कॉफी की खेती कैसे करें | Coffee Farming in Hindi | कॉफी की किस्मे


Table of Contents

कॉफी की खेती (Coffee Farming) से सम्बंधित जानकारी

कॉफ़ी को मुख्य रूप से भारत के दक्षिण राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाया जाता है | कॉफ़ी का उपयोग खासकर पेय प्रदार्थ के रूप में होता है, भारत में कई जगह इसे कहवा भी कहा जाता है | यह एक ऐसा प्रदार्थ होता है, जिसे अनेक प्रकार की खाने और पीने की चीज़ो में इस्तेमाल किया जाता है | कॉफ़ी का उचित मात्रा में सेवन करना शरीर के लिए कॉफ़ी फायदेमंद होता है, इसके विपरीत यदि आप इसका अधिक सेवन करते है, तो इससे शरीर को हानि भी होती है |

भारतीय कॉफ़ी (Coffee) की गुणवत्ता बहुत अच्छी होने के कारण इसे दुनिया की सबसे अच्छी काफ़ी (Coffee) माना जाता है | अन्य देशो के मुकाबले भारत में इसे छाया में उगाया जाता है | यदि आप भी कॉफ़ी की खेती करने का मन बना रहे है, तो यहाँ पर आपको कॉफ़ी की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी कॉफी की खेती कैसे करें, Coffee Farming in Hindi, कॉफी का इतिहास इसके बारे में बताया जा रहा है|

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कॉफ़ी की खेती करने का तरीका (How to Grow Coffee)

कॉफ़ी (Coffee) उत्पादन के नजरिये से भारत को विश्व के मुख्य 6 देशों में शामिल किया गया है | कर्नाटक, केरल, और तमिलनाडु भारत के ऐसे राज्य है, जहां कॉफी का उत्पादन अधिक मात्रा में किया जाता है | कॉफ़ी (Coffee) के पौधे एक बार लग जाने पर वर्षो तक पैदावार होती है | कॉफ़ी की खेती करने के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है |

तेज धूप वाले स्थान पर कॉफी की खेती करने से कॉफ़ी की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर बहुत असर पड़ता है | जबकि छायादार स्थान पर की गयी कॉफी (Coffee) की गुणवत्ता और पैदावार दोनों ही अच्छी होती है, तथा इसकी खेती के लिए ज्यादा बारिश की भी जरूरत नहीं होती है | साथ ही सर्दियों का मौसम भी इसकी खेती के लिए हानिकारक होता है |

कॉफ़ी की खेती के लिए उचित प्रकार की मिट्टी (The Right Type of Soil for Coffee Cultivation)

कॉफ़ी (Coffee) की खेती के लिए कार्बनिक पदार्थ युक्त दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, तथा ज्वालामुखी  विस्फोट से निकलने वाली लावा युक्त मिट्टी में भी इसे उगाया जाता है | इसकी खेती में भूमि का P.H. मानक 6 से 6.5 के मध्य होना चाहिए |

कॉफ़ी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान (Suitable Climate and Temperature for Coffee Cultivation)

कम शुष्क और आद्र मौसम कॉफ़ी की खेती के लिए बहुत अच्छा माना जाता है | कॉफ़ी (Coffee) की खेती में छायादार जगह को बहुत अधिक उपयुक्त माना जाता है | इससे इसकी गुणवत्ता बहुत अच्छी हो जाती है | कॉफ़ी की खेती में 150 से 200 सेंटीमीटर तक की वर्षा पर्याप्त होती है | अधिक वर्षा इसकी पैदावार को प्रभावित करती है, तथा सर्दियों का मौसम भी इसकी फसल के लिए उपयुक्त नहीं होता है | सर्दियों के मौसम में इसके पौधों का विकास रुक जाता | 

कॉफ़ी (Coffee) के खेती में तापमान का भी बहुत महत्त्व होता है | इसके पौधों के विकास के लिए 18 से 20 डिग्री का तापमान अच्छा माना जाता है, किन्तु गर्मी के मौसम में अधिकतम 30 डिग्री तथा सर्दियों के मौसम में न्यूनतम 15 डिग्री को ही सहन कर सकता है | तापमान में अधिक परिवर्तन होने पर इसके पौधों का विकास तथा इसकी पैदावार दोनों ही प्रभावित होती है |

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कॉफ़ी की विकसित किस्मे (Developed Varieties of Coffee)

कॉफ़ी (Coffee) में भी कई तरह की किस्मे पायी जाती है, जो कि भिन्न-भिन्न प्रकार की भूमि में उगाई जाती है | जिनकी जानकारी इस प्रकार है:-

अरेबिका कॉफ़ी (Arabica Coffee)

यह उच्च गुणवत्ता वाली कॉफ़ी (Coffee) मानी गई है, जो कि भारत में उत्पादित की जाती है | भारत में इसकी कई किस्मे पायी जाती है | कॉफ़ी (Coffee) की यह प्रजाति समुद्री तल से 1000 से 1500 मीटर की ऊंचाई पर उगाई जाती है | यह मुख्य रूप से भारत के दक्षिण इलाके में उत्पादित होती है|

केंट कॉफ़ी (Kent Coffee)

यह भारत की सबसे प्राचीन किस्म की कॉफ़ी है | इसका उत्पादन केरल में अधिक होता है,  इस किस्म के पौधे उत्पादन में सामान्य होते है |

एस 795 कॉफी (S 795 Coffee)

यह एक संकर किस्म की कॉफ़ी है, जो पैदावार को बढ़ाने के लिए तैयार की गयी थी | यह किस्म S.288 के संकरण के माध्यम से तैयार की गयी थी | कॉफ़ी की इस किस्म को भारत के दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में अधिक मात्रा में उगाया जाता है | इस किस्म की कॉफ़ी का एक अलग ही स्वाद होता है |

बाबाबुदन गिरीज किस्म की कॉफ़ी (Bababudan Girries Coffee)

कॉफ़ी की यह किस्म भारत के कर्नाटक राज्य में उगाई जाती है, कॉफ़ी की यह किस्म स्वाद और गुणवत्ता में बहुत अच्छी मानी जाती है, तथा इस तरह की कॉफ़ी को सुहाने मौसम में तैयार किया जाता है |

रोबेस्टा किस्म की कॉफी (Robusta Coffee)

यह अधिक उत्पादन वाली किस्म होती है, क्योकि इस प्रजाति की किस्म के पौधों में बहुत कम रोग लगते है | इसलिए इसका अधिक उत्पादन किया जाता है, वर्तमान समय में भारत में कॉफ़ी उत्पादन का 60% हिस्सा इस प्रजाति का ही है | यह भारत के अलावा अन्य देशों में अधिक पसंद की जाती है |

कावेरी किस्म की कॉफ़ी (Kaveri Variety of Coffee)

कॉफ़ी (Coffee) की यह किस्म केटिमोर नाम से भी जानी जाती है | यह भी कॉफ़ी की एक संकर किस्म है, जिसके पौधों को कतुरा और हाइब्रिडो डे तिमोर के संकरण के माध्यम से तैयार किया गया है | इसके पौधों में भी अधिक उत्पादन क्षमता होती है |

वायनाड रोबस्टा किस्म के कॉफ़ी (Wayanad Robusta Variety of Coffees)

वायनाड रोबस्टा कॉफी अपनी अनोखी खुश्बू के लिए जानी जाती है | यह भारत के बाहर अधिक पसंद की जाने वाली कॉफ़ी (Coffee) है, इसे केरल के उत्तरी भाग में उत्पादित किया जाता है |

इसके अलावा भी कई ऐसी किस्मे है, जो कि बाजार में भी उपलब्ध है, जिन्हें कूर्ग अराबिका, चिंकमंगलूर, अराकू बैली और सलेक्शन 9 आदि नामों से जाना जाता है, जिन्हे अलग -अलग स्थानों पर उगाया जाता है|

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कॉफ़ी का खेत को कैसे तैयार करे (How to Prepare the Farm)

कॉफ़ी (Coffee) की खेती को अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में किया जाता है | इसके लिए सबसे पहले खेत की जुताई कर ले, फिर उसे कुछ दिन के लिए ऐसे ही छोड़ दे | उसके बाद खेत में रोटावेटर को चला कर मिट्टी को भुरभुरा कर दें | फिर उसके बाद ट्रैक्टर में पाटा लगा कर चलवा दें, जिससे कि खेत समतल हो जायेगा | खेत के समतल हो जाने के बाद चार से पांच मीटर की दूरी पर पंक्तिया बना ले, और प्रत्येक पंक्ति में पौधों को लगाने के लिए चार-चार मीटर की दूरी पर गड्डो को तैयार कर ले |

जब गड्डे तैयार हो जाये तो उसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक और रासायनिक खाद को मिट्टी में मिलाकर गड्डे में डाल दें | सभी गड्डो को भरने के बाद उनकी अच्छी तरह से सिंचाई कर दें | ताकि गड्डो की मिट्टी ठीक तरह से बैठ जाये, इसके बाद गड्डो को पुलाव से ढक दें और गड्डो को पौधों की रोपाई से एक महीने पहले तैयार किया जाता है |

पौधों को कैसे तैयार करे (How to Prepare Plants)

कॉफ़ी (Coffee) के पौधे बीज और कलम की सहायता से तैयार किये जाते है | बीज से पौधों को तैयार होने में कॉफ़ी समय और मेहनत लगती है, जिसके चलते इसके पौधों को कलम की सहायता से तैयार किया जाता है | इसके लिए दाब, गूटी और ग्राफ्टिंग विधि का इस्तेमाल करते है | इसके अलावा किसान भाई चाहे तो किसी नर्सरी से इसके पौधों को खरीद सकते है | पौधों को नर्सरी से खरीदते समय यह जरूर ध्यान दें कि पौधा एक से डेढ़ वर्ष का और बिलकुल स्वस्थ हो |

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कॉफ़ी के पौधों की रोपाई का तरीका और समय (Method and Time of Transplanting Coffee Plants)

खेत में तैयार किये गए गड्डो के बीचो-बीच में एक छोटा सा गड्डा बना ले, इसके बाद पौधों को पॉलीथीन से निकालकर इन छोटे – छोटे गड्डो में लगाये और चारो तरफ मिट्टी डालकर अच्छे से दबा दें | इसमें पौधों के अच्छे विकास के लिए छाया की जरूरत होती है, छाया के लिए प्रत्येक लाइन में किसी एक छायादार वृक्ष को लगा दें |

पौधों को खेत में लगाने के लिए सबसे अच्छा समय पतझड़ मौसम के अंत तथा गर्मियों के मौसम के शुरू होने के समय लगाना चाहिए |  इसके लिए पौधों को फरवरी और मार्च के महीने में लगा देना चाहिए, कॉफ़ी (Coffee) के पौधे पैदावार देने में तीन से चार वर्ष का अधिक समय लेते है |

कॉफ़ी के पौधों की सिंचाई कैसे करे (How to Irrigate Plants)

कॉफ़ी के पौधों की सिंचाई को पौधों को खेत में लगाने के तुरंत बाद कर देनी चाहिए, सर्दियों के मौसम में इसके पौधों को कम सिंचाई की आवश्यकता होती है | इस मौसम में पौधों को 10 से 15 दिन के दौरान पानी देना चाहिए , और यदि मौसम बारिश का हो तो पौधों को जरूरत के मुताबिक ही पानी दें  | गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को अधिक जल की जरूरत है, इसलिए गर्मी के मौसम में इसके पौधों को सप्ताह में एक बार पानी देते रहना चाहिए |

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कॉफ़ी की खेती में उर्वरक की मात्रा (Amount of Fertilizer)

कॉफ़ी (Coffee) के पौधों में उवर्रक की अधिक जरूरत होती है, इसलिए इसकी खेती में जैविक उवर्रक का अधिक इस्तेमाल होता है | गड्डो को तैयार करते समय प्रत्येक पौधों को 25 किलो पुरानी गोबर की खाद देनी चाहिए, इसके अलावा रासायनिक खाद के रूप में आयरन तत्व से भरपूर रासायनिक खाद के साथ प्रति पौधा 100 ग्राम N.P.K. की मात्रा देनी चाहिए | उवर्रक की मात्रा को पौधे के विकास के साथ -साथ बढ़ा देनी चाहिए , पौधे के पूर्ण विकसित हो जाने पर उचित मात्रा में उवर्रक के न मिल पाने से पैदावार कम हो जाती है |

कॉफ़ी के पौधों की देखभाल कैसे करे (How to Take Care of Plants)

कॉफ़ी (Coffee) के पौधों को पैदावार देने में बहुत समय लगता है, इसके पौधे खेत में लगाने के 3 से 4 वर्ष के बाद पैदावार देना आरम्भ करते है | इसके पौधों की शुरुआती देखभाल के लिए एक मीटर की ऊंचाई तक किसी भी तरह की शाखा को उगने न दें, इससे पौधे अच्छे आकार के बनते है, और पेड़ का तना भी मजबूत बनता है | पेड़ो के अच्छे से बड़े हो जाने पर फलो की तुड़ाई कर उनकी कटाई – छटाई कर देनी चाहिए | इसमें पौधे की सूखी और रोग ग्रस्त डालियो को काटकर निकाल देना चाहिए | इस तरह से पौधे पर नयी शाखाये निकलती है, और पौधे का उत्पादन भी बढ़ता है |

कॉफ़ी के पौधों में लगने वाले रोग (Diseases of Coffee Plants)

कॉफ़ी (Coffee) के पौधों पर कीट रोग का प्रभाव देखने को मिलता है, साथ ही कोबरा सांप भी इसकी पैदावार को प्रभावित करता है | इसके पौधों पर मामूली से कीट रोग देखने को मिलते है, जिनसे बचाव के लिए पौधों पर नीम के तेल या नीम के काढ़े का छिड़काव करना जरूरी होता है | कॉफ़ी (Coffee) की खेती में लगने वाले रोगों की जानकारी कुछ इस प्रकार है:-

पेलीकुलारिया कोले-रोटा रोग (Pellicularia Cholerae-rota Disease)

यह रोग बारिश के मौसम में कॉफ़ी के पौधों पर देखने को मिलता है, इस रोग में पौधों की पत्तियों का रंग काला पड़ जाता है | जिससे प्रभावित होकर फल और पत्तिया नीचे गिरने लगती है, और पौधों की पैदावार को हानि होती है | अभी तक इस रोग के लिए किसी तरह की प्रभावी औषधि नहीं बनी है, किन्तु जैविक औषधिओ का इस्तेमाल कर इस रोग से बचाव किया जा सकता है|

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कॉफ़ी के फलों की तुड़ाई कब करे (When to Harvest Fruits Of Coffee)

कॉफ़ी के पौधों में फूल लगने के 5 से 6 महीने के बाद तोड़ने के लिए तैयार हो जाते है . शुरू में इसके फल हरे रंग के होते है . जो कि धीरे -धीरे अपना रंग बदलते है पूर्ण रूप से तैयार हो जाने पर फल लाल रंग के हो जाते है.देश के अधिकतर स्थानों पर इसकी तुड़ाई अक्टूबर से जनवरी के मध्य की जाती है . जबकि नीलगिरि की पहाड़ियों में जून के महीने में तुड़ाई की जाती है |

कॉफ़ी की पैदावार और लाभ (Coffee Yields and Benefits)

कॉफ़ी की खेती किसानो के लिए बहुत अधिक लाभदायक साबित होती है | इसकी अरेबिका प्रजाति के पौधे प्रति हेक्टयेर में 1000 किलो का उत्पादन करते है | वही रोबस्टा प्रजाति के पौधे प्रति हेक्टयेर लगभग 870 किलो की पैदावार करते है, कॉफ़ी का (Coffee) बाजारी भाव बहुत अच्छा होता है, जिससे किसान भाइयो को अधिक लाभ प्राप्त होता है |

कॉफ़ी के स्वास्थ्य लाभ (Health Benefits of Coffee)

कॉफी के स्वास्थ्य लाभों का विवरण इस प्रकार है-

1.फैट बर्न करने में सहायक (Helpful in Burning Fat)

इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन के जर्नल के एक अध्ययन में पाया गया कि कैफीन अधिकतम वसा ऑक्सीकरण दर (Fat Oxidation Rate) और एरोबिक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे फैट बर्न में वृद्धि होती है। कॉफी पीने या एरोबिक गतिविधि (जैसे दौड़ना या साइकिल चलाने) से 30 मिनट पहले एक कप कॉफ़ी लेने से वसा का ऑक्सीकरण बढ़ जाता है। इसके अलावा, व्यायाम की तीव्रता, वसा ऑक्सीकरण, और अधिकतम ऑक्सीजन की मात्रा सभी को दोपहर में सुबह की तुलना में अधिक पाया गया। मूल रूप से यदि व्यायाम  से आधे घंटे पहले दोपहर में सेवन किया जाए तो कैफीन अधिक वसा जलाने में मदद कर सकता है।

2. डायबिटीज को कम करने में सहायक (Diabetes Reducing Helpful)

डायबिटीज एक पुरानी स्वास्थ्य स्थिति है, जो दुनिया में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। मधुमेह वाले लोगों में हाई ब्लड शुगर का स्तर होता है और उनका शरीर उस शर्करा को ऊर्जा में बदलने में मदद करने के लिए बहुत कम या बिना इंसुलिन हार्मोन का स्राव करता है। इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है, लेकिन यह एक प्रबंधनीय है। अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग रोजाना कॉफी का सेवन करते हैं उनमें टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा 14% -30% कम होता है।

3. लीवर को प्रोटेक्ट करने में सहायक (Protecting Liver Helpfull)

लीवर मानव शरीर का सबसे बड़ा अंग है और साथ ही आवश्यक अंगों में से एक है। लीवर हमारे शरीर में 500 से अधिक महत्वपूर्ण कार्य करता है। ऐसे महत्वपूर्ण अंग को उन रोगों से बचाना चाहिए, जो इसे प्रभावित कर सकते हैं।

कॉफी पीने से हम अपने जिगर की रक्षा कर सकते हैं । कई अध्ययनों के परिणामों से पता चला है, कि एक पेय के रूप में कॉफी लीवर को कई बीमारियों से बचा सकती है, जिसमें अल्कोहलिक सिरोसिस भी शामिल है। सिरोसिस के अलावा, कॉफी हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा के जोखिम को कम करती है, फाइब्रोटिक रोग की प्रगति को कम करती है और हेपेटाइटिस सी वायरस को दोहराने की क्षमता को कम करती है।

4. अवसाद या डिप्रेशन को कम करने में सहायक (Helpful in Reducing Depression)

डिप्रेशन एक बहुत ही सामान्य और साथ ही साथ बहुत गंभीर मानसिक विकार है। इसके लक्षण किसी के भी जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए आत्म-देखभाल का अभ्यास करना महत्वपूर्ण है। कॉफी पीना इस विकार से लड़ने और अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उठाए जा सकने वाले कई कदमों में से एक है।

एक अध्ययन में पाया गया, कि एक पेय के रूप में कॉफी उदास होने के जोखिम को कम कर सकती है। एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेटिव गुणों के कारण कॉफी उपभोक्ताओं में अवसाद का खतरा कम होता है। एक अन्य अध्ययन के परिणामों में पाया गया कि जो लोग रोजाना 4 या अधिक कप कॉफी पीते हैं उनमें अवसाद का खतरा एक कप या उससे कम पीने वालों की तुलना में कम होता है।

5. स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है (May Reduce the Risk of Stroke)

कॉफी स्ट्रोक का अनुभव करने की संभावना को कम करने में सहायक होती है। प्रतिदिन दो कप कॉफी पीने से आप स्ट्रोक के जोखिम को 20% तक कम कर सकते हैं। एक विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रति दिन 4 कप कॉफी या अधिक पीने से स्ट्रोक पर निवारक प्रभाव पड़ सकता है।

6. फेफड़ों के कार्य में सुधार (Lung Function Improve)

कॉफी के सेवन का एक अन्य लाभ फेफड़ों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खासकर उन लोगों के लिए जो अस्थमा से पीड़ित हैं। कॉफी में कई पदार्थों में कैफीन होता है, जो एक कमजोर ब्रोन्कोडायलेटर भी होता है और श्वसन की मांसपेशियों की थकान को कम करता है। अस्थमा में कैफीन के प्रभावों का पता लगाने वाले एक अध्ययन में, परिणामों से पता चला कि कैफीन की थोड़ी मात्रा भी फेफड़ों के कार्य को 4 घंटे तक सुधार सकती है। एक अन्य अध्ययन ने इस दावे की पुष्टि की और साथ ही पाया कि कॉफी ने श्वसन मृत्यु दर को कम किया।

7. अल्जाइमर के जोखिम को कम करने में सहायक (Helpful in Reducing the Risk of Alzheimer’s)

अल्जाइमर एक अपरिवर्तनीय और प्रगतिशील मस्तिष्क विकार है, जो कई वर्षों के दौरान व्यक्ति की याददाश्त को पूरी तरह से मिटा देता है। यह विकार अब सबसे सरल कार्यों को करने में असमर्थता का परिणाम है। लगभग 5 मिलियन अमेरिकी इस विकार से पीड़ित हैं। जबकि स्वस्थ भोजन करना और व्यायाम करना इस बीमारी को रोकने के लिए बहुत अच्छा कदम हो सकता है, कॉफी का सेवन भी काफी प्रभावी हो सकता है। एक अध्ययन में कॉफी पीने से अल्जाइमर रोग का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है।

8. वजन कम करने में सहायक (Aids in Weight Loss)

कॉफी में कई जैविक रूप से सक्रिय पदार्थ होते हैं। कैफीन और क्लोरोजेनिक एसिड जैसे पदार्थ कार्ब्स के अवशोषण को धीमा करने और आपके चयापचय को गति देने में मदद कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि एक कॉफी कप पीने से आप अपनी चयापचय दर बढ़ा सकते हैं , और बदले में, भूरे रंग की वसा गतिविधि होती है। इस गतिविधि से वसा जलने और वजन घटाने की ओर जाता है। एक अन्य शोध में यह पाया गया, कि 4 कप कॉफी पीने से आपके शरीर की चर्बी 4% तक कम हो सकती है।

9. पार्किंसंस रोग के जोखिम को कम करने में सहायक (Helpful in Reducing the Risk of Parkinson’s Disease)

पार्किंसंस रोग सबसे आम न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों (Neurodegenerative Disorders) में से एक है, जो अल्जाइमर के बाद दूसरा है। हालांकि दुर्भाग्य से इसका इलाज अभी तक खोजा नहीं जा सका है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि कॉफी पीने से पार्किंसंस रोग (Parkinson’s Disease) विकसित होने का खतरा 30% तक कम हो जाता है। अधिकांश अध्ययन लाभकारी खुराक के रूप में तीन कप कॉफी की सलाह देते हैं। इसके अलावा, कुछ कॉफी घटक, जैसे कि फेनिलइंडेन और कैफीन, ईएचटी (सेरोटोनिन से प्राप्त एक फैटी एसिड अणु) के साथ मिलकर, विषाक्त प्रोटीन समुच्चय के गठन को रोकने के लिए दिखाया गया है। (अल्फा-सिन्यूक्लिन) पार्किंसंस के विकास से जुड़ा है।

10. कैंसर के खतरे को कम करने में लाभकारी (Beneficial in Reducing the Risk of Cancer)

कैंसर दुनिया में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। दरअसल कॉफी बीन्स से बनती है, जो एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है, जो कैंसर के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव डाल सकती है। नए अध्ययनों ने कॉफी की खपत को लीवर कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर सहित कुछ कैंसर में कम जोखिम से जोड़ा है। हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि क्रीम और चीनी से अतिरिक्त वसा और कैलोरी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है। इसलिए कॉफी के स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका इसे सादा लेना है।

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कॉफी के नुकसान (Coffee Disadvantages)

अधिक मात्रा में कॉफी का सेवन करने से नींद में खलल और चिड़चिड़ापन सहित कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। बहुत अधिक कैफीन से जुड़ी मानसिक थकान भी तनाव, ध्यान की कमी और सामाजिक वापसी का कारण बन सकती है। कॉफी पीने के सबसे आम नुकसान इस प्रकार है-

  • चिंता का कारण बन सकता है: यदि आप बहुत अधिक कॉफी पीते हैं, तो यह चिंता और चिड़चिड़ापन पैदा कर सकता है। यह नींद के प्रतिदन के रूटीन में बाधा डाल सकता है, और व्यक्ति के ब्लड प्रेशर को भी बढ़ा सकता है।
  • अनिद्रा का कारण बन सकता है:- बहुत से लोग सुबह एक कप कॉफी के स्वाद, गंध और उत्तेजक प्रभावों का आनंद लेते हैं| हालांकि दूसरों के लिए यह प्रभाव अवांछनीय हैं। उन व्यक्तियों के लिए जो अपने कॉफी के सेवन से सिरदर्द या नींद की समस्या से पीड़ित हैं, एक समाधान यह हो सकता है, कि इसके बजाय डिकैफ़िनेटेड या कम कैफीन वाले कॉफ़ी उत्पादों पर स्विच किया जाए। यह समझना भी जरूरी है कि ज्यादा देर तक जगे रहना सेहत के लिए हानिकारक होता है।
  • दिल के लिए हो सकता है बुरा:-  कॉफी में कई तरह के यौगिक होते हैं, कुछ ऐसे होते हैं जो आपके शरीर के लिए अच्छे होते हैं और अन्य जो आपके हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इन पदार्थों में कैफीन, थियोब्रोमाइन और पॉलीफेनोल्स शामिल हैं जो आपकी रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं लेकिन बड़ी मात्रा में लेने पर उसी संचार प्रणाली को बाधित कर सकते हैं। हालांकि, यदि आपको कार्डियक अतालता विकार है, तो आपको कॉफी का सेवन कम से कम करना चाहिए या कम करना चाहिए।
  • दस्त खराब कर सकता है:- कॉफी गति के कारण होने वाली मतली में मदद कर सकती है, लेकिन अगर आपको दस्त है तो यह आपकी स्थिति को और खराब कर सकता है। यदि आप इस तरह के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं या किसी समस्या के कारण आपको आहार का पालन करने की आवश्यकता है तो आपको कॉफी से बचना चाहिए।
  • मिर्गी रोग वाले व्यक्ति के लिए है नुकसानदायक:- बहुत से व्यक्ति या धारणा रखते हैं कि केवल एक कप कैफीन उनके लिए क्या नुकसान करेगी, परन्तु मिर्गी वाले व्यक्ति के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक साबित हो सकती है। मस्तिष्क के कई हिस्सों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हुए, कैफीन सेवन के बाद 12 घंटे तक दौरे की आवृत्ति में वृद्धि का कारण बनता है। यदि आपको मिर्गी है और आप दिन में केवल एक कप कॉफी ले रहे हैं, तो संख्या कम करने से इसे चाय या पानी जैसी किसी स्वास्थ्यवर्धक चीज़ से बदलने की तुलना में बहुत अधिक अंतर हो सकता है।
  • पेट में जलन:- संयम में यह कोई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न नहीं करता है, लेकिन दैनिक कॉफी पीने वालों को ध्यान देना चाहिए कि यहां तक ​​​​कि सबसे अच्छे कॉफी में कई आंत-परेशान करने वाले योजक होते हैं। यह आईबीएस (चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम) के लक्षणों को खराब कर सकता है
  • हड्डियों को बनाता है अधिक नाजुक:- कॉफी के कुछ नकारात्मक दुष्प्रभाव भी होते हैं जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है। 2015 की एक समीक्षा में पाया गया कि प्रति दिन 5 कप से अधिक पीने से महिलाओं और पुरुषों में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कैफीन कैल्शियम की मात्रा में वृद्धि कर सकता है, जो मूत्रमार्ग (Urethra) द्वारा हमारे शारीर से बाहर निकल जाता है।

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कॉफी के फायदे और नुकसान के लिए तुलना तालिका (Coffee Advantages & Disadvantages Comparison Table)

यह तालिका कॉफी पीने के फायदे और नुकसान का सारांश प्रस्तुत करती है, जो इस प्रकार है-

लाभनुकसान
चयापचय अर्थात मेटाबोलिज्म बढ़ाएँहड्डियों को बनाता है अधिक नाजुक
ऊर्जा का स्तर बढ़ाएँआंत को परेशान करता है
टाइप 2 मधुमेह में मदद कर सकता हैमिर्गी वाले व्यक्तियों के लिए उचित नहीं है
मस्तिष्क स्वास्थ्य को लाभ हो सकता हैदस्त खराब कर सकता है
वजन प्रबंधन के लिए फायदेमंददिल के लिए बुरा हो सकता है
संभावित रूप से अवसाद के जोखिम को कम करता हैअनिद्रा का कारण बन सकता है
जिगर की रक्षा कर सकता हैचिंता पैदा कर सकता है
दिल की सेहत के लिए फायदेमंद होता हैलत लगने की संभावना

दिन के अलग-अलग समय में कॉफी का स्वाद अलग क्यों होता है?

दुनिया में सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थों में से एक, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कॉफी का एक विशिष्ट स्वाद और गंध होता है। यह अम्लता के स्तर और तापमान के अंतर के कारण है। कॉफी का स्वाद भी दिन भर में बदल जाता है, इसलिए कई लोग सुबह कॉफी पीना पसंद करते हैं, जब इसका स्वाद सबसे अच्छा होता है। ध्यान देने वाली एक और दिलचस्प विशेषता यह है कि गर्म बनाम ठंडा होने पर कॉफी का स्वाद भी अलग होता है।

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