रहे है |

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अजोला पशुओ के लिए लाभकारी (Azolla Beneficial for Animals)

अजोला का उपयोग पशुओ के चारे के लिए काफी अच्छा होता है, इसमें सुपाच्य पौष्टिक आधार होता है, जिसे खिलाने से सामान्य आहार खाने वाले पशुओ में भी दूध की मात्रा अधिक पाई जाती है | यह पशुओ में बांझपन का निवारण करता है | इसमें फास्फोरस की उचित मात्रा पाई जाती है, जिस वजह से यह पशुओ के पेशाब में होने वाली खून की समस्या को दूर करता है | अजोला का चारा पशुओ में फास्फोरस, आयरन और कैल्शियम की पूर्ति करता है | जिससे पशुओ का शारीरिक विकास भी तेजी से होता है |

इसमें अत्यंत पोष्टिक एवं असरकारक आदर्श गुण होते है, जिस वजह से यह भेड़, गाय, भैंस,बकरियों और मुर्गियों के लिए एक आदर्श चारा होता है | कुक्कुट पालन, मुर्गी पालन और भेड़, बकरी, खरगोश पालने वाले व्यवसाई अपने पक्षी और जानवरों के लिए अजोला को आहार के रूप में विशेष रूप से उपयोग करते है |

अजोला के फायदे (Azolla Benefits)

  • जंगली क्षेत्रों में अजोला आसानी से उग आता है, लेकिन नियंत्रित वातावरण में भी इसे आसानी से ऊगा सकते है |
  • इसे खरीफ और रबी दोनों ही जलवायु में हरी खाद के रूप में बड़े पैमाने पर ऊगा सकते है |
  • यह वायुमंडल में नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड को अमोनिया और कार्बोहाइड्रेट में बदल सकते है |
  • यह भूमि में फसल की जड़ो और मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवो को श्वसन क्रिया में मदद करता है |
  • यह भूमि में एफ इ, जेड एन और एम एन को परिवर्तित कर धान को उपलब्ध करता है |
  • अजोला धान के खेत में छोटे मोटे खरपतवार को निकलने नहीं देता है |
  • अजोला खेत में विटामिन और ग्रोथ रेगुलेटर उत्पन्न करता है, जिस वजह से धान के पौधों का विकास काफी अच्छे से होता है |
  • अजोला रासायनिक नाइट्रोजन उवर्रक पर काम कर फसल की उपज और गुणवत्ता को बढ़ाता है |
  • अजोला रासायनिक उवर्रक की क्षमता को भी बढ़ाता है |
  • यह धान के खेत में सिंचाई के दौरान वाष्पीकरण की दर को भी नियंत्रित करता है |

अजोला में पौष्टिक आहार (Azolla Nutritious Food)

अजोला में अनेक प्रकार के पौष्टिक आहार पाए जाते है| इसमें एमिनो एसिड, प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन B-12, बीटा कैरोटीन तथा फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, मैगनेशियम, कॉपर जैसे खनिज पदार्थो की भी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है | शुष्क अजोला में 10-15 प्रतिशत खनिज पदार्थ, 40 से 60 प्रतिशत प्रोटीन और 7-10 प्रतिशत एमिनो अम्ल तथा जैव सक्रिय पदार्थ के अलावा पोलीमर्स भी पाया जाता है | इसमें वसा व कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत ही कम पाई जाती है |

अजोला तैयार करने का तरीका (Azolla Prepare)

  • किसी छायादार जगह पर 60X10X2 आकार वाली क्यारियों को खोदकर तैयार कर ले |
  • इसके बाद क्यारी में 120 गेज की सिलपुटिन शीट को किनारो पर मिट्टी का लेप लगाकर तैयार करते है |
  • यदि आप चाहे तो पशुपालक का पक्का निर्माण कर क्यारियों को भी तैयार कर सकते है |
  • इसके बाद क्यारी में 80-100 KG साफ उपजाऊ मिट्टी की परत को बिछाना होता है |
  • 10 से 15 लीटर पानी में 5-7 KG पुराने गोबर को मिलाकर घोल तैयार कर लेते है |
  • इसके बाद क्यारी में 400-500 लीटर पानी को भरना होता है, पानी की गहराई तक़रीबन 10 से 15 CM तक हो |
  • इसके बाद उपजाऊ मिट्टी और गोबर की खाद को पानी में अच्छे से मिला दिया जाता है |
  • इसके बाद 2 KG ताजे अजोला को मिश्रण के ऊपर फैला दिया जाता है, तथा 10 लीटर पानी का छिड़काव अजोला के ऊपर करना होता है, इससे अजोला अपनी सामान्य स्थिति में आ जाता है |
  • इसके बाद क्यारियों को नायलोन की जाली से ढककर 15 से 20 दिन के लिए छोड़ दिया जाता है |
  • इसके बाद 21वे दिन 15 से 20 KG अजोला का उत्पादन रोजाना प्राप्त किया जा सकता है |
  • अजोला का प्रतिदिन उत्पादन प्राप्त करने के लिए 50 KG गोबर और 20 GM सुपरफास्फेट के घोल का छिड़काव क्यारियों में प्रतिमाह करना होता है |
  • अजोला की 30 से 50 GM की मात्रा मुर्गियों को देने से उसका शारीरिक आकार और अंडो में 15 प्रतिशत तक वृद्धि होती है |
  • 150 -200 GM की अजोला की मात्रा को भेड़ व बकरी को खिलाने से शारीरिक वृद्धि होती है, तथा दुग्ध उत्पादन भी बढ़ता है |

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अजोला का रखरखाव (Azolla Maintenance)

  • प्रतिदिन 15-20 KG अजोना का उत्पादन प्राप्त करने के लिए क्यारी में 10 CM गहरे जल के स्तर को बनाए रखे |
  • प्रति माह क्यारियों में 50 किलोग्राम गोबर और 20 ग्राम सुपरफास्फेट के घोल को मिलाए |
  • 3 महीने के अंतराल में क्यारियों से मिट्टी व पानी को बदल कर नई क्यारी में दोबारा पुनसवर्धन करे |
  • अजोला की अच्छी वृद्धि के लिए 20 से 35 डिग्री का तापमान उपयुक्त होता है |
  • शीत ऋतु की जलवायु में 60 सेंटीग्रेट के कम तापमान होने पर क्यारियों को रात के समय पुरानी बोरी के टाट व चादर से ढक दे |
  • अजोला के उत्पादन में सिलपुटिन शीट, क्यारी निर्माण व अजोला बीज की लागत को प्रतिवर्ष नहीं देना होता है| जिस वजह से अजोला के उत्पादन में 100 रूपए से भी कम लागत आती है |
  • अजोला की क्यारी से हटाए गए पानी को सब्जी व पुष्प की खेती में इस्तेमाल कर सकते है, इससे सब्जी और फूल का उत्पादन अधिक होता है |
  • अजोला किसी फसल के लिए हरी और जैविक खाद के रूप में कार्य करता है |

अजोला की कीमत (Azolla Price)

अजोला के इनोकूलम का रेट 250 ग्राम/वर्ग मी होता है | जिसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 10 टन प्रति सप्ताह या 1 KG वर्गमीटर प्रति सप्ताह एक परत से प्राप्त हो जाता है | इसका बाज़ारी भाव 1 रूपए पर किलोग्राम होता है, तथा वियतनाम में 100 ऑस्ट्रलियन डॉलर प्रति टन है |

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