गेंदा की खेती कैसे करें | Marigold Farming in Hindi | प्रति किलो गेंदा कीमत


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गेंदा की खेती (Marigold Farming) से सम्बंधित जानकारी

गेंदा की खेती सुगन्धित फूलो के लिए की जाती है | यह कम समय में अधिक मुनाफे वाली खेती है | वर्तमान समय में गेंदा के फूलो का इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है | गेंदा के फूलो का इस्तेमाल सादी बारात में सजावट, घर सजाने व् अन्य बगीचों की सजावट में करते है | इसके फूल अधिक समय तक ताजे बने रहते है, जिस वजह से इन्हे अधिक उपयोग में लाया जाता है | नवरात्र में पूजा पाठ के लिए भी इन्ही फूलो को इस्तेमाल करते है | गेंदा के फूलो को देश में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है |

बाज़ारो में भी गेंदा के फूलो की बहुत अधिक मांग रहती है | इसकी खेती पूरे वर्ष की जा सकती है | जिस वजह से किसान गेंदा के फूलो की खेती व्यापारिक तौर पर भी करते है| इस लेख में आपको गेंदा की खेती कैसे करें (Marigold Farming in Hindi) तथा प्रति किलो गेंदा कीमत कितनी है, इससे सम्बंधित सभी जानकारियों से अवगत करा रहे है |

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गेंदा की खेती में भूमि, जलवायु (Marigold Cultivation Land, Climate)

गेंदा की खेती उचित जल निकासी वाली भूमि में आसानी से की जा सकती है | इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी को गेंदा की खेती के लिए फायदेमंद माना जाता है, तथा P.H. मान भी 7 के आसपास हो |

भारत में गेंदा की खेती अलग-अलग जलवायु में आसानी से की जा सकती है,किन्तु पतझड़ के मौसम में पैदावार अच्छी प्राप्त हो जाती है | इसके पौधे एक बार लग जाने के बाद पूरे वर्ष पैदावार दे देते है | यदि आप इसकी खेती व्यापारिक तौर कर रहे है, तो सिर्फ एक बार ही पैदावार ले | गेंदा की खेती किसी भी जलवायु में की जा सकती है |

गेंदा की उन्नत किस्में (Marigold Improved Varieties)

पूसा संतरा, (क्रैकर जैक अगर गोल्डन जुबली)

इस किस्म के पौधों को तैयार होने में 123 से 135 दिन का समय लग जाता है | जिसमे निकलने वाले फूल नारंगी रंग के होते है, और फूलो का व्यास 7 से 8 CM होता है | प्रति हेक्टेयर के खेत में 35क्विंटल की पैदावार मिल जाती है |

पूसा बसंती (गोल्डन येलो जारसन जायंट)

गेंदा की इस किस्म में फूल 135 से 145 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है | इसमें फूल 6 से 9 CM व्यास वाले होते है | यह क़िस्म प्रति हेक्टेयर के खेत में 30 क्विंटल की पैदावार दे देती है |

अफ्रीकन प्रजाति

इस क़िस्म के पौधों को टेगेट्स भी कहते है | इसका पौधा तीन फ़ीट ऊँचा होता है, जिसमे खिलने वाले फूल 5 से 7 CM लम्बे होते है, जो सफ़ेद, चमकीला पीला, नारंगी, पीले और पीले नारंगी रंग के होते है | इस प्रजाति में मन इन द मून, क्लाइमेक्स, क्यूट येलो, कोलेगेट, मैमोथ मम, क्राउन आफ गोल्ड, येलो सुप्रीम, स्पन गोल्ड, जुबली और रिवर साइड ब्यूटी जैसी किस्में उगाई जाती है | इन्हे व्यापारिक तौर पर उगाया जाता है |

फ्रांसीसी गेंदा

इस प्रजाति में पौधा एक फ़ीट तक लंबा होता है, जिसमे शाखाओ का विकास भी अधिक मात्रा में होता है, और पौधों पर फूल भी ज्यादा खिलते है | इसमें गोल्डन बाल, डेनटी मैरिएट, कपिड येलो, रेड ब्रैकेट, रेड हेड, रेड कोट, गोल्डन जिम, बोलेरो और बटर स्कॉच किस्मों को उगाया जाता है |

मैक्सन गेंदा

इस प्रजाति के पौधों की लम्बाई सामान्य होती है, जिस पर फूल भी अधिक आते है | पौधों पर खिलने वाले फूल पीले और नारंगी रंग के होते है | इसमें गेट्स लेमोनी, गेट्स ल्यूसीडा और गेट्स मैन्यूटा उगाई जाती है |

गेंदा के खेत की जुताई (Marigold Field Plowing)

गेंदा की खेती में खेत को साफ कर गहरी जुताई कर दी जाती है | खेत की पहली जुताई के पश्चात् उसमे गोबर की खाद डालकर अच्छे से मिला दे | इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दे | पलेव के बाद जब खेत में खरपतवार आ जाये तो रोटावेटर लगाकर खेत की अच्छे से जुताई कर करने के बाद उसे समतल कर दे | इससे खेत में जलभराव नहीं होता है | इसके बाद बीज रोपाई के लिए खेत में मेड़ को तैयार कर ले |

गेंदा के खेत में उवर्रक (Marigold Field Fertilizer)

गेंदा की अच्छी पैदावार के लिए खेत में उचित मात्रा में उवर्रक जरूर दे | इसके लिए एक एकड़ के खेत में 10 से 15 गाड़ी पुरानी सड़ी गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छे से मिला दे | इसके अलावा खेत की आखरी जुताई के समय एक बोरा एन. पी. के. की मात्रा का छिड़काव जुताई के साथ करे | पौध रोपाई के एक माह पश्चात् 20 KG नाइट्रोजन की मात्रा का छिड़काव प्रति एकड़ के खेत में करे, तथा दूसरे माह भी इसी मात्रा को देना होता है |

गेंदा के पौध की तैयारी (Marigold plant preparation)

गेंदा के बीज को सीधा खेत में लगाने की तुलना में पौध उगाकर लगाना सबसे अच्छा होता है | इसके लिए बीजो को घर में या नर्सरी में तैयार कर लेना चाहिए | एक हेक्टेयर के खेत में गेंदा की पौध को तैयार करने के लिए 700 से 800 GM बीज संकर किस्म पर्याप्त होते है | इसके अलावा अन्य साधारण किस्मों में एक से सवा किलो बीज लग जाते है |

चूंकि गेंदा की पैदावार पूरे वर्ष की जा सकती है, इसलिए एक माह पूर्व गेंदा की पौध को तैयार कर ले, तथा जब पौधा एक माह का हो जाए तो उन्हें खेत में लगाने के लिए नर्सरी से उखाड़ ले |

गेंदा के पौध को जिस नर्सरी में तैयार किया जाता है, उसमे गोबर की खाद ठीक से मिला ले | उसके बाद भूमि को उपचारित करने के लिए लिन्डेन धूल का इस्तेमाल करे, और बीजो को भूमि में डालकर अच्छे से मिलाना होता है, और उसके बाद खेत की हल्की सिंचाई कर दी जाती है |

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गेंदा के पौध की रोपाई (Marigold Seedlings)

गेंदा के पौधों को आप पूरे वर्ष में कभी भी लगा सकते है, किन्तु पौधों को लगाने के लिए सही समय का अवश्य ध्यान रखे, पौधा को लगाने के लिए शाम का समय सबसे अच्छा होता है | इस दौरान पौधों के नष्ट हो जाने का खतरा बहुत कम होता है | गेंदा के पौधों की रोपाई खेत में तैयार मेड़ पर की जाती है, इन मेड़ो को एक फ़ीट की दूरी पर बनाते है, ताकि पौधों को फैलने और विकास करने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके | किन्तु कुछ किसान समतल क्यारियों में पौध लगाना पसंद करते है | गर्मियों के मौसम में पौधों को 2 फ़ीट की दूरी पर लगाए तथा अन्य मौसम में एक से सवा फ़ीट की दूरी पर लगा सकते है |

गेंदा के पौधों की सिंचाई (Marigold Plants Irrigation)

गेंदा के पौधों को नमी की जरूरत होती है, इसके लिए खेत में पहली सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है, तथा जब तक पौधे जड़े न पकड़ ले तब तक खेत में नमी बनाए रखना होता है | जब पौधों में जड़े आ जाती है, तब पौधों को सप्ताह में एक बार पानी देना चाहिए, तथा पौधों पर शाखाए बनने के दौरान जरूरत के अनुसार खेत में पानी दे |

गेंदा के खेत में खरपतवार नियंत्रण (Marigold Field Weed Control)

गेंदा की फसल में निराई – गुड़ाई कर खरपतवार पर नियंत्रण किया जाता है | इसकी पहली गुड़ाई बुवाई के 25 दिन बाद की जाती है, तथा दूसरी गुड़ाई 15 दिन बाद और अन्य गुड़ाइयो को जरूरत के अनुसार करना होता है | आप रासायनिक विधि के माध्यम से भी खरपतवार को नष्ट कर सकते है, जिसके लिए आपको रेडोमिल या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव पौध रोपाई से पहले करना होता है | प्राकृतिक विधि द्वारा जब भी आप फसल की गुड़ाई करे तो पौधों की जड़ो को मिट्टी से अवश्य ढक दे, इससे पौधों का विकास अच्छे से होता है, और फूल भी अधिक मात्रा में आते है |

गेंदा के पौधों रोग व् उपचार (Marigold Plant Diseases and Treatment)

क्रं. सं.रोगरोग का प्रकारउपचार
1.झुलसा रोगअल्टरनेरिया टेगेटिका तथा सरकोस्पोरा फफूंदपौधों पर ब्लाइटाक्स या वेवस्टीन दवाई का छिड़काव करे|
2.पौध गलनअधिक जल भराव व् फफूंदपौधों पर आक्सीक्लोराइड का छिड़काव करे|
3.रेड स्पाइडर माइटकीटडाइकोफाल में गोंद मिलाकर उसका छिड़काव पौधों पर करे|
4.माहूकीटपौधों पर मेलाथियान की उचित मात्रा का छिड़काव करे|
5.पाउडरी मिल्ड्यूओडियम स्पेसीज फफूंदसल्फेक्स दवा का छिड़काव पौधों पर करे|
6.रोयेंदार कीड़ाकीड़ाइकाल्कस दवा का छिड़काव पौधों पर करे|

गेंदा के फूलों की तुड़ाई (Marigold Flower Plucking)

गेंदा के फूल पौध रोपाई के तीन माह पश्चात् तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है | पौधों से फूल को कुछ दूरी से तोड़ना होता है | फूलो की तुड़ाई सुबह या शाम के समय ही करे, तथा फूल तोड़ने के दौरान खेत में नमी बनाए रखे, इससे फूल अधिक समय तक ताजे बने रहते है |

गेंदा के फूलो की पैदावार और कीमत (Marigold Flower Yield and Price)

गेंदा की फसल से आप दो तरह की पैदावार और कमाई कर सकते है | पहले तरीके में आप ताज़े फूलो के रूप में पैदावार प्राप्त कर सकते है | एक एकड़ के खेत में 300 से 400 KG ताज़े फूलो का उत्पादन प्राप्त हो जाता है | गेंदा के ताज़े फूलो का बाज़ारी भाव 75 से 100 रूपए प्रति किलो होता है, जिससे किसान भाई इसकी एक बार की फसल से फूलो को बेचकर 40 हज़ार तक की कमाई कर सकते है |

दूसरे तरीके में आप बीजो की पैदावार प्राप्त कर सकते है | इसके लिए आपको पौधों पर फूलो के सूखने का इंतजार करना होता है, जब इसके बीज ठीक तरह से पक जाए तब उन्हें तोड़ ले | एक एकड़ के खेत से 35 से 40 KG बीजो का उत्पादन प्राप्त हो जाता है | जिसका बाज़ारी भाव तक़रीबन 1300 रूपए प्रति किलो होता है| किसान भाई सूखे बीजो को बेचकर 40 से 50 हज़ार रूपए तक कमा सकते है |

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