पान की खेती कैसे होती है | Betel Leaf Cultivation in Hindi | पान की उन्नत किस्में


पान की खेती (Betel Leaf Farming) से सम्बंधित जानकारी

पान की खेती लता (बेल) पौधों के रूप में की जाती है | इसके पौधों में निकलने वाली बेल कई वर्षो तक पैदावार दे देती है | पान का इस्तेमाल शौकिया तौरपर खाने के लिए किया जाता है, इसके आलावा पान को हिन्दू धर्म में पूजा- पाठ और हवन के कार्यो में मुख्य रूप से इस्तेमाल में लाया जाता है | पान के पत्ते को कत्था, चूना, शहद और सुपारी लगाकर खाया जाता है| पान से निकली लार से पाचन शक्ति मजबूत होती है, और शरीर भी स्वस्थ रहता है |




इसके आलावा कई बीमारियों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, तथा शरीर में लगे घाव व फोड़े में पान के पत्तो को पीसकर लगाने से जल्द आराम मिल जाता है | व्यापारिक रूप से इसके पत्तो का इस्तेमाल धूम्रपान की चीजों को बनाने के लिए किया जाता है | यदि आप भी पान की खेती करने में रुचि रखते है, तो इस लेख में आपको पान की खेती कैसे होती है (Betel Leaf Cultivation in Hindi) तथा पान की उन्नत किस्में के बारे में जानकारी दी जा रही है |

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भारत में पान की खेती (Betel Leaf Cultivation in India)

भारत के अनेक राज्यों में पान की खेती मुख्य रूप से की जाती है, जो कि इस प्रकार है :- तमिलनाडु, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक, उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली के निकटवर्ती क्षेत्रों मे भी की जाती है |

पान की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Betel Leaf Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)

पान की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है | इसकी खेती के लिए जल-भराव वाली भूमि उपयुक्त नहीं मानी जाती है | जलभराव में पौधे की जड़े गलकर नष्ट हो जाती है | इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए | इसकी खेती आद्र और नम जलवायु में की जाती है |

बारिश के मौसम में इसके पौधों का विकास अच्छे से होता है, तथा गर्म और तेज़ हवाएं इसके पौधों को नुकसान पहुँचाती है | इसके साथ ही अधिक ठंडे और गर्म प्रदेशो में इसकी खेती को नहीं करना होता है | पान के पौधों को न्यूनतम 10 डिग्री तथा अधिकतम 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है |

पान की उन्नत किस्में (Betel Leaf Improved Varieties)

वर्तमान समय में पान की भी कई उन्नत किस्मो को उगाया जा रहा है, जिन्हे अलग-अलग जलवायु के हिसाब से अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है, जिनके पत्तो का आकार भी भिन्न-भिन्न पाया जाता है | पान के पत्तो के आकार और स्वाद के अनुसार ही इसकी क़िस्मों को तैयार किया गया है | जो इस प्रकार है :- बांग्ला, बंगला, कलकतिया, सोफिया, बनारसी, मीठा, रामटेक, सांची, देशावरी, कपूरी और मघई आदि |

पान के खेत की तैयारी और उवर्रक (Betel Leaf Cultivation Preparation and Fertilizers)

पान के खेत में फसल उगाने से पहले उसके खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर दी जाती है | इससे खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते है, जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे | खेत की पहली जुताई के बाद प्राकृतिक खाद के रूप में 20 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालकर दो से तीन गहरी जुताई कर दें, इससे खेत की मिट्टी में गोबर की खाद अच्छे से मिल जाती है | गोबर की खाद को मिट्टी में मिलाने के पश्चात उसमे पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है |

पलेव के बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगती है, उस दौरान रोटावेटर लगाकर खेत की जुताई कर दी जाती है, इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, मिट्टी के भुरभुरा हो जाने के पश्चात खेत में पाटा लगाकर समतल कर दिया जाता है | यदि आप पान के खेत में रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना चाहते है, तो उसके लिए आपको एक बोरा एन.पी.के. की मात्रा का छिड़काव खेत की आखरी जुताई के समय करना होता है |

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बरेजा का निर्माण (Bareja Construction)

पान की खेती के लिए अधिक वर्षा वाला क्षेत्र जहां तापमान सामान्य रहता है, वहां इसे आसानी से उगाया जाता है | किन्तु अधिकतर स्थानों पर पान की खेती के लिए बरेजा प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है | इसके लिए ग्रामीण इलाको में बरेजा का निर्माण किया जाता है, जो छप्पर की तरह ही होते है | बरेजा निर्माण के लिए बांस की लकड़ी और पुलाव सामग्री की आवश्यकता होती है | इसमें एक मीटर की दूरी पर पंक्ति के रूप में बांस की लकड़ियों को लगा दिया जाता है | इन पंक्तियो के मध्य दो मीटर की दूरी रखी जाती है |

पंक्तियों में लगाई गयी बांस की लकड़ियों पर ढाई से तीन मीटर की ऊंचाई पर बांस की चपटियों को बांधकर उस पर पुलाव बिछा दिया जाता है, और उसके बाद इस पुलाव को बांस की चपटियों के साथ रस्सी से बांध दिया जाता है | इस तरह से जब बरेजा की छत तैयार हो जाती है, तो उसके चारो और तैयार टटियो से बंद कर दें | इससे बरेजा का आकार कमरे की तरह दिखाई देने लगेगा | इन टटियो को तैयार करते समय पूर्वी दिशा की टटियो को हल्का तथा बाकि दी दिशाओ में बनायीं गयी, टटिया भरी रखी जाती है,जिससे बरेजा में गर्म हवा न आ सके |

कलम तैयार करने की विधि (Cutting Making Method)

पान के पौधों की रोपाई कलम से तैयार पौधों के रूप में की जाती है | कलम को तैयार करने के लिए एक वर्ष पुराने पौधों की आवश्यकता होती है, इसमें पान के बेल निचली डंडी को काटकर अलग कर लिया जाता है, क्योकि नीचे दी डंडिया अधिक तेजी से अंकुरित होती है |

इसके बाद इन बेलो को नर्सरी में तैयार कर लिया जाता है, किन्तु तैयार कलम को खेत में लगाना अच्छा माना जाता है | पान की कलम को खेत में लगाने से पूर्व उन्हें बोर्डों मिश्रण या ब्लाइटाक्स की 0.25 मात्रा से कलम और मिट्टी दोनों को ही उपचारित कर लिया जाता है | इसके बाद कलम को खेत में लगा दिया जाता है, जिसमे बेल की दो तीन गांठ मिट्टी में दबा दी जाती है, और बाकि का सम्पूर्ण भाग बाहर रहता है |

पान के बेल (कलम) की रोपाई का सही समय और तरीका (Betel Vine (Cutting) Transplanting Right time and Method)

पान के बेल की रोपाई खेत में तैयार पंक्तियो में की जाती है | इसके लिए तैयार पंक्ति के दोनों और बेलो को लगा दिया जाता है, तथा प्रत्येक बेल के मध्य 15 से 20 CM की दूरी रखी जाती है | इसके अतिरिक्त यदि आप बेल को सीधा खेत में लगा रहे है, तो उसके लिए आपको भूमि पर बेलो को 4 से 5 CM गहराई में लगाना होता है | बेल रोपाई के पश्चात् खेत में हज़ारे विधि द्वारा पानी लगा दिया जाता है |

बेल रोपाई के लिए शाम के समय को सबसे अच्छा माना जाता है, इससे बेलो के ख़राब होने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती है | पान के बेलो की रोपाई के लिए फ़रवरी से मार्च तथा मई से जून माह के मध्य का महीना उपयुक्त माना जाता है | इन दोनों ही समय पान के बेलो के लिए वातावरण अनुकूल रहता है |

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पान के पौधों की सिंचाई (Betel Leaf Plant Irrigation)

पान के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है | इसकी प्रारंभिक सिंचाई कलम रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है | इसके पौधों को गर्मियों के मौसम में दो दिन के अंतराल में पानी देना होता है, तथा सर्दियों के मौसम में पान के पौधों की सिंचाई 15 से 20 दिन के अंतराल में की जाती है | इसके अलावा जब मौसम बारिश का हो तो पौधों को जरूरत पड़ने पर ही पानी देना चाहिए |

पान के पौधों पर खरपतवार नियंत्रण (Betel Plants Weed control)

पान के पौधों को अधिक खरपतवार नियंत्रण की जरूरत होती है | इसके पौधों में पत्तो के तैयार होने तक प्रत्येक माह निराई – गुड़ाई की आवश्यकता होती है | पान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए हाथ से खरपतवार निकालना ही उपयुक्त माना जाता है |

पान के पौधों में लगने वाले रोग एवं उपचार (Betel Leaf Plant Diseases and Remedies)

पान के पौधों में भी कई तरह के रोग देखने को मिल जाते है, जिनसे इसके पौधों को बचाना बहुत जरूरी होता है, यदि समय पर इन रोगो की रोकथाम नहीं की जाती है, तो पैदावार में काफी गिरावट देखने को मिल सकती है | इसलिए पान के पौधों पर रोग दिखने तुरंत ही उसका उपचार करना चाहिए | यह रोग पौधों पर फफूंद, वायरस और कीट के रूप में आक्रमण करते है |

क्रम संख्यारोगरोग के प्रकारउपचार
1पाद और जड़ गलनफफूंदपौधों की जड़ों पर ट्राइकोडर्मा या बोर्डो मिश्रण का छिड़काव
2पत्ती गलनपेरासिटिक फंगसपौधों पर मैंकोजेब का छिड़काव
3जड़ सडन रोगराइजोप्टोनिया फफूंदपौधे की जड़ों पर कार्बेंडाजिम मैंकोजेब का छिड़काव
4तना कैंसरवायरसपौधों पर प्लांटो बाइसिन या कॉपर सल्फेट का छिड़काव
5लाल काली चीटीचीटियांपौधों पर कार्बोफ्यूरान, नीम के तेल या पानी का छिडकाव
6सफ़ेद मक्खीकीटपौधों पर रोगार या डेमोक्रान का छिड़काव

पान के पत्तो की तुड़ाई,पैदावार और लाभ (Betel Leaves Harvesting, Yield and Benefits)

जब पान के पौधों में लगे पत्ते चमकदार और कड़कदार दिखाई देने लगे उस दौरान इसके पत्तो की तुड़ाई कर ली जाती है | पत्तो की तुड़ाई के समय उन्हें डंठल सहित तोड़ना होता है, इससे पत्ता अधिक समय तक ताज़ा रहता है | पान के पत्तो की तुड़ाई कर एक सामान वाले पत्तो को अलग कर छाट लिया जाता है | इसके बाद 150 पत्तो को एक साथ एकत्रित कर बंडल तैयार कर लिए जाते है |

पान के पौधों से पैदावार प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत लगती है, किन्तु एक बार तैयार पौधों से किसान भाई अच्छी कमाई कर सकते है | एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 60 हज़ार तक पौधे लगाए जा सकते है, जिसके प्रत्येक पौधे से एक वर्ष में 50 से 60 पत्तिया प्राप्त हो जाती है | इस तरह से इसकी एक बार की फसल से तक़रीबन 30 लाख पत्तिया प्राप्त कर सकते है | पान की पत्तियों का बाज़ारी भाव एक रूपए प्रति पत्ती होता है, जिससे किसान भाई एक हेक्टेयर के खेत में पान की खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते है |

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