अप्रैल में कौन सी खेती करें | अप्रैल में कौन सी सब्जी लगाई जाती है


अप्रैल में खेती

अप्रैल के महीने में रबी की फसलें कट चुकी होती है, और किसान अपनी फसल को मंडियों में बेचकर आराम कर रहा होता है| इसके बाद वह जायद की फसल की तैयारी करने लगते है| अप्रैल में गेंहू की कटाई से लेकर जून में धान/ मक्का की बुवाई के मध्य तक़रीबन 50 से 60 दिन तक खेत ख़ाली पड़े रहते है| इस दौरान किसान भाई ख़ाली पड़े खेतो में सब्जी, बागवानी व कई नगदी फसल को लगाकर धान/मक्का की बुवाई से पहले नगदी कमा सकते है| वर्तमान समय में किसान भाई अपने कमजोर खेतों में हरी खाद को तैयार करने के लिए लोबिया, ढैंचा या मूंग फसल की खेती कर सकते है|

इस तरह की खेती करके वह उवर्रक खर्च से बचकर अधिक लाभ उठा रहे है, क्योकि इन फसलों से उपज लेने के पश्चात किसान जून के महीने में बोई जाने वाली फसलों से पहले खेत की जुताई करके इन्हे मिट्टी में मिलाकर भूमि की सेहत को सुधार सकते है| इस तरह से भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ जाती है| इस तरह से अगर आप अप्रैल के महीने में उगाई जाने वाली सब्जियों के बारे में जानना चाहते है, तो इस लेख में आपको अप्रैल में कौन सी खेती करें तथा अप्रैल में कौन सी सब्जी लगाई जाती है, इस जानकारी से अवगत करवा रहे है|

कल का मौसम कैसा रहेगा

अप्रैल में कौन सी खेती करें (Plant in April)

रबी के सीजन में फसल की कटाई हो जाती है, जिसके बाद अप्रैल के महीने में खेत ख़ाली हो जाता है| इस दौरान किसान भाई अपने खेत की मिट्टी की जांच करवा सकते है| किसानो को 3 वर्ष के अंतराल में अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण जरूर करवाना चाहिए, ताकि मिट्टी में पोटेशियम, सल्फर, जिंक, नत्रजन, फास्फोरस, मैंगनीज, फास्फोरस, नत्रजन, तांबा, लोहा व् अन्य पदार्थो की कमी को जानकार उसे पूरा किया जा सकते है|

साथ ही यह भी पता चल सके, कि फसल में कौन-सी खाद कब व कितनी डालनी है| मिट्टी की जांच करने से मिट्टी की खराबी का पता चलता है, और फिर उसे सुधारा जा सके| किसान भाई अप्रैल के महीने में हरी खाद को खेत में डालने के लिए जायद की फसलों जैसे :- सेम, मूंग, उड़द, ढेंचा और सोयाबीन हरी खाद वाली फसल की बुवाई करे|

सबसे ज्यादा कमाई वाली फसल कौन सी है

अप्रैल में कौन सी फसल लगाई जाती है (Crop Planted in April)

उड़द की फसल:- उड़द की फसल को नम व गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है| पौधों की वृद्धि के समय 25-35 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है| किन्तु उड़द के पौधे 43 डिग्री के तापमान को आसानी से सहन कर लेते है| उड़द को 700-900 MM वर्षा वाले क्षेत्रों में आसानी से उगा सकते है| अधिक जलभराव वाले क्षेत्रों में उड़द न उगाए| वसंत ऋतु की फसलों को फ़रवरी से मार्च, खरीफ की फसल जून व् जुलाई के अंतिम सप्ताह तक बोते है|

उड़द की खेती विभिन्न प्रकार की भूमि में कर सकते है, इसके लिए दोमट, रेतीली या मध्यम प्रकार की भूमि जिसमे पानी का ठहराव न हो उपयुक्त होती है| उड़द के लिए 7-8 पी. एच. मान वाली भूमि उपजाऊ होती है| प्रति एकड़ के खेत में 6-8 KG बीज बोने चाहिए| बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीजो को 2.5 GM डायथेन एम-45 या 3 GM थायरम की मात्रा से उपचारित कर ले| जैविक बीज उपचार के लिए प्रति किलोग्राम के बीजो को फफूँद नाशक की 5-6 GM मात्रा से उपचारित करे|

सोयाबीन की फसल:- सोयाबीन की फसल में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती है, इसलिए किसान भाई वर्षा आरंभ होने से पहले अप्रैल के महीने में सोयाबीन की बुवाई करके फसल तैयार कर सकते है| सोयाबीन दलहनी फसल है, जिस कारण इसकी जड़ में ग्रंथिया होती है| इन ग्रंथियों में वायुमंडलीय नत्रजन संस्थापित करने की शक्ति होती है, जिससे मिट्टी की उवर्रकता बढ़ती है|

सोयाबीन की सबसे अच्छी क़िस्म RKS 24 है| हल्की रेतीली व् भूमि के अलावा किसी भी तरह की भूमि में सोयाबीन को सफलतापूर्वक उगा सकते है, परन्तु चिकनी दोमट व् जल निकासी वाली भूमि सोयाबीन के लिए काफी उपयुक्त होती है| जिस क्षेत्र में पानी रुकता हो वहां पर सोयाबीन न लगाए|

ढ़ैंचा की खेती :- यह एक हरी खाद वाली फसल है, जो 45 दिन में तैयार हो जाती है| गर्मी के मौसम में 5 से 6 सिंचाई करके ढैंचा की फसल तैयार कर सकते है| इसके बाद धान की फसल बोए| ढैंचा की खेती करने से प्रति हेक्टेयर के क्षेत्रफल में 80 KG नाइट्रोजन एकत्रित हो जाती है|

हरी खाद का काम ढैंचा की फसल से ले सकते है| 9.5 पी.एच. मान वाली भूमि में ढैंचा उगा सकते है| लवणीय व क्षारीय भूमि सुधार के लिए ढैंचा फसल सर्वोत्तम है| ढैंचा की खेती करके 45 दिनों में ही लवणीय भूमि में 200 – 250 क्विंटल जैविक पदार्थो को भूमि में मिला सकते है|

अरहर की फसल :- अप्रैल के महीने में अरहर की फसल भी लगा सकते है, जिसमे सिंचित अवस्था वाली T-21 और यू.पी.ए.एस. 120 किस्में लगा सकते है| अरहर को बोने के लिए समुचित जल निकासी व् प्रचुर स्फुर वाली भूमि और हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है| खेत को 2 या 3 बार जुताई कर तैयार कर ले, ताकि खेत खरपतवार मुक्त हो जाए, तथा जल निकासी की भी व्यवस्था हो जाए| अरहर की फसल के लिए 7.0-8.5 पी. एच. मान वाली भारी काली भूमि उत्तम होती है|

7 KG अरहर के बीजो को राइजोबियम जैव खाद के साथ उपचारित करते है, फिर दूर लाइनों में बो देते है| अरहर की दो लाइनों के मध्य मिश्रित फसल मूंग या उड़द को भी बो सकते है, जो 60 से 90 दिन में तैयार हो जाती है| अरहर की खेती से असिंचित अवस्था में प्रति हेक्टेयर के खेत से 15-20 क्विंटल की उपज और 25-30 क्विंटल की उपज सिंचित अवस्था से प्राप्त हो जाती है|

फसल सहायता योजना

अप्रैल के महीने में उगाई जाने सब्जियां (Vegetables Grown in April)

अप्रैल के महीने में आप नगदी सब्जियों की खेती करके अच्छा मुनाफा भी कमा सकते है| यह महीना कई तरह की सब्जियों को लगाने के लिए काफी उपयुक्त है| बाजार में सब्जी के अच्छे दाम मिल सके, इसके लिए मार्च से अप्रैल में कई सब्जियों की बुवाई करते है| अप्रैल के महीने में लगाई जाने वाली मुख्य सब्जियां बैंगन, तोरई, भिंडी, करेला व् लौकी है|

भिंडी की खेती :- भिंडी की बुवाई खरीफ व् ग्रीष्म दोनों ही मौसम में की जाती है| भिंडी को सभी तरह की भूमि में उगा सकते है, लेकिन जल निकासी वाली भूमि उत्तम होती है| 7 से 7.8 पी.एच मान वाली भूमि भिंडी के लिए उपयुक्त होती है| भिंडी के बीजो को अंकुरण के लिए 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है| इसके बाद जब पौधा अंकुरित हो जाए, तो पौधों को विकास करने के लिए 30 से 35 डिग्री तापमान मिलना चाहिए|

पंजाब-7 किस्म भिंडी की उत्तम क़िस्म है, जो काफी प्रतिरोधी होती है| इस क़िस्म का पौधा 50 से 55 दिन के अंतराल में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है, जो देखने में सामान्य आकार का होता है| प्रति हेक्टेयर के खेत से भिंडी की 8 से 20 टन उपज मिल जाती है|

लौकी की खेती :- लौकी की खेती गर्म व् आद्र जलवायु में की जाती है| इसलिए इसकी खेती मार्च से अप्रैल के महीने में करना उत्तम होता है| लौकी के बीजो की बुवाई गर्मी व् वर्षा के मौसम में की जाती है, यह पाले को आसानी से सहन नहीं कर पाता है| जिस वजह से लौकी की खेती 30 डिग्री के समीप तापमान वाले मौसम में करे| बीज अंकुरण व् पौध वृद्धि के लिए 35 से 40 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है|

लौकी की खेती के लिए उचित जल धारण वाली हल्की दोमट मिट्टी उत्तम होती है, वैसे तो इसे सभी तरह की भूमि में उगा सकते है| काशी गंगा लौकी की अधिक पैदावार देने वाली उत्तम क़िस्म है, जो प्रति हेक्टेयर के खेत से तकरीबन 400 से 450 क्विंटल की पैदावार देती है| लौकी का फल एक से डेढ़ फ़ीट लंबा होता है, जिसे तैयार होने में 50 से 55 दिन लगते है|

करेला की खेती :- भारत में करेले की फसल वर्ष में दो बार उगाई जा सकती है| पहली फसल सर्दियों के मौसम और दूसरी फसल को गर्मियों के मौसम में उगाकर उपज लेते है| करेले की फसल को आद्र और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमे इसकी फसल के लिए न्यूनतम 20 डिग्री और अधिकतम 35 से 40 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है|

खेत में तैयार किए गए थाल में 4-5 करेले के बीजो को 2-3 CM की गहराई में लगाए| ग्रीष्म ऋतु में बीज लगाने से पहले उन्हें 12-18 घंटो तक पानी में रखे| पंजाब करेला-1 को करेले की अधिक पैदावार के लिए उत्तम माना गया है, जिससे प्रति एकड़ 50 से 60 क्विंटल  की उपज मिल जाती है|

बैंगन की खेती :- बैंगन सोलेनैसी जाति की फसल है, जो भारतीय मूल की फसल भी मानी जाती है| इसे एशियाई देशों में सब्जी की उपज लेने के लिए उगाया जाता है| जीवांश की पर्याप्त मात्रा व् उचित जल निकासी वाली गहरी दोमट मिट्टी में बैंगन की अच्छी उपज मिलती है| एक हेक्टेयर के खेत में बैंगन के बीजो की रोपाई के लिए 250-300 GM सामान्य क़िस्म के बीज व् 200-250 GM संकर क़िस्म के बीज पर्याप्त होते है|

बैंगन की पूसा हाइब्रिड-6 क़िस्म गर्मियों में उगाने के लिए काफी उत्तम होती है, जो 60 से 65 दिन में तैयार हो जाती है, और 40-60 टन की उपज प्रति हेक्टेयर के खेत से मिल जाती है|

तोरई की खेती :- तोरई की बुवाई ग्रीष्मकालीन के मौसम मार्च से अप्रैल के माह में करते है| तोरई की अच्छी उपज के लिए कार्बन पदार्थो से युक्त उपजाऊ भूमि की जरूरत होती है| तोरई का पौधा सामान्य तापमान में अच्छे से अंकुरित होता है, तथा अधिक तापमान 35 से 40 डिग्री ही सहन कर सकते है| एक हेक्टेयर के खेत में किसानो को 3-5 KG तोरई के बीज लगाने होते है|

तोरई की बुवाई के लिए नाली विधि का इस्तेमाल करते है| तोरई की पूसा चिकनी क़िस्म सबसे अधिक उगाई जाती है| यह क़िस्म 45 दिन में पैदावार देने लगती है, जिससे 200-400 क्विंटल की उपज प्रति हेक्टेयर के खेत से मिल जाती है| फसल की अच्छी देख-रेख करके पैदावार बढ़ाई जा सकती है|

धनिया की खेती :- धनिया की खेती भी मार्च से अप्रैल के महीने में कर सकते है, क्योकि इन दिनों धनिया की आवक मंडियों में कम रहती है, जिससे आप धनिया की अच्छी कीमत भी पा सकते है|

धनिया की खेती कर आप उसकी पत्तियों को बेचने के साथ ही फसल आने पर भी अच्छी कमाई कर सकते है|

पालक की खेती :- मार्च-अप्रैल के महीने में गर्मी बढ़ने के साथ ही पालक की मांग भी बढ़ने लगती है| बहुत से किसानो के पास सिंचाई की उचित व्यवस्था न होने पर वह पालक की खेती नहीं कर पाते है|

ऐसे में अगर आप पालक की खेती करते है, तो आप पालक को अच्छे दाम पर बेचकर बढ़िया कमाई कर सकते है| सामान्य तौर पर पालक की खेती किसी भी तरह की भूमि में कर सकते है, लेकिन हल्की दोमट मिट्टी उत्तम होती है|

कद्दू की खेती :- जुलाई-अगस्त के मौसम कद्दू का भाव काफी कम रहता है, लेकिन अगर आप गर्मी आरंभ होने के मौसम में कद्दू को बेचते है, तो कद्दू आपकी मोटी कमाई करवा सकता है| इस मौसम में कद्दू की पैदावार कम होती है, जिस वजह से भाव ज्यादा मिलते है|

कद्दू को लगाने के लिए ज्यादा भूमि की जरूरत नहीं पड़ती है, आप कम जगह में कद्दू की खेती करके भी अधिक उपज ले सकते है|

पत्ता गोभी की खेती :- पत्ता गोभी की फसल मार्च-अप्रैल के महीने में भी कर सकते है| ज्यादातर लोग गर्मियों में हरी सब्जी खाना पसंद करते है, ऐसे में अगर आप पत्ता गोभी की फसल उगाते है, तो यह आपकी तगड़ी कमाई करवा सकता है|

गर्मियों में पत्तागोभी की आवक कम होने की वजह से बाजार में पत्तागोभी के दाम अच्छे मिलते है|

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लिस्ट