दिसंबर में कौन सी खेती करें | दिसंबर में कौन सी सब्जी लगाई जाती है


दिसंबर में खेती (Farming in December)

वर्तमान में कृषि तकनीक का इस्तेमाल कर ऑफ सीजन में भी सभी तरह की खेती की जा सकती है| किन्तु प्राकृतिक वातावरण में उगाई जाने वाली फसल की बात ही अलग होती है| दिसंबर के महीने में सर्दी बढ़ती जाती है, और यह समय तकरीबन सभी तरह की सब्जियों को उगाने के लिए अनुकूल होता है| किसान भाई कुछ खास बातो को ध्यान में रखकर मौसमी सब्जियों की खेती कर अच्छा उत्पादन हासिल कर सकते है, और मंडियों में हाथोंहाथ बेच सकते है|




अगर आप दिसंबर के महीने में उगाई जाने वाली फसलों के बारे में जानना चाहते है, तो इस लेख में आपको दिसंबर में कौन सी खेती करें तथा दिसंबर में कौन सी सब्जी लगाई जाती है बता रहे है|

दिसंबर में कौन सी सब्जी लगाई जाती है (Vegetable Planted in December)

दिसंबर के महीने में आप जिन सब्जियों को लगाना चाहते है, उसमे टमाटर, पालक, बैंगन, पत्तागोभी, प्याज, सलाद, सरसों और अन्य सब्जियां भी उगा सकते है|

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टमाटर की खेती :- दिसंबर के महीने में आप टमाटर की बुवाई कर सकते है| टमाटर की बुवाई के लिए आपको पौधे तैयार करने होते है, इसके लिए नर्सरी में दो तरह की क्यारियां बना ले| इसमें एक क्यारी उपर उठी हुई और दूसरी समतल होती है| गर्मी के मौसम पौधों को तैयार करने के लिए समतल क्यारियां बनाई जाती है, लेकिन वर्षा व् ठंडी के मौसम में पौध तैयार करने के लिए उठी हुई क्यारियां बनाते है| प्रति हेक्टेयर खेत के लिए 150 GM संकर प्रजाति वाले बीज व् 400 GM पोलिनेटेड क़िस्म के बीजो को लगाया जाता है|

बीज लगाने के 25-30 दिन बाद पौधा तैयार हो जाता है, लेकिन तापमान में कमी होने पर पौधों को निकलने में 5-6 हफ्ते भी लग सकते है| लाइन से लाइन के बीच 60 CM व् पौध से पौध के बीच 45 CM की दूरी रखते है| पौधे के समीप मिट्टी को अच्छी तरह से उंगलियों से दबा देते है, और रोपाई के पश्चात् ही पानी दे देते है| टमाटर की उन्नत किस्मो में अजय, अमर, करीना, विकरंक, विपुलन, विशाल, अंकुश, अदिति, अजित, बी.एस.एस. 103, 39, सिलेक्शन -4, 5-18 स्मिथ, अर्का विकास, सर्वोदय, जयश्री, रीटा, समय किंग और टमाटर 108 को रखा गया है|

मूली की खेती :- ठंडी जलवायु में मूली की फसल काफी अच्छी होती है, इसलिए इसे दिसंबर के महीने में लगाना फायदेमंद हो सकता है| मूली की बुवाई के लिए समतल व् मेड़ वाली क्यारियां बनाई जाती है| मेड़ वाली क्यारियों में मेड़ से मेड़ के बीच 45 से 50 CM की दूरी व् 20 से 25 CM की ऊंचाई रखते है| इन मेड़ो में पौध से पौध के बीच 5-8 CM की दूरी रखे| प्रति हेक्टेयर के खेत में मूली के 10 से 12 KG बीजो की आवश्यकता होती है| मूली के एक किलोग्राम बीज को 2.5 GM थीरम से शोधित करना चाहिए, या प्रति किलोग्राम बीज को 5 लीटर गौमूत्र से उपचारित करे| बीज शोधन के बाद उन्हें 3-4 CM की गहराई में लगाए|

मूली के अच्छे उत्पादन के लिए फसल की बुवाई बलुई दोमट मिट्टी या जीवांशयुक्त दोमट मिट्टी में करे| मूली की उन्नत किस्मों में पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जापानी सफ़ेद, पूसा देशी, पंजाब अगेती, पंजाब सफ़ेद, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, आई.एच. आर1-1, कल्याणपुर सफ़ेद व् पूसा रेशमी को रखा गया है| शीतोष्ण प्रदेशो में मूली की स्कारलेट ग्लोब, पूसा हिमानी, रैपिड रेड व् ह्वाइट टिप्स प्रजातियां अच्छी मानी जाती है|

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पालक की खेती :- पालक की फसल को ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है, इसलिए पालक की बुवाई करते समय जलवायु पर विशेष ध्यान दे| पालक को सीधा खेत में बो सकते है, खेत में पंक्तियों को बनाकर इसके बीजो को लगा सकते है, या फिर ऐसे ही खेत में फैला सकते है| पालक के पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान की जरूरत होती है| इसके बीजो को हम सीधा 2.5-3 CM की गहराई में लगा सकते है| निरंतर उत्पादन के लिए 10-15 दिन के अंतराल में बीजो को बोए|

उपयुक्त वातावरण में पालक पूरे वर्ष ही बोई जाती है| पालक की संकर किस्में पंजाब सलेक्शन व् पंजाब ग्रीन अधिक पैदावार देती है| इसके अलावा पालक की पूसा हरित, पूसा भारती, पूसा पालक और पूजा ज्योति किस्में भी शामिल है|

पत्ता गोभी की खेती :- दिसंबर का महीना पत्तागोभी की खेती के लिए बेहतर होता है| पत्ता गोभी के बीजो को खेत में 1-2 CM की गहराई में लगाते है, प्रति एकड़ के खेत में पत्ता गोभी के 200-250 GM बीज उपयुक्त होते है| इन बीजो को बुवाई से पहले 50 डिग्री सेल्सियस वाले तापमान पर 30 मिनट तक पानी में रखे, या प्रति लीटर पानी में 0.01 GM स्ट्रैपटोसाइकलिन की मात्रा को मिलाकर उसमे बीजो को 2 घंटे के लिए भिगो दे| इसके बाद उपचारित पत्ता गोभी के बीजो को छांव में अच्छे से सुखा ले| रबी की फसल में गलन रोग काफी देखने को मिलता है, जिसके बचाव के लिए आप मरकरी कलोराईड से बीजो को उपचारित करे| रेतीली भूमि में पत्ता गोभी की फसल का तना अधिक तेजी से गलता है, जिसे रोकने के लिए आप कार्बेनडाजिम 50% व् 3 GM WP से प्रति किलोग्राम बीजो को उपचारे|

पत्ता गोभी के बीजो को खेत में गड्ढा करके या फिर रोप करके लगाते है| सबसे पहले नर्सरी में पत्ता गोभी के बीजो को लगाए और आवश्यकतानुसार खाद का उपयोग करे| बुवाई के 25-30 दिन बाद पौधा निकलने लगता है, जिसे खेत में रोप सकते है| नर्सरी से पौधा 3-4 सप्ताह पुराना ले| अधिक अम्लीय वाली भूमि में पत्ता गोभी की खेती न करे| पत्ता गोभी की उन्नत किस्मों में प्राइड ऑफ इंडिया, कोपन हगें, गोल्डन एकर, पूसा मुक्त, कावेरी, बजरंग, के-वी, गंगा, श्रीगणेश गोल, पूसा ड्रमहेड, पूसा सिंथेटिक, और हरियाणा को रखा गया है, जिनकी औसत उपज 75-80 क्विंटल प्रति एकड़ पाई जाती है| 

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बैंगन की खेती :- बैंगन के पौधों को लगाने के लिए जैविक पदार्थो से भरपूर बलुआही दोमट व् दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है| दिसंबर के महीने में बैंगन की बुवाई के लिए छोटी-छोटी क्यारियों में बीजो को बोते है| इसके बाद 4-5 हफ्तों में निकले पौधों को उवर्रक डालकर तैयार किए गए खेत में लगाते है| बैंगन की बुवाई के लिए 500-700 GM बीजो की जरूरत होती है|

बैंगन की उन्नत किस्मों में पूसा पर्पल क्लस्टर, पूसा पर्पल लौंग, मुक्तकेशी अन्नामलाई, पूसा पर्पल राउंड, बनारस जैट, पूजा क्रांति और पूसा अनमोल किस्में रखी गई है|

सलाद की खेती :- सलाद एक विदेशी फसल है, जिसे भारत में दिसंबर के महीने में लगाया जाता है| अन्य सब्जियों की तरह ही सलाद को भी देश के सभी हिस्सों में उगा सकते है| इसकी कच्ची पत्तियों को मूली, गाजर, प्याज व् चुकंदर की तरह ही सलाद व् सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते है| सलाद की फसल व्यावसायिक रूप से उगाई जाती है| इसकी कच्ची व् बड़ी पत्तियों को घरो व् बड़े-बड़े होटलों में सलाद की तरह इस्तेमाल किया जाता है| सलाद की खेती के लिए 12-15 डिग्री तापमान उचित होता है| मटियारी दोमट व् हल्की बलुई दोमट भूमि में सलाद की फसल उगाना बेहतर होता है|

सलाद की खेती में भूमि पानी को अवशोषित करने वाली होनी चाहिए, ताकि पौधों में नमी बरक़रार रहे| सलाद की बुवाई से पहले बीजो को पौधशाला में तैयार करते है| पौध तैयार करने के लिए प्रति हेक्टेयर के खेत में 500-600 GM बीज पर्याप्त होते है| पौधशाला में बीजो को क्यारियों में लगाए, और 5-6 सप्ताह होने पर उन्हें निकालकर खेत में रोप दे| सलाद की उन्नत किस्मों में चाइनेज यलो, स्लोवाल्ट और ग्रेट लेकस मुख्य जातियां है|

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सरसों की खेती :- दिसंबर के महीने में सरसों की बुवाई सिंचित क्षेत्रों में करने के लिए 5-6 बीज प्रति हेक्टेयर के खेत में लगते है| बुवाई से पहले सरसों के बीजो को 2-5 GM थीरम को उपचारित कर ले| इसके बाद 5-6 CM कूड़ों में 45 CM की दूरी पर सरसों के बीजो की बुवाई करे| सरसों की खेती के लिए दोमट मिट्टी बेहतर होती है| राई या सरसों की उन्नत किस्मों में माया, वरुणा, टी-59 और क्रांति को उगाया जाता है|

सिंचित क्षेत्रों में सरसो की नरेन्द्र राई व् बोल्ड उर्वशी प्रजातियों को बोया जाता है, तथा असिंचित क्षेत्रों में वरदान, वैभव व् वरुणा प्रजातियों की बुवाई करते है|

प्याज की खेती :- प्याज की खेती रबी और खरीफ दोनों ही मौसम में की जा सकती है| सामान्य तौर पर प्याज की बुवाई नवंबर के अंतिम सप्ताह तक करते है, किन्तु किसान भाई दिसंबर के महीने में भी प्याज की बुवाई कर सकते है| प्याज की बुवाई सबसे पहले नर्सरी में ही करते है| एक हेक्टेयर के खेत में प्याज के पोधों को तैयार करने के लिए 1000 से 1200 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में प्याज की बुवाई करे| प्याज के बीजो को नर्सरी में कतार में डालना होता है, इन कतारों को 4-5 CM की दूरी पर बनाए| प्याज के बीजो को 2-2.5 CM की दूरी पर बोए| प्याज की अच्छी बढ़वार लेने के लिए केल्शियम, अमोनिया नाइट्रेट 25 GM की मात्रा से प्रति वर्गमीटर की दर से भुरकाव करे|

नर्सरी का पौधा 7-8 सप्ताह में तैयार हो जाता है| इन बीजो को बुवाई से पहले 2 GM थाइरम की मात्रा से प्रति किलोग्राम बीजो को उपचारित कर ले| नर्सरी में जब प्याज का पौधा तैयार हो जाए, तो पौधों की रोपाई 20 से 25 दिसंबर तक शुरू कर दे| प्याज के पौधों को गुलाबी जड़ सड़न रोग से बचाने के लिए उन्हें टब भर पानी में बावस्टीन या कार्बनडेजिम की मात्रा को डालकर उसमे भिगो दे| रबी के मौसम में आप प्याज की उन्नत क़िस्मों आर.ओ. 252, आर.ओ. 282, एग्रीफाउंड लाइट रेड, आर.ओ.59 व् आर.ओ.-1 को लगा सकते है|

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