मुर्गी दाना कैसे बनता है – बनाने की विधि | मुर्गी दाना बनाने वाली मशीन की कीमत


मुर्गी दाना (Chicken Feed)

किसान भाई खेती किसानी करने के साथ ही पोल्ट्री फार्मिंग का भी कार्य करने लगे है| कुछ लोग बड़े स्तर पर मुर्गी पालन कर पोल्ट्री फार्म की शुरुआत करते है, तो कुछ लोग सामान्य तौर पर मुर्गी पालन करते है, ताकि वह मुर्गी पालन से अच्छी कमाई कर सके| लेकिन मुर्गी पालन करने वाले लोगो के सामने मुर्गी दाना से जुड़ी समस्या जरूर आती है, क्योकि मुर्गी दाना खरीदने में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते है, ऐसे में जो व्यक्ति सिमित मात्रा में मुर्गी पालन कर रहा है| उसके लिए मुर्गी दाना खरीद पाना महंगा होता है|

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप घर पर मुर्गी दाना तैयार कर सकते है, और अपने पैसे बचा सकते है| कुछ लोग तो बड़ी मात्रा में मुर्गी दाना तैयार कर उसे बेचते है, और अच्छा पैसा कमाते है| अगर आप भी अपनी मुर्गियों के लिए घर पर मुर्गी दाना तैयार करना चाहते है, तो इस लेख में आपको मुर्गी दाना कैसे बनता है तथा मुर्गी दाना बनाने की विधि और मुर्गी दाना बनाने वाली मशीन की कीमत के बारे में बता रहे है|

मुर्गी दाना कैसे बनता है (Chicken Nuggets)

मुर्गी दाना बनाने के लिए बाजरा, मक्का, तेल, मार्बल पत्थर व अन्य आवश्यक चीजों को सही मात्रा में मिलाते है| जिसके बाद मुर्गियों को देने के लिए पोषक युक्त मुर्गी का दाना घर पर ही तैयार हो जाता है, यहाँ पर आपको मुर्गी दाना बनाने के बारे में विस्तार से बताया जाएगा|

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मुर्गी दाना बनाने की विधि (Chicken Granat Recipe)

मुर्गी दाना बनाने के लिए जिन चीजों को इस्तेमाल में लाते है, वह इस प्रकार है:-

मक्का :- मक्का एनर्जी का मुख्य स्त्रोत होता है, जो पचने और भण्डारण करने में ज्यादा आसानी होती है| अधिकतर देशो में मक्के को मुर्गी दाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते है| सूखे मक्के के प्रति किलो की मात्रा में तकरीबन 3350 kcal और 8-13% प्रोटीन होता है| पोल्ट्री फीड में मक्के की 70% मात्रा मिलाई जाती है| मक्का हमेशा सूखा और फंगस मुक्त हो, प्रत्येक वर्ष मक्के में 13.5% कम नमी हो| नमी को जांचने के लिए आप नमी जांचने वाला मीटर या परम्परागत तरीका अपना सकते है|

इसके लिए आप एक साफ़-सुथरी पारदर्शी कांच की बोतल में थोड़ा सा मक्का और साधारण सूखा नमक डालकर उसे 2-3 मिनट तक हिलाए, अगर नमक कांच की बोतल में चिपक रहा है, तो समझ ले कि मक्के में नमी ज्यादा है, और मक्का भण्डारण के लायक नहीं है| अगर ऐसे मक्के को भंडारित किया जाए, तो उसमे फंगस और अन्य हानिकारक तत्व उत्पन्न होकर मक्का बर्बाद कर सकते है, इससे फीड की गुणवत्ता ख़राब हो जाएगी|

सोयाबीन की खली :- सोयाबीन की खली में 45-49% प्रोटीन की मात्रा होती है| सोयाबीन प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत होने के साथ ही इसमें ट्रीप्टोफेन, थ्रेओनीन और लाइसिन भरपूर मात्रा में होती है| सोयाबीन में फंगस और कुछ नुकसान देने वाले तत्व होते है, जिसे फैक्ट्री में गर्मी देकर ख़त्म करते है| इसलिए अच्छी गुणवत्ता वाला सोयाबीन ख़रीदे| पोल्ट्री फीड में तकरीबन 35% सोयाबीन की खली मिलाई जाती है|

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तेल :- पोल्ट्री फीड को अधिक ऊर्जावान बनाने के लिए तेल भी मिलाते है| तेल Vitamin A,D,E और K का अच्छा वाहक है| पोल्ट्री फीड बनाने में आप चावल, सोयाबीन, पाम, सूरजमुखी व अन्य तेलों का इस्तेमाल कर सकते है| पोल्ट्री फीड में तेल की मात्र 4% मात्रा मिलाई जाती है|

लाइम पत्थर पाउडर :- पोल्ट्री फीड बनाने के फॉर्मूले में लाइम पत्थर पाउडर का भी इस्तेमाल करते है| यह पाउडर फीड में कैल्शियम की कमी को पूरा करता है, जो पक्षियों में उनकी हड्डी का विकास करता है|  

डाई कैल्शियम फास्फेट :- पोल्ट्री फीड में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए डाई कैल्शियम फास्फेट फास्फोरस मिलाया जाता है| शाकाहारी फीड के फॉर्मूले में इसे खासतौर पर उपयोग करते है|

सोडियम क्लोराइड (नमक) :- ब्रायलर पक्षी के फीड को बनाने में 0.12%-0.2% सोडियम को भी मिलाते है| वैसे तो सोया बीन और मक्के में कुछ सोडियम होता है, लेकिन फॉर्मूले के आधार पर कुछ मात्रा में नमक को अगल से मिलाते है| पोल्ट्री फीड में सोडियम की मात्रा कम होने से पक्षी कम विकसित होते है, साथ ही वह सुस्त बने रहते है, और कुछ समय में मर जाते है, या उनके पेट में पानी भरने की समस्या उत्पन्न होने लगती है| कुछ मामलो में पक्षी अन्य पक्षियों को अपने चोंच से वॉर कर जख्मी करने लगता है|

मीठा सोडा (सोडियम बाई कॉर्बोनेट) :- कई रिसर्च में पाया गया है, कि पोल्ट्री फीड में मीठा सोडा मिलाने से फीड आसानी से पच जाता है, लेकिन फीड में सोडियम बाई कॉर्बोनेट मिलाने पर फीड की लागत बढ़ जाती है, किन्तु पक्षीयो का बेहतर विकास होता है|

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मेथिओनीन :– पोल्ट्री फीड में मेथिओनीन मिलाने से पक्षी के विकास दर में वृद्धि होती है, साथ ही फीड फॉर्मूले का संतुलन बना रहता है|

थ्रेओनीन :– अगर पोल्ट्री फीड में थ्रेओनीन की मात्रा मिलाई जाए, तो पक्षियों में सीने का मांस बेहतर तरीके से बढ़ेगा|

खनिज लवण का मिश्रण :- अनेको कंपनियां फीड बनाने में खनिज लवण भी बनातीं है| लेकिन भाव प्रतिस्पर्धा की वजह से खनिज लवण में उपयुक्त मात्रा में सेलेनियम और क्रोमियम नहीं मिला पाते है| इसलिए पोल्ट्री फीड बनाने में अलग से सेलेनियम और क्रोमियम को जरूर मिलाए|

ब्रायलर प्रीमिक्स विटामिन मिश्रण :–  ब्रायलर फीड तैयार करने में अनेको कंपनियां विटामिन भी मिलाती है| लेकिन लागत प्रतिस्पर्धा की वजह से कुछ कंपनियां विटामिन के मिश्रण में विटामिन C, E और बायोटिन को सही मात्रा में नहीं मिलाती है, जिस वजह से फीड के अच्छे परिणाम नहीं मिलते है, इसलिए इसमें विटामिन E, C और बायोटिन की मात्रा अलग से मिलाए|

माइको टोक्सिन बाइंडर :- पोल्ट्री फीड बनाने में परंपरागत किसान टोक्सिन बाइंडर का इस्तेमाल करते है| लेकिन टोक्सिन बाइंडर का उपयोग ज्यादा बेहतर माना गया है| क्योकि यह अनेको दुष्प्रभाव को दूर करता है| अगर फीड बनाते समय आपको लगता है, कि फीड में इस्तेमाल होने वाले तत्वों में कोई कमी हो सकती है, तो आप माइको टोक्सिन बाइंडर या साधारण टोक्सिन बाइंडर दोनों में से एक का इस्तेमाल फीड बनाने में कर सकते है|

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एसीडीफायर :- पोल्ट्री फीड बनाने के फॉर्मूले में एसीडीफायर का उपयोग पक्षी के विकास को बढ़ाने का कार्य करता है| यह एसीडीफायर फीड में विषैले तत्वों को बढ़ने से रोकता है, और पक्षियों को बेहतर फीड उपलब्ध कराता है, इससे फीड पाचन की क्षमता बढ़ती है, और फीड में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया की मृत्यु हो जाती है|

लीवर टॉनिक :- पक्षियों के शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने के लिए लीवर टॉनिक का इस्तेमाल करते है| इसलिए पोल्ट्री फीड बनाने में फॉर्मूले में सिंथेटिक लीवर टॉनिक या ट्राईकॉलिन क्लोराइड का जरूर इस्तेमाल करे, इससे पक्षी कम फीड खाकर भी अधिक वजन पाता है|

एंटीकोक्सीडियल्स :– पोल्ट्री फ़ीड में एंटीकोक्सीडियल्स डालने से पक्षियों में कोक्सी नामक गंभीर बीमारी दूर रहती है|

नीला थोथा (कॉपर सल्फेट) :– फीड को फंगस और हानिकारक तत्वों से बचाने के लिए नीला थोथा का इस्तेमाल करते है| पोल्ट्री फीड में कॉपर सल्फेट डालने से FCR को बेहतर देखा गया है|

प्रोबिओटिक्स :- यह एक अच्छा बैक्टीरिया है, जिस तरह से दही का बैक्टीरिया अच्छा होता है| यह पक्षी को आंत की बीमारी से दूर रखता है| आप पोल्ट्री फीड में अच्छी कंपनी वाला प्रोबिओटिक मिश्रण मिलाए, जिसमे अनेक प्रोबिओटिक मौजूद हो| प्रोबिओटिक्स को सीधा धूप की रौशनी और गर्मी से दूर रखे|

एंटी ऑक्सीडेंट्स :- चूंकि पोल्ट्री फीड की गुणवत्ता को अच्छा बनाने के लिए तेल का इस्तेमाल करते है, जिस वजह से उसमे तेजी से फंगस लगता है, जो पक्षी को बीमार कर देता है| पोल्ट्री फीड में एंटी ऑक्सीडेंट मिलाने वह जल्दी ख़राब नहीं होता है|

बीटेन :- गर्मियों के मौसम में किसान भाई पोल्ट्री फीड में बीटेन को मिलाते है, जो पक्षियों में तनाव को कम करने का काम करता है|

हल्दी पाउडर :- पोल्ट्री फ़ीड में हल्दी पाउडर डालने से पक्षियों की मृत्यु दर कम हो जाती है| यह उन किसानो के लिए काफी लाभदायक है, जो पोल्ट्री फ़ीड में एंटीबायोटिक नहीं मिलाते है| इसका कोई दुष्परिणाम भी नहीं है|

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पोल्ट्री फीड बनाते समय सावधानियां (Poultry Feed Preparing Precautions)

  • पोल्ट्री फीड बनाने वाली कंपनियां फीड तैयार करने के लिए अलग-अलग उत्पाद की अलग-अलग मात्रा का उपयोग करती है| पोल्ट्री फीड बनाने के लिए आप निर्माताओं द्वारा बताई गई, डोज का पालन करे, और सही मात्रा में फीड मिलाए|
  • पोल्ट्री फार्म पर 400 GM प्री स्टार्टर फीड और 1200 GM स्टार्टर पोल्ट्री फीड एवं पक्षी के निकल जाने तक फिनिशर पोल्ट्री फीड का उपयोग करे|
  • पोल्ट्री फार्म पर सभी चीजों का एडवांस में स्टॉक रखे|
  • पोल्ट्री फीड तैयार करने में जिन उत्पादों की आवश्यकता होती है, उन्हें धूप वाले स्थान से बचाकर रखे|
  • टायमूलिन का उपयोग काफी सावधानी से करे|
  • पोल्ट्री फीड का मिश्रण तैयार करने के लिए अच्छे मिक्सर की मदद ले|
  • फाईटेज एंजाइम की मात्रा को 1.5 गुना तक बढ़ा सकते है|
  • पोल्ट्री फीड के दानो को अच्छे से पीसे क्योकि मोटा दाना बेहतर तरीके से नहीं पच पाता है|
  • पोल्ट्री फीड को सही से मिलाए, आरंभ में कुछ फीड में तेल मिला लेना चाहिए, फिर सारे में मिलाए|
  • पोल्ट्री फीड बनाते समय कोई भी उत्पाद छूटा न रह जाए|
  • पोल्ट्री फीड में मिलाए जाने वाले सभी उत्पादों की समाप्ति तिथि जरूर देख ले|
  • पोल्ट्री फीड का उत्पाद हमेशा ही प्रतिष्ठित कंपनी का ख़रीदे|
  • आरंभ के दिनों में क्रंब्स फीड का इस्तेमाल करे|
  • एक फीड को दूसरे फीड पर शिफ्ट करने के लिए 50-50% क्रम्ब्स फीड को मैश फीड की मात्रा को मिलाए| इसी फीड को एक दिन देने के पश्चात् दूसरे फीड पर शिफ्ट कर दे|
  • आधारभूत उत्पाद जैसे :- मक्का, खली, तेल और सोयाबीन को खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता की जाँच जरूर कर ले| उत्पाद फंगस मुक्त और बिल्कुल सूखा होना चाहिए, इसलिए उत्पादों को खरीदते समय सख्त पैमाने का उपयोग करे| मक्के में 14% और सोयाबीन की खली में तकरीबन 11% से भी कम नमी उपयुक्त है|
  • पोल्ट्री फॉर्म पर फीड को एकत्रित करने के लिए कभी भी इस्तेमाल की गई बोरी का उपयोग न करे| हमेशा ही नई बोरी लाए ताकि किसी अन्य स्थान की बीमारी आपके पोल्ट्री फीड में न पहुंच पाए|
  • अगर फीड प्रीमिक्स में बायोटिन, क्रोमियम, विटामिन E, विटामिन  C और सेलेनियम की मात्रा नहीं है, तो आप निर्माता कंपनी द्वारा बताए गए डोज के हिसाब से इन उत्पादों को अलग से मिला ले| यदि पक्षी किसी गर्म या अति गर्म स्थान पर पल रहे है, तो आप निर्माता कंपनी द्वारा बताए गए, डोज के अनुसार बीटेन को भी फीड में मिलाए|
  • बीटेन पक्षियों के सीने पर मांस की अधिक वृद्धि करता है|
  • कानूनी नियमो के अनुसार एंटी बायोटिक को उपयोग में लाए|
  • डॉक्टर की सलाह पर ही एंटी बायोटिक का उपयोग करे|
  • कुछ बैच के निकल जाने पर एंटी बायोटिक भी बदल देने चाहिए|
  • कुछ बैच के निकल जाने पर एंटी कोक्सीडियल बदल देने चाहिए|

मुर्गी दाना बनाने वाली मशीन की कीमत (Chicken Feed Machine Price)

मुर्गी दाना बनाने के लिए अगर आप पोल्ट्री फीड बनाने वाली मशीन को खरीदना चाहते है, तो आप अपनी जरूरत के अनुसार फीड तैयार करने वाली मशीन को खरीद सकते है| अगर आप कुछ मात्रा में ही पोल्ट्री फीड तैयार करना चाहते है, तो आप कम इन्वेस्ट कर छोटी मशीन भी खरीद सकते है| पोल्ट्री फीड बनाने की छोटी मशीन आपको 55,000-1,25,000 रूपए तक मिल जाएगी, जिसमे आपको अधिकतम 300 KG प्रति घंटे की स्पीड से फीड तैयार करने वाली मशीन मिल जाएगी|

इसके अलावा कुछ मशीन काफी बड़ी होती है, जिन्हे लगाने के लिए बड़े प्लांट और काफी इन्वेस्ट की जरूरत होती है, लेकिन इस तरह की मशीन को खरीद कर आप प्रति घंटे में 1 से 10 टन पोल्टी फीड को निकाल सकते है| इस मशीन की कीमत 4-48 लाख रूपए तक होती है|

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