Table of Contents
ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की खेती से सम्बंधित जानकारी
देश की अलग-अलग जलवायु और मौसम के अनुसार यहाँ मशरूम की कई किस्मों का उत्पादन किया जाता है | वातावरण में ताप (Heat) और नमी (Damp) मशरूम के उत्पादन को प्रभावित करते है | अतः तापमान और नमी का विशेष रूप से ध्यान रखते हुए अलग-अलग समय पर विभिन्न प्रकार के मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है, ताकि किसान भाई अधिक से अधिक मुनाफा कमाकर अपने जीवन को खुशहाल बना सके | यदि आप भी मशरूम की खेती करना चाहते है, तो ऑयस्टर मशरूम की खेती आपके लिए एक बढ़िया विकल्प हो सकता है | ऑयस्टर मशरूम की खासियत यह है, कि आप इसका उत्पादन वर्षभर कर सकते है |
दरअसल इस प्रकार के मशरूम में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है | इसके अलावा इसमें विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण भी पाए जाते है | भारत में ऑयस्टर मशरूम को ढींगरी मशरूम के नाम से जाना जाता है | ढींगरी अर्थात ऑयस्टर मशरूम भी अन्य मशरूम की भांति पौष्टिक खाद्य पदार्थ है | यदि आप ऑयस्टर मशरूम की खेती कर अपनी आय को बढ़ाना चाहते है, तो ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की खेती [Oyster Mushroom Cultivation/Farming Process] के बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी विधिवत रूप से दी जा रही है |
ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम की खेती कैसे करे (Oyster Mushroom Cultivation/Farming Process in Hindi)
ऑयस्टर मशरूम के उतपादन करनें के लिए सबसे पहले आपको एक कमरे अर्थात मशरूम उत्पादन कक्ष की आवश्यकता होगी | यदि आपके पास ऐसा कोई कमरा नही है, तो आप इसे कच्र्ची इंटों, पोलिथीन तथा धान या अन्य फसल के पुआल से निर्मित कर सकते | हालाँकि आपको इस बात का ध्यान रखना होगा, कि मशरूम उत्पादन रूम में खिड़की और दरवाजों पर जाली लगी होना आवश्यक है|
वैसे तो यह कमरा किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन यदि यह कमरा 18 फुट लंबा 15 फुट चौड़ा 10 फुट ऊंचा है, तो इसमें आप लगभग तीन सौ (300) बैग रख सकते है | ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन किसी भी प्रकार की सड़ी-गली फसलों के अवशिष्ट पर किया जा सकता है | हालाँकि फसल अवशिष्ट या भूसा लगभग 2 से 3 सेमी साइज का कटा होना आवश्यक है |
फसल अवशेष को उपचारित कैसे करे (How to Treat Crop Residue)
फसलों के अवशेष अर्थात भूसे से नुकसानदायक सूक्ष्मजीवी फंफूद, बैक्टीरिया निकालने के लिए हम इसे 2 प्रकार से उपचारित कर सकते है | पहले प्रकार के अंतर्गत फसलों के अवशेष को एक बड़े बर्तन में डाल कर जल से भर दिया जाता है और इस पानी को 60 से 65 डिग्री सेल्सियस पर लगभग 25 से 30 मिनट तक उपचारित किया जाता है | इसके बाद इसे एक साफ स्थान पर फैला कर ठंडा होने पर इसमें बीजों को मिलाया जाता है|
द्वितीय विधि (Second Method)
फसल अवशेष को उपचारित करने की यह रासायनिक विधि है | इसमें कार्बेण्डजीम और फोर्मलीन से भूसे को उपचारित किया जाता है | सबसे पहले एक बड़े ड्रम में 90 लीटर पानी डाला जाता है, इसके पश्चात कार्बेण्डजीम 7.5 ग्राम और फोर्मलीन 125 मिली दवा ड्रम में मिक्स कर दिया जाता है | अब लगभग 10 से 12 किलो सूखे भूसे को भी ड्रम में डालकर इसे पोलिथीन की शीट से पूरी तरह से ढक दिया जाता है | लगभग 14 से 16 घंटे के बाद भूसे को किसी प्लास्टिक या लोहे की जाली पर 4 से 5 घंटे के लिए छोड़ देना चाहिए ताकि पानी पूरी तरह से बाहर हो जाये |
ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम के बीजों की बुवाई करना (Dhingri or Oyster Mushrooms Sowing Seeds)
बीजाई करने से लगभग दो दिन पहले 2 प्रतिशत फार्मलीन से उपचारित कर लेना चाहिए | इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इसका बीज 30 दिनों से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए | 100 किलो (1 क्विंटल) भूसे के लिए 10 किलो बीज की जरुरत पड़ती है | हालाँकि आपको सर्दी और गर्मी के मौसम को देखते हुए ऑयस्टर या ढींगरी मशरूम की प्रजाति का सिलेक्शन करना आवश्यक होता है |
बीजों की बुवाई अर्थात बीजाई करने के लिए चार किलो की क्षमता वाली पोलिथीन की थैली में 4 किलो गीले भूसे में लगभग 100 ग्राम बीज अच्छी तरह से मिला कर भर दें | भूसे को अच्छी तरह से दबाकर पोलिथीन भर देनी चाहिए | इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पोलिथीन के अंदर किसी भी तरह हवा ना जाए | अब पोलिथीन को मोड़कर रबड़ बेंड से बंद कर दें | इसके बाद पोलिथीन के चारों और लगभग 5 से 6 मिमी. के दस से पंद्रह छेद कर दें |
दूधिया मशरूम की खेती कैसे करें
ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम बुवाई के बाद रखरखाव (Dhingri or Oyster Mushrooms Maintenance after Sowing)
बीजों की बुवाई करने के बाद पोलिथीन की थैलियों को मशरूम उत्पादन कक्ष में रख देना चाहिए और यह देखते रहना चाहिए कि थैली में हरा, काला या नीले रंग की फंगस तो नही लगाना शुरू हो गया है | यदि ऐसा है, तो जिस थैली में इस प्रकार की समस्या है उसे तुरंत करे से काफी फेंक देना चाहिए अन्यथा दूसरे बैग भी ख़राब हो सकते है | यदि आप गर्मियों के मौसम में इस मशरूम का उत्पादन कर रहे है, तो स्वाभाविक रूप से कमरा काफी गर्म होगा |
इसके लिए आपको कमरे की दीवारों पर पानी का छिडकाव करना चाहिए साथ ही पोलिथीन बैग पर भी हलके पानी का छिड़काव दिन में तीन से चार बार तक करना चाहिए | आप देखेंगे कि लगभग 20 से 25 दिनों बाद ढींगरी मशरूम मशरूम निकलने लगेंगे | आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है, कि आपने जिस कमरे में मशरूम की बीजाई की है उसमें कम से कम 5 से 6 घंटे तक पर्याप्त रोशनी रहना आवश्यक है | हालाँकि इसके लिए आप कमरे में ट्यूब लाईट या बल्ब का इस्तेमाल कर सकते है |
ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम की तुड़ाई कैसे करें (Dhingri or Oyster Mushroom Twisting)
बुवाई के लगभग 20 से 25 दिनों के बाद छतरी के बाहरी किनारे यदि ऊपर की तरफ मुड़ने लगे तो इसकी पहली तुड़ाई कर लेना चाहिए | मशरूम को नीचे की ओर से हल्का सा मोड़ दिया जाता है, जिससे मशरूम टूट जाता है | पहली फसल के बाद लगभग 8-10 दिन बाद दूसरी बार मशरूम उगते है | इस तरह से 3 बार उत्पादन लिया जा सकता है | एक किलो सूखे भूसे से लगभग 700 से 800 ग्राम तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है |
ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम भंडारण और उपयोग (Dhingri or Oyster Mushrooms Storage and Use)
भंडारण करने के लिए मशरूम को तुरन्त तोड़ कर पोलिथीन में पैक नहीं करना चाहिए | इसे लगभग दो से तीन घंटे तक कपड़े या कागज पर सुखाकर पैक करना अच्छा रहता है| ऐसा करने से मशरूम जल्दी खराब नहीं होता है | मशरूम का उपयोग हम विभिन्न प्रकार से जैसे सूप, सब्जी, बिरयानी, आचार आदि बनाने के लिए कर सकते है | इतना ही नहीं इसे सुखाकर भी सब्जी तथा सूप बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है |
ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम उत्पादन में लागत और मुनाफा (Dhingri or Oyster Mushroom Production Cost and Profits)
ढींगरी या ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन बहुत ही लाभकारी व्यवसाय है | मशरूम के उत्पादन में लागत बहुत कम आती है | हालाँकि कमरे को तैयार करने में पहली खर्च अधिक आ सकता है परन्तु एक बार कमरा तैयार हो जाने के बाद कई वर्षो तक इसमें मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है | आपको बता दें, कि 1 किलोग्राम ढीगरी मशरूम के उत्पादन में लगभग 10 से 15 रुपये की लागत लगती है और मार्किट में इसे मांग के अनुसार इसे 150 रुपये से लेकर 250 रुपये तक बेंचा जा सकता है |
गैनोडर्मा मशरूम की खेती कैसे करें