एवोकैडो की खेती कैसे करें | Avocado Farming in Hindi | एवोकाडो फल कहाँ पाया जाता है | कीमत


एवोकैडो की खेती (Avocado Farming) से सम्बंधित जानकारी

एवोकैडो की खेती खास तरह के फलो को प्राप्त करने के लिए की जाती है | इसका फल स्वास्थ के लिए अधिक लाभकारी होता है | यह एक विदेशी फल है, जिसका प्रचलन आज कल भारत में भी अधिक देखने को मिल रहा है | यह अधिक पौष्टिक फल है, जिसमे पोटेशियम केले से भी अधिक पाया जाता है | दक्षिण अमेरिका और लेटिन के बहुत से व्यंजनों जैसे :- चिपोतले चिलीस, गुयाकमोले, चोरीज़ों ब्रेकफ़ास्टस और टोमेटिल्लो सूप में एवोकैडो फल का उपयोग अधिक किया जाता है | लेकिन पिछले कुछ वर्षो से भारत में भी इस फल का इस्तेमाल तरह – तरह के व्यंजनों को बनाने के लिए किया जाने लगा है |

इन्हे पकवान और डेज़र्ट के उपयोग से पहचान मिली है | इसके फलो में स्वास्थ संबंधित पोषक तत्व ओमेगा -3 फैटी एसिड, एवोकैडो फाइबर, विटामिन ए, बी, सी, ई और पोटेशियम युक्त पोषक तत्व मौजूद होते है, जो हमें तनाव से लड़ने में सहायता प्रदान करते है | दक्षिण मध्य मैक्सिको में इसकी खेती मुख्य रूप से की जाती है, तथा भारत में अब इसे उगाया जाने लगा है | यदि आप एवोकैडो की खेती करने का मन बना रहे है, तो इस लेख में हम आपको एवोकैडो की खेती कैसे करें (Avocado Farming in Hindi) और एवोकाडो फल कहाँ पाया जाता है तथा इसकी कीमत कितनी होती है, के बारे में बताएँगे |

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भारत में एवोकैडो की खेती (Avocado Farming in India)

भारत में एवोकैडो की खेती बहुत ही कम मात्रा में की जाती है, किन्तु भारत के दक्षिणी इलाके में इसे व्यापारिक रूप से उगाया जाता है | जिन इलाको में एवोकैडो की खेती सबसे अधिक की जाती है, उनमे महाराष्ट्र में कूर्ग, तमिलनाडु की पहाड़ी ढलानों, के साथ-साथ केरल और कर्नाटक के कुछ भाग भी शामिल है | उत्तर भारत में केवल एक ऐसा राज्य है, जहां पर एवोकैडोस की फसल को सफलता पूर्वक उगाया जा रहा है| पूर्वी हिमाचल के सिक्किम राज्य में तक़रीबन 800 से 1600 मीटर की ऊंचाई पर एवोकैडो की खेती की जाती है |

एवोकाडो फल क्या है (Avocado Fruit)

एवोकाडो का वैज्ञानिक नाम पर्सिया अमरीकाना है | यह एक तरह का खास फल है | जिसकी सर्वप्रथम उत्पत्ति तक़रीबन 7 हज़ार वर्ष पूर्व दक्षिणी मैक्सिको और कोलंबिया शहर में हुई थी | यह बेरी की तरह दिखने वाला बड़े आकार का गूदेदार फल होता है, जिसके अंदर एक बड़ा बीज निकलता है | जिस वजह से इसे एलीगेटर पियर्स नाम से भी जानते है | पूरी दुनिया में इसकी कई किस्मो को उगाया जाता है, जिसमे से हास एवोकाडो सबसे लोकप्रिय क़िस्म है | हास एवोकाडो क़िस्म के फल को पोषक तत्व के मामले में महारत हासिल है | एवोकाडो का सेवन मानव शरीर के लिए फायदेमंद होता है, जो इस प्रकार है:-

  • एवोकाडो का सेवन हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी होता है |
  • पाचन शक्ति को मजबूत करे |
  • वजन घटाने में मददगार |
  • आँखों की रौशनी को बढ़ाता है |
  • एवोकाडो कैंसर के जोखिम से कम करता है |
  • मौखिक स्वास्थ्य में लाभदायक |
  • हड्डियों को मजबूत करे |
  • लिवर को स्वास्थ करने में सहायक |
  • किडनी को सुरक्षा प्रदान करे |
  • डायबिटीज को नियंत्रित करे |
  • दिमाग को विकसित करे |
  • झुर्रियों को कम करे |
  • सोराइसिस में लाभकारी |
  • बालों को मजबूत बनाये |

एवोकैडो की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Avocado Farming Suitable Climate)

एवोकैडो दक्षिण अमरीकी उपमहाद्वीप का पौधा है, जिस वजह से इसके पौधों को उष्ण कटिबंध जलवायु की आवश्यकता होती है | 20 से 30 डिग्री तापमान वाले क्षेत्र जहां पर 60 फीसदी तक नमी पायी जाती है, वहां इसकी पैदावार अच्छी प्राप्त होती है | इसके पौधे ठंडी में 5 डिग्री तक के तापमान को आसानी से सहन क़र लेते है, किन्तु 5 डिग्री से कम तापमान होने पर पौधा ख़राब होने लगता है | इसके अलावा 40 डिग्री से अधिक तापमान होने पर फल और फूल दोनों ही मुरझा क़र गिरने लगते है | जिस वजह से इन्हे तमिलनाडु और केरल में मुख्य रूप से उगाते है |

एवोकैडो की खेती के लिए भूमि (Avocado Cultivation Land)

भारत के ज्यादातर भागो में लाल मिट्टी मौजूद होती है, तथा लाल मिट्टी को उत्पादन के लिहाज़ से अच्छा नहीं माना जाता है | क्योकि लाल मिट्टी में पानी का रुकाव नहीं होता है, जिससे मिट्टी में कम चिकनाई होती है | लेटेराइट मिट्टी में अधिक मात्रा में चिकनाई पायी जाती है, जिस वजह से लेटेराइट भूमि एवोकैडो की खेती के लिए उपयुक्त होती है | पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, केरल, तमिलनाडु के कुछ भाग और हरियाणा, पंजाब के ऊपरी भाग में इसकी खेती आसानी से क़र सकते है |

इसके पौधों को 50-60 प्रतिशत नमी की जरूरत होती है | जिस वजह से हरियाणा, पंजाब और उत्तर पूर्वी राज्य व् दक्षिण भारत के पश्चिमी तट से पूर्वी क्षेत्र तक इसकी खेती की जा सकती है | एवोकैडो की अच्छी पैदावार के लिए प्रति वर्ष 100 MM वर्षा की जरूरत होती है, तथा भूमि का P.H. मान 5-6 तक होना चाहिए |

एवोकैडो की उन्नत किस्में (Avocado Varieties)

भारत में एवोकैडो की उगाई जाने वाली किस्मे इस प्रकार है:-

  • फुएर्टे
  • पिंकर्टन
  • हैस
  • पर्पल 
  • पोलक 
  • ग्रीन
  • राउंड 
  • पेराडेनिया पर्पल हाइब्रिड
  • ट्रैप
  • लॉन्ग
  • फुएरते

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एवोकैडो फसल में भूमि की तैयारी (Avocado Harvest Land Preparation)

एवोकैडो के बीज से पौध को तैयार क़र उनकी रोपाई की जाती है | इसके लिए बीजो को 5 डिग्री तापमान या फिर सूखे पीट में भंडारित क़र तैयार किया जाता है | इसके फलो से लिए गए बीजो को पॉलीथीन बैग या नर्सरी बेड पर सीधे तौर पर बुवाई के लिए इस्तेमाल करते है | नर्सरी में बीजो को 6 माह तक उगाने के बाद खेत में लगाने के लिए निकाल लेते है |

सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर खरपतवार को निकाल दिया जाता है | इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर देते है, पलेव से खेत की मिट्टी नम हो जाती है, नम भूमि में रोटावेटर लगाकर चलाने से मिट्टी भुरभुरी हो जाती है | भुरभुरी मिट्टी को पाटा लगाकर समतल करने के बाद खेत मेंपौध रोपाई के लिए 90X90 CM आकार वाले गड्डो को तैयार क़र लेते है | इसके बाद इन गड्डो में मिट्टी के साथ 1:1 के अनुपात में खाद को मिट्टी में मिलाकर फ़रवरी के माह में भर दिया जाता है | इसके अलावा पौधों को 8 से 10 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है |

एवोकैडो के फलों की सिंचाई (Avocado Fruit Irrigation)

एवोकैडो के फलों को नमी की जरूरत होती है | इसलिए खेत की पहली सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद की जाती है | इसके बाद शुष्क और गर्म जलवायु में पौधों को 3 से 4 सप्ताह में पानी देना होता है | सर्दियों के मौसम में मोलचिंग विधि का इस्तेमाल क़र नमी की कमी से बचाव किया जाता है | बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही पौधों को पानी दे, तथा जल भराव होने पर खेत से पानी निकाल दे | इसलिए फसल की सिंचाई में ड्रिप विधि का इस्तेमाल करे |

एवोकैडो की फसल में खरपतवार की रोकथाम (Avocado Crop Weed Control)

एवोकैडो की फसल को खरपतवार से बचाने के लिए निराई – गुड़ाई की जाती है | इसके अतिरिक्त जब पौधे छोटे होते है, तब रासायनिक तरीके से खरपतवार को नष्ट क़रते है | इसके लिए खरपतवारनाशी दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है |

एवोकैडो फसल रोग व उपचार (Avocado Crop Disease and Treatment)

एवोकैडो की फसल में स्केल्स, माइलबग्स और माइट्स जैसे सामान्य कीट आक्रमण करते है | जिसके बचाव के लिए उपयुक्त कीट नाशक का छिड़काव किया जाता है |

एवोकाडो के खेत में फसल पर पत्ती का धब्बा, जड़ सड़न और फलों का धब्बा रोग आक्रमण करते है | जिसमे जड़ सड़न रोग से बचाव के लिए पौध रोपाई से पूर्व मिट्टी में मेटलैक्सिल को मिलाया जाता है | इसके अलावा कृषि विभाग या बागवानी विभाग से संपर्क क़र रोग से संबंधित दवाइयों का इस्तेमाल क़र रोगो की रोकथाम की जाती है |

एवोकैडो फसल की कटाई (Avocado Harvest)

एवोकैडो का फल पौध रोपाई के 5 से 6 वर्ष पश्चात् तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है | इस दौरान आपको एवोकैडो के खेत से दो तरह के फल प्राप्त हो जाते है, जो हरे और बैगनी रंग के होते है | इसमें बैगनी किस्म वाले फल का रंग बैंगनी से मैरून में परिवर्तित हो जाता है, तथा हरे रंग वाले फल हरे से पीले रंग में बदल जाते है | पूर्ण रूप से तैयार एवोकैडो के फल का बीज पीले-सफ़ेद से गहरे भूरे रंग का हो जाता है | कटाई के बाद भी इसके फल नरम होते है, जिन्हे पकने में 5 से 10 दिन का समय लगता है |

एवोकैडो की कीमत (Avocado Price)

एवोकैडो की पैदावार उन्नत क़िस्म, खेत प्रबंधन और पेड़ की उम्र पर निर्भर करती है | सामान्य तौर पर इसका एक पेड़ 200 से 500 फलों की पैदावार दे देता है, तथा 10 से 12 वर्ष पुराने वृक्ष से 300 से 400 फल मिल जाते है | एवोकैडो का बाज़ारी भाव गुणवत्ता के अनुसार 200 से 400 रूपए प्रति किलो होता है, जिससे किसान भाई एवोकैडो की फसल से अधिक मात्रा में मुनाफा कमाते है |

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