सर्पगंधा की खेती कैसे करें [Sarpagandha ki kheti] | सर्पगंधा की खेती करने की विधि व लाभ


सर्पगंधा की खेती से सम्बंधित जानकारी

सर्पगंधा की खेती बहुउपयोगी पौधे के रूप में की जाती है | इसके पौधा 75 CM से लेकर 1 मीटर की ऊंचाई वाला होता है, तथा जड़े 0.5 CM से 2.5 CM व्यास वाली होती है, जो भूमि की 40 से 60 CM की गहराई में होती है | भारतीय चिकित्सा में सर्पगंधा का उपयोग बहुतायत होता है | लेकिन अब इसका इस्तेमाल वर्तमान औषधीय पद्धति में भी किया जाने लगा है | आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा में इसकी जड़ का उपयोग कई तरह की बीमारियों जैसे :- मिर्गी कंपन्न, प्रसव, आंत की गड़बड़ी और मस्तिष्क संबंधी रोगो के उपचार में भी करते है | अप्रैल से नवंबर के महीने में इसके पौधों पर फूल सफ़ेद गुच्छो में आते है |

सर्पगंधा की फसल 18 माह वाली है | भारत में सर्पगंधा की खेती आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, केरल, ओडिसा, झारखंड और महाराष्ट्र में की जाती है | किसान भाई सर्पगंधा की खेती से अच्छी कमाई कर सकते है, यहाँ पर आपको सर्पगंधा की खेती कैसे करें [Sarpagandha ki kheti],  सर्पगंधा की खेती करने की विधि व लाभ के बारे में जानकारी दी जा रही है |

मौसमी [मौसंबी] की खेती कैसे करें

सर्पगंधा की खेती में भूमि चयन (Sarpagandha Cultivation Land Selection)

सर्पगंधा की खेती मृदा किस्म की भूमि जैसे :- बलुवर दोमट, बलुवर तथा भारी भूमि में की जा रही है | कम जीवांश वाली हल्की बलुवर भूमि में इसे न उगाए| इसका पौधा अम्लीय और क्षारीय दोनों तरह की भूमि में आसानी से उग जाता है | जिस भूमि का P.H. लेवल 8.5 या उससे ज्यादा हो तो वहा सर्पगंधा की खेती बिल्कुल न करे | इसकी खेती खुली जगह वाली हल्की छाया में की जा सकती है, जहां का तापमान 10 – 38 डिग्री के मध्य हो |

सर्पगंधा के खेती की तैयारी (Sarpagandha Field Preparation)

सर्पगंधा के जड़ो की अच्छी वृद्धि के लिए खेत की गहरी जुताई कर कुछ दिन के लिए ऐसे ही छोड़ दे | इसके बाद पहली वर्षा हो जाने पर 10 से 15 गाड़ी सड़ी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के खेत में डालकर जुताई करवा दे | अब खेत को समतल कर उसमे उचित नाप वाली क्यारिया और जल निकास के लिए नालिया तैयार करे | सर्पगंधा के फसल की बुवाई बीज, जड़, तना, स्टेम द्वारा कर सकते है |

सर्पगंधा की बुवाई बीज द्वारा (Sarpagandha Seed Sowing)

अगर आप सर्पगंधा के बीजो की बुवाई बीज के जरिये कर रहे है, तो आप अच्छे और जीवित बीजो को ही बोए | इसके लिए बीजो को पानी में अच्छे से भिगो दे, फिर हल्के और भारी बीजो को अलग कर ले | भारी बीजो को बुवाई के लिए 24 घंटे पश्चात् इस्तेमाल किया जाता है | सर्पगंधा के बीज 30 से 40 प्रतिशत तक ही उग पाते है | जिस वजह से एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 6-8 KG बीजो की जरूरत होती है | इसके बीजो से नर्सरी में पौध तैयार कर ले | बीज से पौध तैयार करने के लिए बीजो को मई के पहले सप्ताह में 10X10 की क्यारियों में पकी गोबर डालकर छायादार स्थान पर लगाए | बीजो को 2 से 3 CM की गहराई में लगाने के बाद पानी लगा दे | बीजो की उपज 20 से 40 दिन पश्चात् होने लगती है, और जुलाई के महीने में पौधा रोपण के लिए तैयार हो जाता है |

सर्पगंधा की बुवाई जड़ द्वारा (Sarpagandha Sowing By Root)

तक़रीबन 5 CM वाली जड़ की कटिंग को फार्म खाद के साथ मिट्टी व रेत को मिलाकर तैयार की गयी क्यारी में वसंत ऋतु के मौसम में लगाते है | इन कलमों को पानी में लगाकर नर्म रखना होता है, तथा जिस सप्ताह में किल्ले फूटने लगे, तब 45X30 CM की दूरी पर रोपाई करे | एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 100 KG जड़ की कटिंग लगती है |

कृषि पर आधारित उद्योग के नाम

सर्पगंधा के पौधों में खाद एवं उर्वरक (Sarpagandha Plants Manure and Fertilizer)

सर्पगंधा का पौधा पूरे साल ही भूमि पर रहता है, जिस वजह से इन्हे काफी मात्रा में भूमि से पोषक तत्व लेना पड़ता है | इसलिए एक निश्चित अंतराल में खेत में गोबर की खाद व उवर्रक का इस्तेमाल करे | सर्पगंधा के खेत में 10 टन सड़ी गोबर तथा फास्फोरस, नेत्रजन व पोटाश की 30 KG की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के खेत में डालें | इसके बाद जब सर्पगंधा का पौधा खेत में अच्छे से उग आए तब अगस्त-सितम्बर के महीने में या फरवरी से मार्च के महीने में 25 KG नत्रजन को दो बार दे | दूसरे और तीसरे वर्ष में उवर्रक की मात्रा सामान ही देनी होती है |

सर्पगंधा के पौधों की सिंचाई (Sarpagandha Plants Irrigation)

सर्पगंधा के पौधों को असिंचित अवस्था में भी उगाया जा सकता है | किन्तु पानी की कमी से पैदावार कम हो सकती है | अगर आप सिंचित अवस्था में सर्पगंधा की खेती कर रहे है, तो गर्मियों के महीने में एक माह में दो बार और अतिरिक्त महीने में एक माह में केवल एक बार पानी देना होता है |

सर्पगंधा के पौधों की निराई-गुड़ाई (Sarpagandha Plants Weeding)

आरम्भ में सर्पगंधा का पौधा काफी कम वृद्धि करता है, जिस वजह से खेत में अधिक खरपतवार निकल आते है, जिस वजह से पौधों की बढ़वार और कम होने लगती है| इस दौरान अगर खरपतवार को नहीं नष्ट किया जाता है, तो यह पौधों को ढक देते है, जिससे पौधा जल्द ही मर जाता है | अत: पौधों को लगाने के 15-20 दिन बाद खुरपी से नीलाई-गुड़ाई करनी चाहिए |

सर्पगंधा के फसल की तुड़ाई (Sarpagandha Crop Harvesting)

सर्पगंधा के पौधों को तैयार होने में 18 महीने का समय लग जाता है | इस दौरान अगर जड़ की फसल प्राप्त करने के लिए सर्पगंधा की खेती की गई है, तो फूल आने पर ही उन्हें तोड़ ले, अन्यथा बीज बनने पर जड़ की उपज कम होने लगती है | अगर बीज की फसल लेना चाहते है, तो खेत के एक कोने पर लगे पौधों को छोड़ दे, ताकि उनमे बीज आ सके | पौधों पर बीज जुलाई से फ़रवरी के महीने में आते है, और पके हुए बीजो के ऊपर काले रंग का गूदा दिखाई देता है | पके हुए बीजो पर लगे गूदे को धोकर साफ कर दिया जाता है, और सूखकर डिब्बे में पैक कर देते है, तथा जड़ो की खुदाई कर बड़ी व मोटी जड़े पतली जड़ो से अलग कर ली जाती है | इसके बाद सर्पगंधा की जड़ को पानी से धोकर साफ कर लेते है, और 12 से 15 CM का टुकड़ा सूखा लिया जाता है | इन सूखी जड़ो को थैलियों में पैक कर दिया जाता है |

सर्पगंधा की खेती से लाभ (Sarpagandha Cultivation Benefits)

सर्पगंधा के एक एकड़ में लगाए गए पौधों से 7-9 क्विंटल सूखी जड़ो का उत्पादन मिल जाता है | इन जड़ो का बाज़ारी भाव 150 रूपए प्रति किलो होता है | जिस हिसाब से किसान भाई सर्पगंधा की सूखी जड़ो को बेचकर अच्छा लाभ कमा सकते है |

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