गुलाब की खेती कैसे होती है | Rose Farming in Hindi | गुलाब की किस्में


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गुलाब की खेती (Rose Farming) से सम्बंधित जानकारी

आज के समय में किसी भी कार्यक्रम में मंदिर में या फिर किसी का स्वागत करने में इसके अलावा कोई फंक्शन पड़ने पर फूलो का प्रयोग सबसे अधिक देखने को मिलता है | घरो में होने वाले छोटे-बड़े प्रोग्राम में घर को सजाने तथा अन्य तरह के कार्यो में फूलो का अधिक इस्तेमाल होता है | ऐसी परिस्थिति में विभिन्न प्रकार के फूलो की मांग बाजार में बढ़ती जा रही है | सभी प्रकार के फूलो में गुलाब के फूलो को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है, शादियों के सीजन में इसकी मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है | जिसके चलते किसानो की दिलचस्पी गुलाब की खेती एक फायदेंमंद खेती के रूप में उभर कर सामने आयी है|

आम तौर पर गुलाब का रंग गुलाबी ही होता है, किन्तु वर्तमान समय में हमे गुलाब कई रंगो में देखने को मिल जाते है| इसमें सफ़ेद और पीले रंग के फूल अधिक मात्रा में देखने को मिल जाते है | इसके अतिरिक्त रक्त्लाल, दोरंगे और तींरंगे गुलाब, लाल, नारंगीलाल रंग के भी गुलाब भी आसानी से देखने को मिल जाते है | लेकिन अब नीले और काले रंग के गुलाब के फूल भी देखने को मिल रहे है| गुलाब के फूल को प्रेम का प्रतीक कहा जाता है|

गुलाब के फूल का प्रयोग सुंदरता दिखने के अलावा औषधीय कार्यो में भी अधिक किया जाता है | सौन्दर्य प्रसाधन की चीजों में भी गुलाब के फूलो का अधिक इस्तेमाल होता है | यदि आप भी गुलाब की खेती करने का मन बना रहे है, तो यहाँ पर आपको गुलाब की खेती कैसे होती है, Rose Farming in Hindi, गुलाब की किस्में इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जा रही है|

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गुलाब की खेती कैसे करे (Rose Farming in Hindi)

गुलाब का पौधा आकार में 4 से 5 फिट तक लम्बा होता है, इसके फूल वाले भाग को छोड़ दे तो बाकी सभी जगह टहनी और तना दोनों पर ही कांटे लगे होते है | गुलाब की खेती को देश में लगभग सभी जगह उगाया जा सकता है | कुछ लोग इसे मुनाफे के लिए उगाते है, तो कुछ लोग इसे सुंदरता के लिए अपने घरो, बागो बगीचों, सरकारी या निजी इमारतों तथा ऑफिस एरिया जैसी जगहों पर भी उगाते है| व्यापारिक नजरिये से इसे खेतो और पॉलीहाउस में उगाते है, जिससे वह इससे अच्छी कमाई कर सके|

आज कल मंडियों में सभी जगह फूलो का व्यापार होने लगा है, जिस कारण इसे बेचने में काफी आसानी होती है | फूलो की सबसे बड़ी मंडी दिल्ली में स्थित है, जिस वजह से उत्तर भारत के लोगो को अधिक पैदावार को बेचने में किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है|

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गुलाब की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Soil suitable for rose cultivation)

गुलाब की खेती में सही भूमि का होना बहुत आवश्यक होता है| इसके लिए हमें ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए जहा पानी की सुविधा पूर्ण रूप से हो, तथा भूमि को चुनते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बारिश के मौसम में किसी तरह का जल-भराव न हो| जलभराव अधिक होने से पौधों के ख़राब होने की सम्भावना बढ़ जाती है| छायादार जगह का भी ध्यान रखना चाहिए क्योकि छाया का प्रभाव इसकी खेती को प्रभावित करता है, जिससे सूर्य का प्रकाश सीधे पौधों पर पड़ सके और वह अच्छे से विकास कर सके|

गुलाब की खेती को किसी भी तरह की मिट्टी में किया जा सकता है, किन्तु कुछ ऐसी भी मिट्टियां होती है जिनमे इसकी खेती को करना सम्भव नहीं है, लेकिन पोलीहाउस के उपयोग ने इन समस्याओ का भी समाधान कर दिया है| वर्तमान समय में पोलीहाउस का इस्तेमाल कर गुलाब की खेती को देश के अधिकतर हिस्सों में किया जाने लगा है|

पोलीहाउस का प्रयोग कर काफी तरह की फसलो को उगा कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है | यदि आप पालीहाउस का प्रयोग नहीं कर रहे है तो आपको गुलाब की खेती के लिए दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है | इसके अतिरिक्त काली मिट्टी में भी इसकी फसल को कर सकते है| गुलाब की खेती में भूमि का P.H. मान 5.5 से 6.5 के मध्य होना चाहिए|

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गुलाब की खेती में उपयुक्त जलवायु और तापमान (Suitable Climate and Temperature in Rose Cultivation)

गुलाब की खेती में अधिकतम तापमान 30 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री तक का होना चाहिए . कश्मीर जैसे अत्यधिक ठन्डे प्रदेशो में इसकी खेती को नहीं किया जा सकता है, क्योकि इसकी खेती में सामान्य तापमान वाली जगह की आवश्यकता होती है, किन्तु भारत के उत्तरी क्षेत्रो के कुछ प्रदेशो में इसकी खेती को सर्दियों के मौसम में भी किया जा सकता है, क्योकि गर्मियों के समय यहाँ का तापमान काफी अधिक हो जाता है और तेज गर्म हवाए भी चलती है| जो कि गुलाब के फूल के लिए काफी हानिकारक होती है | इसलिए यहाँ इसकी खेती को सर्दियों के मौसम में किया जाता है| यदि तापमान का ठीक से ध्यान रखा जाये तो इसे राजस्थान जैसे शुष्क इलाको में भी उगाया जा सकता है|

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गुलाब की खेती के लिए भूमि को कैसे तैयार करे (How to Prepare Land for Rose Farming)

गुलाब की खेती करने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर पुरानी फसल के बचे हुए सभी अवशेषों को साफ कर दे | इसके बाद खेत को अच्छे से जोत कर कुछ दिन के लिए ऐसे ही छोड़ दे | इससे सूर्य की गर्मी भूमि के अन्दर तक अवशोषित हो जाती है, इसके लिए खेत को 3 से 4 बार तक और जोत दे | इसके बाद गोबर की पुरानी खाद को खेत में डालकर जुताई कर अच्छे से मिला दे | सुपर फास्फेट का खेत में छिडकाव करे और दीमक से बचाव के लिए फालीडाल पाउडर या कार्बोफ्यूरान 3G का छिड़काव करे |  इसके बाद खेत में एक बार फिर से जुताई कर दे जुताई के बाद खेत में क्यारियों को तैयार कर ले फिर उनमे पानी भर दे | इसके बाद खेत में पौधों के निकलने का इंतजार करे|

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गुलाब की उन्नत किस्मे (Rose Varieties)

किसी भी फसल को बोने से पहले उसकी उन्नत किस्म का चयन कर लेना चाहिए | अलग – अलग जगहों के हिसाब से गुलाब की भिन्न-भिन्न किस्मे पायी जाती है | जिसका चयन हमे खेती करते समय करना होता है | पहले के समय में भारत में इसकी केवल एक परंपरागत किस्म को उगाया जाता था, किन्तु आज संकरण के जरिये इसकी कई किस्मो को तैयार कर लिया गया है | गुलाब की अलग – अलग किस्मो को दुनिया के कई देशो जैसे :- इंग्लैंड, अमेरिका, आयरलैंड, जर्मनी, जापान, फ्रांस, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया आदि से मंगाया जाता है |

दुनिया भर में गुलाब की लगभग 20 हजार किस्में पायी जाती है, किन्तु इनके फूलो की खुश्बू, रंग, आकार के अनुसार अलग-अलग श्रेणीयो में रखा गया है | यदि आप गुलाब की खेती करने का मन बना रहे है, तो यहाँ आपको इसकी सबसे उन्नत किस्मों के बारे जानकारी दी गई है |

गुलाब की देशी किस्मो में रंग के आधार पर कई किस्म मौजूद है, जिसका लोग अधिक मात्रा में उत्पादन भी करते है | सफ़ेद फूल में पायी जाने वाली देशी किस्मे होमी भाभा, पूसा सोनिया, विरंगों, डिवाइन लाइट मौजूद है | वही लाल रंग की देशी किस्मो की बात करे तो इसमें पापामिलाड, हेपिनेस, क्रीमसन, ग्लोरी, रक्त गंधा, भीम, अनुपमा और ग्लेडिएटर आदि किस्में मौजूद है, तथा पीले देशी रंग के फूलो में  चितवन, लिंडोस, पूर्णिमा जैसी किस्में मौजूद है फूलो की इन सभी किस्मो को एक खास तरह की श्रेणी में रखा गया है |

हाईब्रिड टी वर्ग किस्म के पौधे (Hybrid T class Variety Of Rose)

पौधों की यह किस्म बड़े आकार के पौधों के रूप में जानी जाती है | इस श्रेणी के पौधे एक वर्ग एरिया में प्रत्येक वर्ष 100 से 150 तक फूल ही दे पाते है | इस वर्ग के पौधे सबसे जल्दी फूल देने के लिए  जाने जाते है | इसके पौधे लगने के 2 महीने बाद ही फूल बनकर तैयार हो जाते है | इसमें फूल पौधों की टहनियों पर ही निकलते है, तथा इस किस्म के पौधे बहुत जल्द फूल देने लगते है | गुलाब की इन किस्मो में चंद्बंदीकली, गुलजार, मिलिंद, मृणालिनी, रक्त्गंधा, सोमा, सुरभी, नूरजहाँ, मदहोश, डा. बैंजमन पाल, डा.होमी भाभा, चितवन और भीम आदि शामिल है |

पॉलिएन्था (Polyantha Rose)

गुलाब की यह किस्म अधिकतर घरो या दफ्तरों के बगीचों में सजावट के लिए लगाए जाते है | इस किस्म के पौधों  में फूल काफी में तथा कई दिनों तक आते है | स्वाति, इको, अंजनी इसकी मुख्य किस्मे है |

क्लैंग्बिंग एंड रैंबलिंग रोज (Rambling Rose)

पौधों की यह किस्म लता वर्ग के पौधों के रूप में भी जानी जाती है, क्योकि इसके पौधे किसी दीवार का सहारा लेकर ऊपर चढ़ते है तथा एक रस्सी की तरह बढ़ते जाते है | यह पौधे एक बेल बनाते हुए ऊपर की और वृद्धि करते जाते है, इसलिए इन्हे किसी सहारे की जरूरत नहीं होती है | इस तरह के पौधों में वर्ष में केवल एक बार ही फूल खिलते है, इसमें सदाबहार, समर स्नो, मार्शल नील, दिल्ली वाईट पर्ल, गोल्डन शावर, कॉकटेल, रायल गोल्ड, एलवटाइन, एक्सेलसा और डोराथी पार्किंस आदि पौधों की किस्मे पायी जाती है |

टी रोजेज (T Roses)

गुलाब की इस किस्म उतपत्ति चीन में की गयी थी | इसमें गुलाब के फूल की पंखुडिया मोती और चौड़ी होती है तथा यह तेजी से वृद्धि कर बढ़ते है, इसमें अलैक्जेण्डर, दी ब्रिज जैसी मुख्य किस्मे है |

ग्रेन्डीफ्लोरा किस्म के फूल (Grandiflora Rose)

इसे छोटी डंडी वाला गुलाब का फूल बोला जाता है | इसके पौधे एक वर्ग मीटर में 250-350 फूल प्रति वर्ष देते है | इसकी कटाई में अधिक समय लगता है | इस किस्म के पौधों को फ्लोरीबंडा और हाईब्रिड के संकरण के बाद तैयार किया जाता है | इसे बड़े पैमाने की खेती के लिए उपयोग में लाया जाता है | फ्लोरीबंडा और हाईब्रिड फूलो की ऐसी किस्मे है जिन्हे बड़ी मात्रा में उपयोग में लाया जाता है|

फ्लोरीबंडा किस्म के पौधे (Floribunda Rose)

इस वर्ग के पौधे आकार में ज्यादा बड़े नहीं होते है, इसलिए इन्हे मध्यम आकार के फूलो की श्रेणी में रखा गया है | इसमें फूल आकार में थोड़ा छोटे है तथा एक वर्ग मीटर में यह लगभग 200 फूलो की पैदावार ही देते है | इसके सभी फूल गुच्छे नुमा आकार में खिलते है जिससे कम जगह में ज्यादा फूलो को प्राप्त किया जा सकता है | जिससे किसान भाई अच्छी कमाई भी करते है | इस वर्ग में कविता, जंतर मंतर, सदाबहार, लहर, सूर्यकिरण, दिल्ली, प्रिन्सिस, समर, बहिश्त, आइसबर्ग, शबनम, बंजारन, करिश्मा, चन्द्रमा, चित्तचोर और दीपिका आदि मुख्य किस्मे पायी जाती है|

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गुलाब को खेत में लगाने से पहले पौधे को तैयार करना (Prepare The Plant Before Planting The Rose in The Field)

गुलाब के पौधों को तैयार करने की यह विधि टी बॉडिंग कहलाती है | इस विधि में पौधों को तैयार करने के लिए जंगली गुलाब की कलम को जून या जुलाई के महीने में लगा दिया जाता है | क्यारी में इन कलमों को 15 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है | इसके बाद इसमें शाखाये निकलने लगती है जिसे हटा दिया जाता है | इसके बाद अच्छी किस्म की गुलाब की टहनी को पॉलीथिन में लगा कर उन्हें ऊपर तक अच्छे से बांध दिया जाता है इस पॉलीथिन में उवर्रक मिली मिट्टी भरी होती है | कुछ समय बाद ही इनमे टहनिया निकल आती है, इसके बाद यह अगस्त माह तक रोपाई के लिए तैयार हो जाते है |

गुलाब के पौधे के रोपाई का सही समय और तरीका (The Right Time and Manner of Transplanting Rose Plant)

किसी भी फसल की अच्छी पैदावार के लिए उसे सही समय पर लगाना जरूरी होता है | यदि उस फसल के पौधों को सही समय पर नहीं लगाया गया है तो उसकी पैदावार पर भी काफी फर्क पड़ता है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा भी कमा सकते है | अगर गुलाब के फूल की बात करे तो इसके लिए सही समय काफी जरूरी होता है, क्योकि कुछ समय ऐसे होते है जब गुलाब के फूलो की मांग सबसे अधिक होती है |

यह क्रिसमस और वेलेंटाइन जैसे खास मोके होते है, इस दौरान गुलाब के फूलो का उपयोग सबसे अधिक होता है  इसलिए छोटे फूलो को अप्रैल या मई के महीने तक तैयार कर लेने चाहिए और बड़े पौधों को अगस्त से सितम्बर तक लगा देना चाहिए जिससे इनके फूल क्रिसमस और वेलेंटाइन के वक़्त तैयार हो जाये इस समय इनके अच्छे दाम भी मिलते है |

गुलाब के पौधों को लगाने के समय यह जरूर ध्यान दे की पौधे भूमि से लगभग 15 सेंटीमीटर ऊपर लगाए गए हो तथा पौधों की रोपाई करते वक़्त पौधों जिस पॉलीथिन में होते उसे जरूर हटा दे | इसके बाद उसे खेत में लगा कर खेत की मिट्टी से अच्छे से दबा दे| इसी तरह से पौधों की सभी कलम को ठीक से लगा दे उसके बाद तुरंत ही सभी पौधों की ठीक से सिंचाई कर दे|

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गुलाब के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Diseases of Rose Plants and Their Prevention)

गुलाब के पौधों और फूल दोनों में रोग लग जाते है, इसलिए इन्हे अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है | गुलाब में सुंडियां, खर्रा रोग, उलटा सूखा जैसे रोग लगते है | इसके अलावा कीट रोग भी पौधों को काफी हानि पहुंचाते है, ऐसे ही कुछ कीट रोग तथा उनकी रोकथाम के बारे में बताया जा रहा है |

बैक्टीरियल और फंगल रोग

यह रोग पौधों और फूलो दोनों पर ही देखने को मिलते है | इस तरह के रोग लग जाने पर पौधे की शाखाये सूखने लगती है साथ ही फूल और नई कलिया भी सूख जाती है | इस रोग की रोकथाम के लिए टैगक्सोन नाम के पाउडर की पांच ग्राम की मात्रा को 6 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए |

सफ़ेद मक्खी कीट रोग

सफ़ेद मक्खी का रोग गुलाब के पौधों में सबसे ज्यादा लगता है | इस रोग में सफ़ेद मक्खिया पौधों की पत्तियों का रस चूस लेती है जिससे पत्तिया नष्ट होकर गिर जाती है | इस रोग से रोकथाम के लिए डायफेन्थ्रीयुरोन 50 डब्लूपी के 20 ग्राम पाउच को लगभग 15 लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर पौधों में छिड़काव करना चाहिए | इसके साथ ही स्पाइरोमेसिफेन 240 SC की 20 मिलीलीटर की मात्रा को 18  से 20 लीटर पानी में छिड़काव करना चाहिए |

थ्रिप्स कीट रोग

इस तरह का रोग अधिकतर पत्तियों और उनकी पत्तियों में देखने को मिलता है | यह रोग कीट कलियों और फूल दोनों का रस चूस लेती है, जिससे पत्तियों और कलियों पर बादामी रंग के घब्बे बन जाते है | इस रोग की रोकथाम के लिए फिप्रोनिल 5 एससी की 30 मिलीलीटर की मात्रा को लगभग 15 लीटर पानी में मिलाकर करना चाहिए | इसके अतिरिक्त इमिडाक्लोप्रिड 350 SC का भी इसी तरह से छिड़काव कर सकते है |

स्केल किट रोग

यह रोग पौधों के लिए अधिक हानिकारक होता है, स्केल किट रोग एक पतले सफ़ेद आवरण के पीछे खुद को छिपाये रहता है | यह पौधे के विकास को रोक देता है तथा ऐसे रोग पौधे की कोमल तने का रस चूसकर उसे ख़त्म कर देता है | जिससे पौधा पूरी तरह से सूख जाता है | इस तरह के रोग से रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफोस 2% के 10 किलो पैक्ट एक एकड़ में इस रोग से ग्रसित पौधों पर छिड़काव करना चाहिए | इस रोग का अधिक प्रभाव होने पर बुप्रोफेजिन 25 एससी के 30 मिलीलीटर को 15 लीटर पानी में मिलाकर अच्छे से छिड़काव करना चाहिए |

मिलिबग कीट रोग

यह कीट रोग पौधों की कोमल डुंख और पत्ते की निचली सतह से रस को चूस कर पौधों को अधिक नुकसान पहुँचाता है |जिससे पौधा पूरी तरह से नष्ट हो जाता है| इस रोग की रोकथाम के लिए बुप्रोफेजिन 25 SC का उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए|

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गुलाब की खेती के लिए सिंचाई का तरीका (Rose Cultivation Irrigation Method)

पौधों को खेत में लगाने के पश्चात् उसकी तुरंत सिंचाई कर देनी चाहिए | इससे ताजा लगायी कलम को नमी देने के लिए उसकी उचित समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए, किन्तु खेत में पानी का भराव न होने दे | इससे पौधों को हानि होने का खतरा हो सकता है | सर्दियों के मौसम में सप्ताह में एक बार तथा गर्मियों के मौसम में 4 से 5 दिनों के अंतराल में पौधों की सिंचाई करते रहना चाहिए | इसके अतिरिक्त उत्तम किस्म के फूलो को प्राप्त करने के लिए सिंचाई के साथ उचित मात्रा में उवर्रक पौधों को देते रहना चाहिए |

इसमें नीम की खाद और हड्डियों का चूरा इसके लिए अधिक प्रभावी होता है | इसके अलावा यूरिया, फास्फेट और पोटाश भी उचित मात्रा में देने पर पैदावार में काफी फर्क देखने को मिल सकता है | यदि आपने पौधों को गमलो में लगा रखा है तो आप उसकी 2 से 3 इंच तक ऊपरी मिट्टी को निकल दे तथा सड़ी हुई गोबर की खाद को भर दे |

गुलाब के पौधों की निराई गुड़ाई (Weeding of Rosebud Plants)

गुलाब के फूलो की अच्छी पैदावार के लिए खेत की निराई और गुड़ाई करना आवश्यक होता है | इसके लिए निराई – गुड़ाई नवम्बर माह के बाद शुरू कर देनी चाहिए | इस समय कलम से शाखाएं सबसे ज्यादा बनती है जिसकी गुड़ाई कर नई शाखाओ का निर्माण होता है | इसके अतिरिक्त बार -बार पानी देने से जमीन भी कठोर हो जाती है जिससे गुड़ाई करने से हवा जड़ो तक आसानी से पहुंच जाती है| जिससे पौधे अच्छे से विकास करते है और पैदावार भी अच्छी होती है|

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गुलाब के फूलों की तुड़ाई छटाई एवं पैदावार (Sorting and Harvesting of Roses)

इसके फूलो को तोड़ने का सही समय तब होता है, जब इसके फूल की एक या दो पंखुडिया खिल जाती है | इसके बाद फूल को पौधों से अलग कर ले | फूल को तोड़ने के बाद उसे तुरंत पानी से भरे बर्तन में रख दे | इसके बाद इसे कोल्ड स्टोरेज में रख देना चाहिए जिससे इसे 2 से 10 डिग्री तक का तापमान मिल सके | इसके बाद फूलो की ग्रेडिंग की जाती है जिसे कोल्ड स्टोरेज में ही पूर्ण किया जाता है | फूलो की ग्रेडिंग करते समय इस बात का जरूर ध्यान रखे कि डंडी रोग मुक्त होनी चाहिए | इसके बाद फूलो की पैकिंग कर देनी चाहिए |

गुलाब की खेती से कमाई (Rose Farming Earnings)

गुलाब की खेती कर किसान भाई अच्छी कमाई कर सकते है | गुलाब की खेती में चार महीने में फूल आना शुरू हो जाते है | एक एकड़ के क्षेत्र में लगभग 30 से 40 किलो फूल प्रत्येक दिन निकाले जा सकते है | गुलाब के फूलो का बाजारी भाव 50 से 70 रुपये प्रति किलो तक होता है | जिससे प्रतिदिन 1500 से 3000 तक की कमाई की जा सकती है | इस तरह से एक वर्ष में तक़रीबन 200 से 300 क्विंटल फूल प्राप्त हो जाते है | जिससे 15 से 20 लाख की कमाई की जा सकती है|

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