काला गेहूं की खेती कैसे करें ? Black Wheat Farming का तरीका, फायदे और नुकसान क्या है


काला गेहूं की खेती (Black Wheat Farming) से सम्बंधित जानकारी

देश के किसानो की रुचि नए प्रयोग का इस्तेमाल कर खेती करने की और आकर्षित हो रहा है, जिसमे वह अलग-अलग तरह की फसलों का उत्पादन कर रहे है | किसान अब नई किस्म की सब्जी और फसलों की खेती में अधिक रुचि दिखा रहे है | इसमें जिस खेती की तरफ किसानो का सबसे ज्यादा झुकाव हुआ है, वह गेहू और काले धान की फसल है | क्योकि इससे किसानो की बेहतर कमाई हो जाती है | वर्तमान समय में भारत में गेहू की कई प्रजातियां मौजूद है | जिसमे से कुछ प्रजातियां अधिक उत्पादन और कुछ रोग प्रतिरोधक वाली है | किन्तु इनके बीज देखने में एक जैसे ही होते है, लेकिन काले गेहूं का बीज काला ही होता है | किसान भाइयो का रूझान भी सामान्य गेहूं के मुकाबले काले गेहूं की और अधिक बढ़ रहा है |

जिसका कारण बाज़ारो में काले गेहूं की अधिक मांग का होना है | इसके अलावा काले गेहूं का निर्यात भी काफी बढ़ गया है | जिस वजह से किसानो का ध्यान काले गेहूं की और अधिक है | उत्तर प्रदेश राज्य में कई किसान काले गेहूं की फसल ऊगा कर तगड़ी कमाई भी कर रहे है | कृषि अधिकारियो का मानना है, कि डायबिटीज वाले व्यक्ति के लिए काला गेहूं बहुत ही फायदेमंद है | यदि आप भी काले गेहूं की खेती करने का मन बना रहे है, तो इस लेख में आपको काला गेहूं की खेती कैसे करें, Black Wheat Farming का तरीका, फायदे और नुकसान क्या है की जानकारी दी जा रही है |

यूपी गेहूं का रेट 2022

काले गेहूं की किस्में (Black Wheat Varieties)

पंजाब के मोहाली शहर में स्थित नाबी या नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नॉलजी इंस्टीट्यूट द्वारा सात वर्ष तक रिसर्च करके काले गेहूं की नई किस्म को विकसित किया है | नाबी के पास इसका पेटेंट भी मौजूद है | इस गेहूं की खाशियत है, यह काले रंग का है | लेकिन इसकी बालिया सामान्य गेहूं की तरह हरी होती है, जो पकने पर काले रंग में बदल जाती है | नाबी की साइंटिस्ट डॉ. मोनिका गर्ग ने काले के साथ-साथ नीले और बैंगनी रंग के गेहूं की किस्मों को भी विकसित किया है |

काले गेहूं में मौजूद औषधीय गुण (Black Wheat Medicinal Properties)

काले गेहूं में अनेक तरह के औषधीय गुण पाए जाते है, इसमें एंथ्रोसाइनीन की प्रचुर मात्रा होती है | इसमें नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक गुण होता है, जो डायबिटीज, घुटनों का दर्द, हार्ट अटैक, कैंसर, एनीमिया और मानसिक तनाव जैसी समस्याओ में कारगर साबित होता है | काले गेहूं का स्वाद थोड़ा अलग होता है, लेकिन यह काफी पौष्टिक भी है |

काले गेहू के फायदे (Black Wheat Benefits)

  • यदि किसी व्यक्ति को दिल की बीमारी है, तो उसे काले गेहूं का सेवन करना चाहिए, क्योकि यह दिल में लगने वाले रोग के खतरे को कम करता है |
  • काले गेहूं में उच्च मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य बनाए रखता है| इसमें ट्राइग्लिसराइड नमक तत्व भी मौजूद होता है |
  • यदि काले गेहूं का सेवन नियमित रूप से करते है, तो शरीर को उपयुक्त मात्रा में फाइबर मिल जाता है, जो पेट के रोगो के लिए काफी लाभकारी है, कब्ज रोग के लिए यह रामबाण इलाज है |
  • इसमें मौजूद उच्च मात्रा वाला फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत करता है, जो पाचन संबंधी समस्याओ के साथ ही पेट के कैंसर से भी निजात दिलाता है |
  • यह शरीर में मौजूद उच्च कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकता है, और ब्लड प्रेसर को भी नियंत्रित करता है |
  • मधुमेह से पीड़ित लोगो के लिए काला गेहूं बहुत उपयोगी होता है, यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है |
  • आंतो में हुए इन्फेक्शन से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन काले गेहूं का सेवन किसी न किसी रूप में अवश्य करे | यह शरीर में फाइबर की मात्रा को बेहतर रूप से बनाए रखता है, और आंत के इन्फेक्शन को भी ठीक करता है |
  • काले गेहूं में अनेक पोषक तत्व मौजूद होते है, जिसमे से एक फास्फोरस भी होता है | यह शरीर में नए ऊतक का निर्माण और उनके रखरखाव में मददगार होता है, ताकि शरीर को सुचारु रूप से कार्य करने में दिक्कत न हो |

काले गेहूं के नुकसान (Black Wheat Disadvantages)

किसान भाई जिस काले गेहूं के उत्पादन को बेहतरीन समझ रहे है, वह गेहूं पीली भूरी रोली वाला अपने साथ कई बीमारियों को भी ला सकता है | इसके अलावा काले गेहूं के आंटे से बनाई गयी चपाती भी बेस्वाद होती है | जिस वजह से किसानो को काले गेहूं के उत्पादन से बचना चाहिए, अन्यथा आगे के समय में किसानो को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है |

काले गेहूं की खेती का तरीका (Black Wheat Farming)

यदि आप काले गेहूं की बुवाई करने के लिए सीड ड्रिल विधि का इस्तेमाल करते है, तो आप बीज और उवर्रक की बचत कर सकते है | काले गेहूं का उत्पादन भी सामान्य गेहूं की तरह करते है | बाजार से इसके बीजो को खरीद कर बुवाई की जाती है | सामान्य रूप से पंक्तियों में बुवाई करने पर प्रति हेक्टेयर के खेत में 100 KG बीज तथा मोटे दाने के रूप में 125 KG बीजो की लागत लगती है | वही अगर बीजो की बुवाई छिड़काव विधि द्वारा की जाए तो 125 KG सामान्य दाने और 150 KG मोटे दाने प्रति हेक्टेयर के खेत में लगते है | बीज बुवाई से पहले जमाव का प्रतिशत जरूर देख ले | यह सुविधा राजकीय अनुसंधान केन्द्रो पर बिल्कुल निशुल्क होती है | यदि बीजो की अंकुरण दर कम पायी जाती है, तो बीज दर को बढ़ा दे, तथा प्रमाणित बीज न होने पर बीजो का शोधन जरूर कर ले | इसके लिए बीज बुवाई से पहले बीजो को पी.एस.वी., एजेटौवैक्टर से उपचारित करे | सिमित सिंचाई वाले इलाको में बुवाई के लिए रेज्ड वेड विधि का उपयोग करे, इससे सामान्य दशा में 75 KG तथा 100 KG मोटा दाना प्रति हेक्टेयर की दर से लगता है |

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काले गेहूं की खेती में खाद (Black Wheat Cultivation Fertilizer)

काले गेहूं की फसल उगाने से पहले खेत में जिंक व यूरिया की मात्रा को डाले तथा डीएपी खाद को ड्रिल की सहायता से दे | गेहूं के बीजो की बुवाई करते समय 20 KG म्यूरेट पोटाश, 45 KG यूरिया, 50 KG डीएपी और 10 KG जिंक सल्फेट की मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से दे, तथा पहली सिंचाई के दौरान 60 KG यूरिया की मात्रा दे |

काले गेहूं की सिंचाई (Black Wheat Irrigation)

बीज बुवाई के तीन हफ्ते पश्चात् काले गेहूं की पहली सिंचाई की जाती है | इसके बाद भी समय-समय पर पौधों को पानी देते रहे | पौधों पर बाली निकलने से पूर्व और दाना पकने के दौरान अवश्य सिंचाई करे |

काले गेहूं में खरपतवार नियंत्रण (Black Wheat Crop Weed Control)

अक्सर फसल के साथ खेत में कई तरह के खरपतवार निकल आते है | यदि समय पर इन खरपतवार पर नियंत्रण न किया जाए तो फसल की पैदावार में 10 से 40 फीसदी तक कमी देखने को मिल सकती है | गेहूं की फसल में चौड़ी पत्ती और घास कुल जैसे खरपतवारो का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है | हिरनखुरी, कृष्णनील, बथुआ, जंगली गाजर, सैंजी और चटरी-मटरी जैसे खरपतवारो पर नियंत्रण पाने के लिए 2,4-D लवण 80% (टाफाइसाड, फारनेक्सान) की 0.625 GM की मात्रा या 2,4-D इथाइल ईस्टर 36% (वीडान, ब्लाडेक्स सी) की 1.4 KG की मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर मिश्रण तैयार कर लेते है | इसके बाद बुवाई के 25 से 30 दिन पश्चात् प्रति हेक्टेयर के खेत में छिड़काव किया जाता है | संकरी पत्ती वाले खरपतवार में गेंहूसा व जंगली जई का प्रकोप अधिक देखने को मिला है| यदि इस तरह का प्रकोप अधिक देखने को मिले तो गेहूं की फसल की जगह रिजका या बरसीम की फसल की बुवाई करे |

इस तरह के खरपतवार पर नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर के खेत में आइसोप्रोटयूरॉन 50 डब्लू.पी. 1.5 KG या पेन्डीमिथेलिन 30 ईसी (स्टाम्प) 800 से 1000 GM की मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के 2 से 3 दिन पश्चात् छिड़काव करे | खड़ी फसल में मेटाक्सुरान की 1.5 KG की मात्रा को 700 से 800 लीटर पानी में मिलाकर उसका छिड़काव प्रति हेक्टेयर के खेत में करे | मिश्रित खरपतवार की समस्या से निपटने के लिए 2,4-डी 0.4 KG और आइसोप्रोट्यूरान की 800 GM की मात्रा का छिड़काव करे |

काले गेहूं की पैदावार (Black Wheat Production)

जब इसके पौधों में लगे दाने पककर कठोर हो जाए और दानो में केवल 20-25 प्रतिशत नमी का अंश रह जाए, तब फसल की कटाई कर लेनी चाहिए| अब अगर बात करे काले गेहूं की पैदावार की तो एक बीघा खेत से 10 से 12 क्विंटल गेहूं का उत्पादन मिल जाता है |

काले गेहूं की कीमत (Black Wheat Price)

सामान्य गेहूं के मुकाबले काले गेहूं का बाज़ारी भाव काफी अच्छा देखने को मिल रहा है | बाजार में काले गेहूं का भाव 4,000 रूपए से लेकर 6,000 रूपए प्रति क्विंटल है, जो सामान्य गेहूं से दोगुना है | इस वर्ष सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,975 रूपए प्रति क्विंटल पर तय किया है | जिस हिसाब से किसान भाई काले गेहूं की फसल से तीन गुना कमाई कर सकते है |

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