चिया की खेती कैसे करे | Chia Farming in Hindi | चिया का मंडी भाव


चिया की खेती (Chia Farming) से सम्बंधित जानकारी

चिया सीड्स की खेती बीज के लिए की जाती है | इसका वैज्ञानिक नाम साल्विया हिस्पैलिका (Salvia Hispanica) है | इसे चीन के पौधे के रूप में जाना जाता है | यह टकसाल परिवार का सदस्य है, जो दक्षिण मैक्सिको और ग्वालेमाला मूल का निवासी है | मुख्य रूप से इसकी खेती हाइड्रोफिलिक चिया, खाद्य और बीज के लिए की जाती है | पश्चिम मैक्सिको, दक्षिण अमेरिका , संयुक्त राज्य अमेरिका और चीनके अलावा अब भारत में भी इसकी फसल लहलहाने लगी है | भारत के मंदसौर और नीमच के कुछ जिलों में चिया सीड की खेती होने लगी है | इसकी फसल भी रबी की फसल के साथ अक्टूबर और नवंबर माह में की जाती है |

चिया के बीजो में ओमेगा फैटी एसिड की भरपूर मात्रा पाया जाता है | इसके अलावा चिया में फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन और अनेक मिनरल्स जैसे पोषक तत्व मौजूद होते है | जिस वजह से चिया का सेवन शरीर व दिल को बीमारियों से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करता है | स्वास्थ के लिए अधिक लाभकारी होने के चलते है, विदेशो में इसे सुपर फ़ूड भी कहते है | यदि आप भी चिया की खेती करने का मन बना रहे है, तो इस लेख में आपको चिया की खेती कैसे करे (Chia Farming in Hindi) तथा चिया का मंडी भाव क्या है, की जानकारी दे रहे है |

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चिया बीज  से जुड़ी जानकारी (Chia Seeds Information)

चिया एक फूल वाला पौधा है, जो कि दक्षिण मैक्सिको और ग्वांटेमाला प्रजाति का सदस्य है | यह एक विशेष प्रकार की गंध वाला पौधा है, जिसमे पत्तो पर बाल उगे होते है | जिस वजह से जानवर भी इन पौधों से दूर रहते है, और पौधों को किसी तरह की हानि नहीं पहुंचाते है |

चिया की खेती के लिए तापमान और मिट्टी (Chia Cultivation Temperature and Soil)

चिया की खेती के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है, किन्तु ठंडी जलवायु वाले पहाड़ी इलाको में चिया की खेती नहीं की जा सकती है | इसके अतिरिक्त देश के सभी क्षेत्रों में चिया की खेती कर सकते है | कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसकी खेती किसी भी भूमि में की जा सकती है, किन्तु हल्की भुरभुरी और उचित जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी को उचित उत्पादन के लिए उपयुक्त माना जाता है |

चिया के बीजो की बुवाई का तरीका (Chia Seeds Sowing)

चिया सीड्स के बीजो की बुवाई के लिए छिड़काव विधि का इस्तेमाल किया जाता है, किन्तु लाइनों में बुवाई करना अधिक उपयुक्त होता है | यदि खेत में बुवाई के समय नमी की मात्रा कम है, तो हल्की सिंचाई कर खेत को बुवाई के उपरांत बनाया जाता है | बीजो की बुवाई 30 CM की दूरी पर 1.5 की गहराई में की जाती है, इससे बीज के अनुकरण में आसानी होती है | एक एकड़ के खेत में तक़रीबन 1 से 1.5 KG चिया के बीजो को लगाया जा सकता है |

इन बीजो को बुवाई से पूर्व केप्टान या थीरम फफूंदनाशक की 2.5 GM की मात्रा से एक किलोग्राम बीज को उपचारित किया जाता है, ताकि बीजो को जड़ गलन जैसे रोग न लग सके | चिया के बीजो की रोपाई के लिए अक्टूबर से नवंबर का महीना सबसे अच्छा होता है |

चिया के खेत की तैयारी (Chia Fields Preparation)

चिया बीजो के अधिक उत्पादन के लिए भूमि को ठीक तरह से तैयार करना उपयुक्त होता है | इसके लिए खेत की आरम्भिक जुताई को मिट्टी पलटने वाले हलो से करना होता है, तथा बाद में कल्टीवेटर लगाकर दो से तीन जुताई कर खेत की मिट्टी भुरभुरा कर देते है इसके बाद खेत में पाटा लगाकर मिट्टी को बारीक़ कर भूमि को समतल करना होता है | बीजो के अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई से पूर्व खेत में नमी की जरूरत होती है | जिसके लिए खेत में पलेव करके बुवाई करना उचित होता है |

चिया के खेत में खाद व उवर्रक (Chia Field Manure and Fertilizer)

चिया के खेत की मिट्टी का परीक्षण कर उसमे खाद व उवर्रक को देना होता है| चिया सीड के अच्छे उत्पादन के लिए प्रति हेक्टेयर के खेत में 10 टन सड़ी गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट खाद को डालें| इसके अलावा प्रति हेक्टेयर के खेत में 40:20:15 के अनुपात में सामान्य उवर्रक वाली N.P.K. की मात्रा का छिड़काव करे | इसके बाद बुवाई के 30 से 60 दिन पश्चात् नाइट्रोजन की दो बराबर मात्रा का छिड़काव सिंचाई के साथ खड़ी फसल पर करना होता है | चिया सीड्स की ऑर्गेनिक खेती के लिए नीम आयल और नीम की खली सबसे उत्तम होती है |

चिया सीड्स की सिंचाई (Chia Seeds Irrigation)

चिया की खेती में पौधों को विशेष सिंचाई की जरूरत नहीं होती है, क्योकि इसका पौधा अधिक कमजोर होता है, और अधिक जल की वजह से पौधों के टूटने का खतरा होता है | इसलिए खेत में जल भराव बिल्कुल भी न होने दे, तथा पहले से ही उचित जल निकासी वाली भूमि में चिया की बुवाई करे |

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चिया की फसल में रोग (Chia Crop Disease)

चिया की फसल में कटवा इल्ली रोग देखने मिल जाता है | यह रोग पौधों को भूमि की सतह के पास से काटकर हानि पहुंचाता है, तथा पत्तियों में भी खुजलीपन उत्पन्न कर देता है | इस रोग की रोकथाम के लिए प्रति लीटर पानी में क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी दवा की 2.5 ML की मात्रा को मिलाकर उसका छिड़काव पौधों पर करे |

चिया के खेत में खरपतवार नियंत्रण (Chia Field Weed Control)

चिया सीड्स की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए फसल को खरपतवार से मुक्त रखना जरूरी होता है | इसके लिए बीज बुवाई के 30 से 40 दिन बाद फसल की गुड़ाई की जाती है, तथा 30 दिन के अंतराल में और दो गुड़ाइयो को करना जरूरी होता है | इस निराई-गुड़ाई में फालतू पौधों को खेत से निकाल कर फेक दिया जाता है |

चिया फसल की कटाई पैदावार और लाभ (Chia Crop Harvesting Yields and Benefits)

चिया सीड्स के पौधे बुवाई के 110 से 115 दिन पश्चात् पककर कटाई के लिए तैयार हो जाते है | इस दौरान पौधों को पूरी तरह से उखाड़ लिया जाता है, तथा 5 से 6 दिन तक पौधों को ठीक तरह से सूखा लेते है | इन सूखे हुए पौधों से थ्रेशर मशीन के द्वारा बीजो को निकाल लिया जाता है | एक एकड़ के खेत से तक़रीबन 5 से 6 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त हो जाता है | चिया के बीजो की बाज़ारी कीमत तक़रीबन 1 हज़ार रूपए प्रति किलो होती है, जिससे किसान भाई एक एकड़ की फसल से 6 लाख तक मुनाफा कमा लेते है |

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